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Sunday, November 12, 2017

सरसी छन्द - शकुन्तला शर्मा

सरसी छन्द -  शकुन्तला शर्मा

तुलसी

आशा के प्रतीक ए तुलसी धरिस एक अभियान
राम - नाव के पाइस डोगा शकुन देख अउ जान ।

रामचरित आधार बनिस हे जाग शकुन तै आज
पय-डगरी जब मिल जाथे तव सुफल होय सब काज ।

जैसे सोच समझ फल तैसे चिंतन लै आकार
शुभ चिंतन के फल भी शुभ हे देख शकुन हर बार ।

तुलसी राज-धर्म समझाइस शकुन तोर  अधिकार
धर्म - अर्थ चारों ला पा ले भवसागर कर पार ।

मनखे जनम बहुत दुर्लभ हे शकुन बात ला मान
धर्म गली मा चल तुलसी कस तै मत बन अनजान ।

तुलसी - बबा बताइस धरसा शकुन तहू पहिचान
अब दिन बूडत हावै नोनी झट के तंबू तान ।

  रचनाकार - शकुन्तला शर्मा, भिलाई, छत्तीसगढ़

7 comments:

  1. अनुपम अउ अनुकरणीय सरसी छंद,दीदी।सादर बधाई।

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  2. वाह्ह्ह् वाह्ह्ह् दीदी शानदार रचना।सादर बधाई

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  3. वाह्ह्ह् वाह्ह्ह् दीदी शानदार रचना।सादर बधाई

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  4. घातेच सुघ्घर सरसी दीदी

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  5. अति सुन्दर सरसी दीदी।

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  6. वाह्ह्ह्ह्ह् दीदी अब्बड़ सुग्घर रचना ,सादर प्रणाम

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