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Friday, January 12, 2018

दोहा गीत - श्री जीतेन्द्र वर्मा खैरझिटिया

मड़ई मेला

मोर  गाँव  दैहान   मा,मड़ई  गजब भराय।
दुरिहा दुरिहा के घलो,मनखे मन जुरियाय।

कोनो सँइकिल मा चढ़े,कोनो खाँसर फाँद।
कोनो  रेंगत  आत   हे,झोला   झूले  खाँद।
मड़ई मा मन हा मिले,बढ़े मया अउ मीत।
जतके हल्ला होय जी,लगे  ओतके  गीत।
सब्बो रद्दा बाट मा,लाली कुधरिल छाय।
मोर गाँव दैहान  मा,मड़ई  गजब भराय।

किलबिल किलबिल हे करत,गली खोर घर बाट।
मड़ई   मनखे    बर    बने,दया   मया   के   घाट।
संगी  साथी  किंजरे,धरके देखव हाथ।
पाछू  मा  लइका चले,दाई  बाबू साथ।
मामी मामा मौसिया,पहिली ले हे आय।
मोर गाँव  दैहान मा,मड़ई गजब भराय।

ओरी   ओरी   बैठ  के,पसरा  सबो   लगाय।
सस्ता मा झट लेव जी,कहिके बड़ चिल्लाय।
नान  नान  रस्ता  हवे,सइमो  सइमो होय।
नान्हे लइका जिद करे,चपकाये बड़ रोय।
खई खजानी खाय बर,लइका रेंध लगाय।
मोर  गाँव  दैहान  मा,मड़ई  गजब भराय।

चना चाँट गरमे गरम,गरम जलेबी लेव।
बड़ा  समोसा  चाय हे,खोवा पेड़ा सेव।
भजिया बड़ ममहात हे,बेंचावय कुसियार।
घूमय तीज तिहार कस,होके सबो तियार।
फुग्गा मोटर कार हा,लइका ला रोवाय।
मोर गाँव दैहान  मा,मड़ई गजब भराय।

बहिनी मन सकलाय हे,टिकली फुँदरी तीर।
सोना  चाँदी  देख  के, धरे  जिया  ना  धीर।
जघा जघा बेंचात हे, ताजा ताजा साग।
बेंचइया चिल्लात हे,मन भावत हे  राग।
खेल मदारी ढेलुवा,सबके मन ला भाय।
मोर गाँव दैहान  मा,मड़ई गजब भराय।

चँउकी  बेलन बाहरी,कुकरी मछरी गार।
साज सजावट फूल हे,बइला के बाजार।
लगा  हाथ  मा   मेंहदी,दबा  बंगला   पान।
ठंडा सरबत अउ बरफ,कपड़ा लगे दुकान।
कई किसम के फोटु हे, देखत बेर पहाय।
मोर  गाँव दैहान  मा,मड़ई  गजब भराय।

जिया भरे झोला भरे,मड़ई मनभर घूम।
संगी साथी सब मिले,मचे रथे बड़ धूम।
दिखे कभू दू चार ठन,दुरगुन एको छोर।
मउहा पी कोनो लड़े,कतरे पाकिट चोर।
मजा उही हा मारही,मड़ई जेहर आय।
मोर गाँव दैहान मा,मड़ई गजब भराय।

जीतेन्द्र वर्मा "खैरझिटिया"
बाल्को(कोरबा)

17 comments:

  1. बहुत बहुत बधाई, जितेन्द्र। बहुत बढिया लिखे हस ।

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  2. सुन्दर दोहा गीत जितेंद्र भैया

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  3. सुन्दर दोहा गीत जितेंद्र भैया

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  4. बहुत सुंदर दोहा गीत जितेंद्र भैया
    बधाई हो आप ला

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  5. वाह्ह भईया अब्बड़ सुग्घर दोहा गीत गजब वर्णन भईया

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  6. वाह्ह वाह्ह्ह् सरजी लाजवाब दोहा छंद मा रचना।सादर बधाई

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  7. वाह्ह वाह्ह्ह् सरजी लाजवाब दोहा छंद मा रचना।सादर बधाई

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  8. मड़इ भरय जी गाँव मा, करथँव सुरता आज।
    लइकइ मा हमरो रहय,कतका बढ़िया राज।।

    बने मढ़ाये हव इहाँ, मड़इ गाँव के हाल।
    फेर आज के हाल हे, बड़ जी के जंजाल।।

    बढ़िया बरनन भाईईईई... मड़ई के....
    सादर नमस्कार

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  9. बहुत ही शानदार दोहा गीत लिखे हवा भैया जी। बहुत बहुत बधाई अउ शुभकामनाएं।

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  10. बहुते बढ़िया दोहा गीत हे भाई जितेंन्द्र

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  11. बहुते बढ़िया दोहा गीत हे भाई जितेंन्द्र

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  12. बहुत सुग्घर दोहा गीत हे भइया, मन मतंग हो जाते छत्तीसगढ़ी के बढ़त साहित्य कोठी ल देख के।

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  13. बहुत सुग्घर दोहा गीत हे भइया, मन मतंग हो जाते छत्तीसगढ़ी के बढ़त साहित्य कोठी ल देख के।

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  14. लाजवाब दोहा गीत वर्मा जी।

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