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Monday, December 11, 2017

सार छन्द - श्रीमती आशा देशमुख

दुखिया के गोठ

कइसन दिन आगय वो फूफू ,बोलत हवे भतीजा |
पाक गए वो नीम धतूरा ,निकलत हावय बीजा |

हाँथ गोड़ मा फोरा परगे ,आँखी अँधरी होगे ,
अंतस होगे छर्री दर्री ,का करनी ला भोगे |

मोर सायकिल के पैडिल हा ,माढ़े हावय टूटे |
हाथी बर अब बाड़ा नइहे ,राजमहल हा फूटे |

नरम मुलायम मीठ मिठाई ,अब तो चेम्मर लागे ,
दाँत ओंठ हा बइठत हावय ,मन हा पल्ला भागे |

हमर जमाना मा वो फूफू ,सबो रिहिस हे सच्चा |
आज मशीन घलो हा देवय ,हमर भाग ला गच्चा |

बखत बखत के फेर भतीजा ,रानी भरथे पानी |
समझावत हे फूफू दीदी ,अखिल लोक कस ज्ञानी 

झूठ लबारी अँधियारी के ,कब तक चलही माया |
दिन के भरे घाम मा तपथे ,सब प्रानी के काया 

 रचनाकार - श्रीमती आशा देशमुख 
 एन टी पी सी कोरबा, छत्तीसगढ़ 

21 comments:

  1. अन्तस् ले आभार गुरुदेव
    मोर छंद रचना हा
    छंद खजाना म स्थान पावत हे।
    बहुत बहुत आभार नमन गुरुदेव

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  2. दुखिया के गोठ ला सार छंद मा बहुचेत मार्मिक भाव मामा प्रस्तुत करे गे हावय।
    आशा देशमुख जी ला लाजवाब सृजन बर हार्दिक बधाई ।

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  3. सुघ्घर सार छंद आशा बहिनी बहुत बढ़ियाँ सृजन बर बधाई

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  4. छत्तीसगढिया सबले बढ़िया, मन भर राखव आशा
    आशा - धर के रेंगव भइया, छोड़व सबो निराशा।

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  5. वाह्ह्ह्ह्ह् दीदी सुग्घर रचना

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  6. जब किसी को अपना निकलना रहता है और स्वार्थ पूर्ति हेतु दुश्मन भी दोस्त बन जाते है ,और यहां तक होता है रिश्ते नाते बनाने लग जाते है ,जब राजगद्दी की बात होती है तब तो और मत पूछिए ,।
    इसी को व्यंग्य रचना के तौर एक दूसरे की पीड़ा को जो नाते रिश्ते में स्वार्थ पूर्ति करते हैं ,उनके संवाद को सृजन किया है ।
    अब कौन बुआ है कौन भतीजा
    पाठक बेहतर समझ सकते है।
    धन्यवाद

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  7. जब किसी को अपना निकलना रहता है और स्वार्थ पूर्ति हेतु दुश्मन भी दोस्त बन जाते है ,और यहां तक होता है रिश्ते नाते बनाने लग जाते है ,जब राजगद्दी की बात होती है तब तो और मत पूछिए ,।
    इसी को व्यंग्य रचना के तौर एक दूसरे की पीड़ा को जो नाते रिश्ते में स्वार्थ पूर्ति करते हैं ,उनके संवाद को सृजन किया है ।
    अब कौन बुआ है कौन भतीजा
    पाठक बेहतर समझ सकते है।
    धन्यवाद

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  8. सार बात ला बने मड़ाइन, बहिनी हमरे आशा।
    दुनिया भर मा होवत रहिथे, का का नई तमाशा।।

    छत्तिसगढ़िया सबले बढ़िया, एला साबित करबो।
    साहित के बोहावय दरिया, बात इही हम धरबो।।
    बहिनी के सुंदर सार छंद....बधाई बहिनी

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  9. वाह्ह वाह्ह बहुत सुग्घर रचना दीदी।बधाई

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  10. वाह्ह वाह्ह बहुत सुग्घर रचना दीदी।बधाई

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  11. बहुत सुग्घर सार छंद सिरजाय हव,दीदी बधाई अउ शुभकामना।

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  12. बहुत सुग्घर सार छंद सिरजाय हव,दीदी बधाई अउ शुभकामना।

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  13. वाह वाह दीदी,अति उत्तम

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