मत्तगयन्द सवैया - श्री चोवाराम वर्मा
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1 पिछवाय किसानी
सावन हे मनभावन आज घटा झकझोर गिरावत पानी।
धार गली बड़ रेंगत हे मटकावत हे खपरा अउ छानी।
अब्बड़ जी चमके बिजुरी जस ओखर हावय छाय जवानी ।
दादुर गीत सुनावत हे भइया के हवे पिछुवाय किसानी।
2 राधा के ताना
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संग धरे बदनाम करे अब छोंड़ के काबर जाथस मोला ।
तोर बिना मँय जी नइ पावँव मोहन मैं नइ छोंड़वँ तोला ।
प्रेम के रोग लगा मन भीतर तैं तरसाय डरे हस चोला ।
हाबस गा चतुरा लबरा बड़का ठग लूट डरे बन भोला।
3 सुग्घर भाई
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रोवत हे बिटिया मन देखव कोन बँचावय मान बड़ाई ।
काबर छेंड़त हेँ इन ला बिगड़ें लड़का मन हे करलाई ।
हे बिनती अब चेत करो बरजो घर में समझावव दाई ।
ऊँखर हे जइसे बहिनी सब के बन जावँय सुग्घर भाई।
4 लजकुरहा प्रभु राम
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राम लला अबड़े सरमावय लेगय मा जब जी बइठारे ।
दूसर के घर मा जब जावय ओ उतरे नइ गोद उतारे ।
खाय नहीं कतको कहि डारँय काह नहीं मुसकी बस ढारे ।
होय बड़े बनवास गये तब बोइर खा सबरी तँय तारे।
5 चितचोर
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धेनु चरा अउ रास रचा बँसुरी ल बजा चितचोर कहाये ।
दूध दही जब बेंचय ग्वालिन मार गुलेल म रार मचाये ।
चोर बने तँय माखन खातिर दू मन आगर खाय खवाये ।
मातु जसोमति ला रिसवा सिधवा बन के तँय पेंड़ बँधाये।1।
मार अकासुर मार बकासुर ग्वाल सखा मन ला ग बँचाये।
खेलत गेंद गिरे जमुना तब नाँग के नाक म नाँथ लगाये ।
धर्म धजा धरके मनमोहन पाप मिटा पुन ला बगराये।
कंस ल मार डरे पटके मथुरा नगरी म धजा फहराये ।2।
दीन दुखी परजा मन ला हिरदे म बसा तँय लाज बँचाये।
मूँड़ ल काट डरे सिसुपाल के चक्र सुदर्सन हाथ घुमाये ।
कौरव के कुल नाश करे बर तैँ महभारत जुद्ध कराये ।
देख दशा बिगड़े यदुवंश के आपस मा लड़वा मरवाये।3।
रचनाकार - श्री चोवाराम वर्मा
छत्तीसगढ़
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1 पिछवाय किसानी
सावन हे मनभावन आज घटा झकझोर गिरावत पानी।
धार गली बड़ रेंगत हे मटकावत हे खपरा अउ छानी।
अब्बड़ जी चमके बिजुरी जस ओखर हावय छाय जवानी ।
दादुर गीत सुनावत हे भइया के हवे पिछुवाय किसानी।
2 राधा के ताना
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संग धरे बदनाम करे अब छोंड़ के काबर जाथस मोला ।
तोर बिना मँय जी नइ पावँव मोहन मैं नइ छोंड़वँ तोला ।
प्रेम के रोग लगा मन भीतर तैं तरसाय डरे हस चोला ।
हाबस गा चतुरा लबरा बड़का ठग लूट डरे बन भोला।
3 सुग्घर भाई
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रोवत हे बिटिया मन देखव कोन बँचावय मान बड़ाई ।
काबर छेंड़त हेँ इन ला बिगड़ें लड़का मन हे करलाई ।
हे बिनती अब चेत करो बरजो घर में समझावव दाई ।
ऊँखर हे जइसे बहिनी सब के बन जावँय सुग्घर भाई।
4 लजकुरहा प्रभु राम
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राम लला अबड़े सरमावय लेगय मा जब जी बइठारे ।
दूसर के घर मा जब जावय ओ उतरे नइ गोद उतारे ।
खाय नहीं कतको कहि डारँय काह नहीं मुसकी बस ढारे ।
होय बड़े बनवास गये तब बोइर खा सबरी तँय तारे।
5 चितचोर
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धेनु चरा अउ रास रचा बँसुरी ल बजा चितचोर कहाये ।
दूध दही जब बेंचय ग्वालिन मार गुलेल म रार मचाये ।
चोर बने तँय माखन खातिर दू मन आगर खाय खवाये ।
मातु जसोमति ला रिसवा सिधवा बन के तँय पेंड़ बँधाये।1।
मार अकासुर मार बकासुर ग्वाल सखा मन ला ग बँचाये।
खेलत गेंद गिरे जमुना तब नाँग के नाक म नाँथ लगाये ।
धर्म धजा धरके मनमोहन पाप मिटा पुन ला बगराये।
कंस ल मार डरे पटके मथुरा नगरी म धजा फहराये ।2।
दीन दुखी परजा मन ला हिरदे म बसा तँय लाज बँचाये।
मूँड़ ल काट डरे सिसुपाल के चक्र सुदर्सन हाथ घुमाये ।
कौरव के कुल नाश करे बर तैँ महभारत जुद्ध कराये ।
देख दशा बिगड़े यदुवंश के आपस मा लड़वा मरवाये।3।
रचनाकार - श्री चोवाराम वर्मा
छत्तीसगढ़
बहुत बढ़िया सवैया बादल भैया
ReplyDeleteलाजवाब सवैया बादल भैया । बधाई हो।
ReplyDeleteबेहतरीन सवैया बादल भैया।बधाई।।
ReplyDeleteबेहतरीन सवैया बादल भैया।बधाई।।
ReplyDeleteलाजवाब मत्तगयंद सवैया,गुरुदेव बादल जी। पढ़ के मन गदगद होगे। अंतस ले बधाई अउ शुभकामना। प्रणाम।
ReplyDeleteबहुतेच बढ़िया सर जी
ReplyDeleteवाह्ह्ह्ह्ह् बादल भइया जमके मत्तगयन्द सवैया के बरसात करे हावव
ReplyDeleteवाह्ह्ह्ह्ह् बादल भइया जमके मत्तगयन्द सवैया के बरसात करे हावव
ReplyDeleteबहुतेच सुग्घर मत्तगयंद सवैया बड़े भैयाजी।
ReplyDeleteबधाई हे।
अप्रतिम अनुपम सवैया भैया जी
ReplyDeleteकालजयी रचना बर बधाई हो
लाजवाब मत्तगयंद सवैया छंद बादल भैया बहुत बहुत बधाई
ReplyDeleteवाह भइया बहुत सुन्दर मत्तगयंद सवैया
ReplyDeleteमत्तगयंद रचे मनमोहक मोहन के गुन सार बताये।
ReplyDeleteभरपूर समरपन तोर दिखै,रचना अति सुंदर खूब सजाये।।
हे मनमोहन मोर सुनौ बिनती करथौं कुछ आस लगाये।
भाव कभू उमड़ै न मने मन, जागत सोचत रात पहाये।।
चोवा भैया के सोच के जतका
बखान करे जाय वो कमे परही...
सादर बधाई उनला.....
चोवा भईया जी... बहुँत सुघ्घर बधाई आपमन ल
ReplyDeleteचोवा भईया जी... बहुँत सुघ्घर बधाई आपमन ल
ReplyDeleteलाजवाब रचना भैया जी बधाई ।
ReplyDeleteबहुत सुग्घर सर।सादर बधाई
ReplyDeleteबहुत सुग्घर सर।सादर बधाई
ReplyDeleteबहुत सुग्घर सर।सादर बधाई
ReplyDeleteबड़ सुघ्घर-सुघ्घर मालती सवैया छंद बर बादल भैया ल बधाई।
ReplyDeleteशानदार बादल भैया
ReplyDeleteशानदार बादल भैया
ReplyDeleteबेहतरीन गुरु जी
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