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Thursday, August 31, 2017

श्री अजय साहू "अमृतांशु" के दोहा

श्री अजय साहू "अमृतांशु" के दोहा -

             *इंटरनेट*

छागे इंटरनेट हा, महिमा अपरंपार।
घर बइठे अब होत हे, बड़े-बड़े व्यापार।।

बिन खरचा के होत हे, बड़े-बड़े सब काम।
दउड़े भागे नइ लगय,अब्बड़ हे आराम।।

नेट हवय तब सेट हे,दुनिया के सब रंग।
बिना नेट के लागथे,जिनगी हा बदरंग।।

रात-रात भर नेट मा,झन कर अतका काम।
चिंता कर परिवार के,कर ले कुछ आराम।।

घर मा बइठे देख लव,दुनिया भर के रीत।
आनी बानी गोठ अउ,अब्बड़ सुग्घर गीत।।

लइका मन पुस्तक पढ़य,घर बइठे अभ्यास।
होत परीक्षा नेट मा,तुरते होवय पास।।

का कहना हे नेट के करथे,अबड़ कमाल।
येमा सोशल मीडिया ,देवत है सब हाल।।

रचनाकार - अजय साहू "अमृतांशु"
                   भाटापारा, छत्तीसगढ़

30 comments:

  1. बड़ सुग्घर दोहालरी बड़े भइया जी। बधाई हे।

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  2. सुग्घर दोहावली भाई , वाह्ह्ह्ह्ह् नेट के महिमा

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  3. नेट ऊपर बड़ सुग्घर दोहावली के सृजन करे हव अजय'अमृतांश' सर जी बहुत बहुत बधाई।

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  4. नेट के महिमा बहुत सुन्दर अजय भाई

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  5. बहुत सुघ्घर अजय भैया

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  6. इंटरनेट विषय मा सुग्घर दोहावली अजय भैया ।बधाई।

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  7. वाह बहुँत सुघ्घर दोहा अजय भईया जी

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  8. वाह बहुँत सुघ्घर दोहा अजय भईया जी

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  9. अजय भाई बहुत सुघ्घर सृजन हे

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    1. लाजवाब नेट ऊपर दोहावली सर।सादर बधाई

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    2. लाजवाब नेट ऊपर दोहावली सर।सादर बधाई

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