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Thursday, February 1, 2018

सरसी छंद - श्री जगदीश "हीरा"साहू

काया खंडी -

मनखे अच ता मनखे कस रह, झन उलझा तँय काम।
अपन जनम ला सफल बनाले, लेवत गा प्रभु नाम।।1।।

कहना मान मोर गा भाई, हरी नाम हे सार।
माया के चक्कर मा झन फँस, सबकुछ हे बेकार।।2।।

जिनगी दूभर हो जाही गा, भटकत सुबहों शाम।
 जिनगी भर पछताबे तैहा, नइ गाबे प्रभु नाम।।3।।

पाप करे ले नरक भोगबे, खाबे यम के मार।
खौलत पानी मा ओमन जी, तोला दिही उतार।।4।।

तड़पत रहिबे दुख मा भाई, सुरता आही बात।
भटकत रहिबे जनम जनम तँय, आनी बानी खात।।5।।


साँप-डेरु अउ बिच्छी कीरा, बघवा छेरी गाय।
बइला भइसा जोनी पाके, मालिक संग कमाय।।6।।

अपन करम ला आज सँवारौ, लेके शिव के नाम।
सबो जनम बर तार दिही वो,भोले सुख के धाम।।7।।

तोर करम जब बढ़िया रइही, मिलही तोला राज।
ये जग हावय करम भरोसा, कहिथे संत समाज।।8।।

रचनाकार - श्री जगदीश "हीरा"साहू
कड़ार (भाटापारा)
छ.ग.

28 comments:

  1. बहुत बढ़िया सर जी बधाई हो

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  2. छत्तीसगढिया सबले बढिया, सुग्हर सरसी छंद
    जगदीश अनुज मोर लिखे हे,आइस हे आनंद।

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  3. छत्तीसगढिया सबले बढिया, सुग्हर सरसी छंद
    हीरा भाई बने लिखिस हे, आइस हे आनंद।

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  4. बहुत सुन्दर सरसी छंद जगदीश भाई

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  5. बहुत बढ़िया जगदीश भाई
    सुघ्घर भाव सृजन हे।

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  6. बहुत सुग्घर भावपूर्ण रचना भैया।सादर बधाई

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  7. बहुत सुग्घर भावपूर्ण रचना भैया।सादर बधाई

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  8. बहुत बढ़िया सरसी छंद जगदीश जी।हार्दिक बधाई।

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    1. आभार गुरूजी, आप सब के मया अइसने मिलत रहय

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  9. बहुत ही बढ़िया जगदीश भाई

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  10. बहुत ही बढ़िया जगदीश भाई

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  11. सही कहे हस करही ओही, सबके नैया पार।
    पापी अन हम कब का होही, जाना यम के द्वार।।
    बहुत बढ़िया भाई...बधाई आप ला

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  12. बधाई हो जगदीश जी
    सुग्घर सरसी छन्द गढ़े हव

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  13. बहुत सुग्घर,सरसी छन्द हे ,हीरा भाई। बधाई अउ शुभकामनाएं।

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद भैया जी

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    2. बहुत बहुत धन्यवाद भैया जी

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