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Friday, September 8, 2017

मत्तगयन्द सवैया - श्री चोवाराम वर्मा

मत्तगयन्द सवैया - श्री चोवाराम वर्मा
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1 पिछवाय किसानी

सावन हे मनभावन आज घटा झकझोर गिरावत पानी।
धार गली बड़ रेंगत हे मटकावत हे खपरा अउ छानी।
अब्बड़ जी चमके बिजुरी जस ओखर हावय छाय जवानी ।
दादुर गीत सुनावत हे भइया के हवे पिछुवाय किसानी।

2  राधा के ताना
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संग धरे बदनाम करे अब छोंड़ के काबर जाथस मोला ।
तोर बिना मँय जी नइ पावँव मोहन मैं नइ छोंड़वँ तोला ।
प्रेम के रोग लगा मन भीतर तैं तरसाय डरे हस चोला ।
हाबस गा चतुरा लबरा बड़का ठग लूट डरे बन भोला।

3  सुग्घर भाई
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रोवत हे बिटिया मन देखव कोन बँचावय मान बड़ाई ।
काबर छेंड़त हेँ इन ला बिगड़ें लड़का मन हे करलाई ।
हे बिनती अब चेत करो बरजो घर में समझावव दाई ।
ऊँखर हे जइसे बहिनी सब के बन जावँय सुग्घर भाई।

 4 लजकुरहा प्रभु राम
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राम लला अबड़े सरमावय लेगय मा जब जी बइठारे ।
दूसर के घर मा जब जावय ओ उतरे नइ गोद उतारे ।
खाय नहीं कतको कहि डारँय काह नहीं मुसकी बस ढारे ।
होय बड़े बनवास गये तब बोइर  खा सबरी तँय तारे।

5  चितचोर
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धेनु चरा अउ रास रचा बँसुरी ल बजा चितचोर कहाये ।
दूध दही जब बेंचय ग्वालिन मार गुलेल म रार मचाये ।
चोर बने तँय माखन खातिर दू मन आगर खाय खवाये ।
मातु जसोमति ला रिसवा सिधवा बन के तँय पेंड़ बँधाये।1।

मार अकासुर मार बकासुर ग्वाल सखा मन ला ग बँचाये।
खेलत गेंद गिरे जमुना तब नाँग के नाक म नाँथ लगाये ।
धर्म धजा धरके मनमोहन पाप मिटा पुन ला बगराये।
कंस ल मार डरे पटके मथुरा नगरी म धजा फहराये ।2।

दीन दुखी परजा मन ला हिरदे म बसा तँय लाज बँचाये।
मूँड़ ल काट डरे सिसुपाल के चक्र सुदर्सन हाथ घुमाये ।
कौरव के कुल नाश करे बर तैँ महभारत जुद्ध कराये ।
देख दशा बिगड़े यदुवंश के आपस मा लड़वा मरवाये।3।

रचनाकार - श्री चोवाराम वर्मा
छत्तीसगढ़

23 comments:

  1. बहुत बढ़िया सवैया बादल भैया

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  2. लाजवाब सवैया बादल भैया । बधाई हो।

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  3. बेहतरीन सवैया बादल भैया।बधाई।।

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  4. बेहतरीन सवैया बादल भैया।बधाई।।

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  5. लाजवाब मत्तगयंद सवैया,गुरुदेव बादल जी। पढ़ के मन गदगद होगे। अंतस ले बधाई अउ शुभकामना। प्रणाम।

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  6. बहुतेच बढ़िया सर जी

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  7. वाह्ह्ह्ह्ह् बादल भइया जमके मत्तगयन्द सवैया के बरसात करे हावव

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  8. वाह्ह्ह्ह्ह् बादल भइया जमके मत्तगयन्द सवैया के बरसात करे हावव

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  9. बहुतेच सुग्घर मत्तगयंद सवैया बड़े भैयाजी।
    बधाई हे।

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  10. अप्रतिम अनुपम सवैया भैया जी
    कालजयी रचना बर बधाई हो

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  11. लाजवाब मत्तगयंद सवैया छंद बादल भैया बहुत बहुत बधाई

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  12. वाह भइया बहुत सुन्दर मत्तगयंद सवैया

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  13. मत्तगयंद रचे मनमोहक मोहन के गुन सार बताये।
    भरपूर समरपन तोर दिखै,रचना अति सुंदर खूब सजाये।।
    हे मनमोहन मोर सुनौ बिनती करथौं कुछ आस लगाये।
    भाव कभू उमड़ै न मने मन, जागत सोचत रात पहाये।।

    चोवा भैया के सोच के जतका
    बखान करे जाय वो कमे परही...
    सादर बधाई उनला.....

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  14. चोवा भईया जी... बहुँत सुघ्घर बधाई आपमन ल

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  15. चोवा भईया जी... बहुँत सुघ्घर बधाई आपमन ल

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  16. लाजवाब रचना भैया जी बधाई ।

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  17. बहुत सुग्घर सर।सादर बधाई

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  18. बहुत सुग्घर सर।सादर बधाई

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  19. बहुत सुग्घर सर।सादर बधाई

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  20. बड़ सुघ्घर-सुघ्घर मालती सवैया छंद बर बादल भैया ल बधाई।

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  21. बेहतरीन गुरु जी

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