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Thursday, February 1, 2018

कुण्डलिया छन्द - श्री असकरन दास जोगी

माते कड़कत जाड़ हे,हबरे हमरो तीर !
ओढ़े बइठे साल ले,डरथे कतको बीर !!
डरथें कतको बीर,तान के आगी बारव !
पहिरव चमकत कोठ,जाड़ ले आँसो टारव !!
होवत नइहे घाम,सुरुज ला खींचत लाते !
कटकट करथे दाँत,बने अस जाड़ा माते !!1!!

बेटी पढ़बे आज वो,रोसन करबे नाँव !
दुलरी गढ़बे भाग तँय,बनबे सुख के छाँव !!
बनबे सुख के छाँव,टार ले जग अनहोनी !
अबड़े पाबे मान,लान पोथी पढ़ नोनी !!
नारी समरथ लाज,बनाके धरबे पेटी !
रोसन करबे नाँव,दमक के पढ़बे बेटी !!2!!

आसन बइठे संत हे,जोहय नयना आज !
काया माया तंग हे,राखव सतगुरु लाज !!
राखव सतगुरु लाज,छिटक के निरमल पानी !
तारव हंसा खोज,आप हव परम गियानी !!
पावन संगत छाँव,सुआ कस सुघ्घर बासन !
हबरव जी घर मोर,सजे हे सतगुरु आसन !!3!!

काटे लकड़ी रोज तँय,फाती करते आज !
आगी बरही पोठ जी,चुलहा करही राज !!
चुलहा करही राज,बने अस चुरही जेवन !
मरही कतको भूँख,सबो झन करहीं सेवन !!
गाँजे लकड़ी लान,चीर दे साँटे-साँटे !
कबके माढ़े ताय,परे हे काटे-काटे !!4!!

भाजी चुरगे साध के,लेड़गा पइधे आय !
हरियर-हरियर डार हे,खेंड़हा भाजी ताय !!
खेंड़हा भाजी ताय,महीं मा अड़बड़ खाथें !
घपटे बारी पोठ,कोड़ के कतको लाथें !!
बेंचे जाते आज,देख हो जाते राजी !
धरते बोझा बाँध,बेंच के आते भाजी !!5!!

जोहत आज बसंत ले,आही कइके संत !
मातत-झुमरत आत हे,लागत निच्चट कंत !!
लागत निच्चट कंत,पंचमी आँसो छाहित !
आमा मँउरे डार,बेंदरा मारत राहित !!
कतको बनही बात,माँघ तो मनवा मोहत !
पावत नइहे संत,मया के रद्दा जोहत !!6!!

माते हावे खेत में,सरसो ओरी ओर !
ताना हमला देत हे,परसो भेजे सोर !!
परसो भेजे सोर,हबर नइ पाये चिट्ठी !
पारत खिड्डी कार,रिसा झन होले मिट्ठी !!
काहे देथच दोस,तहीं हर गाँवे आते !
सरसो ओरी ओर,खेत में हावे माते !!7!!

जाड़ा भागत छोड़ के,माँघी आये देख !
कहरे-महरे पोठ जी,अँगना तोर सरेख !!
अँगना तोर सरेख,आत हे गरमी बेरा !
बाँदर आही रोज,छानही परही डेरा !!
होबे कतका खार,हरक के टारत गाड़ा !
माँघी आये देख,छोड़ के भागत जाड़ा !!8!!

टोरे पाना डार कस,होगे तन के हाल !
बिरहा आगी लेस के,ठोंक बजावय गाल !!
ठोंक बजावय गाल,बाँध के सुरती डोरी !
सुनथच मोर बसंत,बात नइ माने गोरी !!
कतका तरसवँ दोस,परत हे ताना तोरे !
होगे बारा हाल,मया के पाना टोरे !!9!!

माते फूल बसंत के,भँवरा मनवा भाय !
देखे ताके टेंड़ के,लाहो लेहे आय !!
लाहो लेहे आय,करे चुहके के जोखा !
काँटा लेवत टार,उदिम तो हावय चोखा !!
झुमरे भँवरा देख,कहाँ तँय देखे पाते !
भँवरा मनवा भाय,फूल तो चुहके माते !!10!!

डारव खातू खेत में,डुठरा होवत धान !
पानी बरसे झोर के,अइला जावत पान !!
अइला जावत पान,डार दव खातू माटी !
रुपिया लागय लाख,लान लव दवई खाँटी !!
कतको बाधा आय,फेर मेहनत मँ मारव !
हरिया जावय धान,बने अस खेत म डारव !!11!!

ठलहा होगे हाल हर,ताना सुनत पहावँ !
खोजे न मिले नौकरी,जाँगर चोर कहावँ !!
जाँगर चोर कहावँ,नौकरी साहब देथे !
बेंचे कइथे खेत,दमक के वो घुँस लेथे !!
अइसन मोरे हाल,जइसने बइला बलहा !
ताना सुनत पहावँ,बितावँव दिन ला ठलहा !!12!!

लाते गमछा सेत के,राजा पुरखा तान !
छत्तीसगढ़ हमार हे,धँवरा गमछा सान !!
धँवरा गमछा सान,बाँध के पागा देखन !
तातर मेछा राख,गली में अँइठत रेंगन !!
धर के पइसा आज,सेठ सो लेके आते !
राजा पुरखा तान,सेत के गमछा लाते !!13!!

हाँसत हावय देख के,बइरी चंदा आज !
बाढ़त पीरा मोर रे,आवत नइहे लाज !!
आवत नइहे लाज,हाँस के देखच मोला !
पीरा होगे गाढ़,सोर तो लमरा ओला !!
हिरदे कलपे रोज,लुका के काहे पासत !
बइरी चंदा आज,देख के हावय हाँसत !!14!!

चाँदी असन चक-चमकत,आगे फागुन फेर !
माते चारो ओर रे,खेलत हावय घेर  !!
खेलत हावय घेर,गुलाबी बढ़िया छाही !
रंगत हमला रंग,बछर भर सुरता आही !!
तरसे सरपट खार,सुखागे कइसे काँदी !
आगे फागुन फेर,दिखत हे जइसे चाँदी !!15!!

रचनाकार-श्री असकरन दास जोगी
पता:ग्राम-डोंड़की,पोस्ट+तहसील-बिल्हा,जिला-बिलासपुर(छ.ग.)
www.antaskegoth.blogspot.com

14 comments:

  1. बहुत सुघ्घर हे विषय भाव मन भाई आसकरण
    बहुत बहुत बधाई।

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  2. आदरणीय निगम गुरुदेव ल बहुत बहुत धन्यवाद 🌸🌼🙏

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  3. वाह, सुग्हर कुण्डली मन मम्हावत घलाव हें, असकरण।

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  4. बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय दीदी जी

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  5. बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय दीदी जी

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  6. बहुत सुग्घर,कुण्डलियां छंद भैया। बधाई अउ शुभकामनाएं।

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