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Thursday, December 7, 2017

शक्ति छंद - श्री मोहनलाल वर्मा

सरग निसैनी -

भजन नइ करे तँय सियाराम के।
कभू नइ जपे तँय बिना काम के।
करे काय हावस इहाँ आय के।
बता दे सबो आज फरियाय के।।1।।

फँसे रात दिन तँय मया जाल मा।
भरे पाप कोठी अपन चाल मा।
बने काम करके सबो हाल मा।
बनौका बनाले बुढ़त काल मा।।2।।

बसा साँस मा ले सियाराम ला।
तहूँ पाय लेबे परमधाम ला।
भजन कर सबो दिन समय पाय के।
निसैनी बनाले सरग जाय के।।3।।

लगा भक्ति चंदन सदा माथ मा।
बना मुक्ति मारग अपन हाथ मा।
रहस नइ पियासे कुआँ कोड़ के।
रखे रहि भरोसा गरब छोड़ के।।4।।

परोसी रहिस तोर जब गा दुखी।
जुगत नइ लगाये करे बर सुखी।
कभू तो करे कर करम दान के।
दरश पाय खातिर ग भगवान के।।5।।

गये गा  शरण नइ बिना मान के।
लिखे नाँव सूची म धनवान के।
इहें छूट जाही सबो चीज हा।
करम खेत बो भक्ति के बीजहा।।6।।

लिखे भाग ला जी उही राम हे।
धरम काज मा ओकरे धाम हे।
करम खेल करथन सबो साथ मा।
बँधे डोर जे राम के हाथ मा।।7।।

रचनाकार - श्री मोहनलाल वर्मा
ग्राम अल्दा (तिल्दा), जिला रायपुर
छत्तीसगढ़

11 comments:

  1. बहुते सुघ्घर शक्ति छंद सिरजाय हव भाई मोहन जी

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    1. आप सबो के आशीर्वाद अउ मार्गदर्शन हे,दीदी।आभार।

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  2. अब्बड़ सुघ्घर शक्ति छंद सिरजाय हवव मोहन भाई।।बधाई

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  3. Replies
    1. प्रणामदीदी।आप सबो के मया दुलार सदा मिलत ।

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  4. आध्यात्म ला पिरोये मोहन लाल जी के अनुपम शक्ति छंद। हार्दिक बधाई।

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    1. आप सबो के आशीर्वाद अउ मार्गदर्शन हाबय गुरुदेव।सादर प्रणाम।

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  5. बहुत सुग्घर रचना सर।सादर बधाई

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  6. बहुत सुग्घर रचना सर।सादर बधाई

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  7. बने बात तैं तो लिखे सोच के।
    हरी नाम हावै दवा मोच के।।
    तभोले भुलाथें हमेशा कहौं।
    बड़ा हे कठिन गा कहाँ मैं रहौं।।

    बड़ मुश्किल म नानमुन लिखाथे जी...
    बढ़िया हे भाई....
    बधाई....

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