Followers

Monday, February 26, 2018

आल्हा छन्द - श्री जगदीश हीरा साहू

अंगद रावण संवाद

दूत  बनाके  अंगद  जी  ला,  लंका  मा  भेजे  श्रीराम।
समझाबे रावण ला जाके, बन जाही जी हमरो काम।।

अंगद जावय तुरते  लंका, पहुँच गए रावण दरबार।
पूछय रावण कोनच तैहा, आये हच काबर ये पार।।

रावण ला  समझावय  अंगद, झन  कर  शंका  कहना मान।
अबड़ कृपा करथे प्रभु राघव, झन तँय ओला मनखे जान।।

सीता ला  लहुटादे  तैहा, बैर  छोड़के  कुल  ला तार।
अजर अमर हो जाबे तैहा, सुरता रखही जी संसार।।

रावण हा गुस्साके कहिथे, नइ चाही  फोकट के ज्ञान।
अपन भलाई चाहत हच ता, भाग इहाँ ले लेके जान।।

नइते  आजा  मोर  शरण मा, ताकत ला नइ  जानच मोर।
थर-थर काँपय ये दुनिया हा, का सकही मालिक हा तोर।।

गुस्साके अंगद हा कहिथे, फोकट के फाँकी झन मार।
पाँव पटक के बोलय सबला, हिम्मत हे ता येला टार।।

लहुट जही  प्रभु राम अवधपुर, सीता ला  जाहूँ मैं हार।
सुनके रावण गरजत कहिथे, मौका हावय जी ए बार।।

सुनके सब राक्षस मन दौड़े,  उठा सकय ना अंगद पाँव।
तब रावण  हा मन मा  सोचय, पाँव  उठाये मैंहा जाँव।।

आवत  देखय  जब  रावण ला, अपन  पाँव  ला देथे टार।
मोर पाँव ले गति नइ बनही, प्रभु ला भजके सबला तार।।

जावत हौं तँय  सुरता  रखबे, झन बिसराबे तैहा ज्ञान।
पाँव धरे बिन प्रभु के रावण, नइ होवय तोरे कल्यान।।

रचनाकार - श्री जगदीश "हीरा" साहू
कड़ार (भाटापारा)
छत्तीसगढ़

28 comments:

  1. बहुत बढ़िया आल्हा साहू जी

    ReplyDelete
  2. बहुत बढ़िया आल्हा साहू जी

    ReplyDelete
  3. जबदस्त जगदीश जी वाह....

    ReplyDelete
  4. जबदस्त जगदीश जी वाह....

    ReplyDelete
  5. जबदस्त जगदीश जी वाह....

    ReplyDelete
  6. जबदस्त जगदीश जी वाह....

    ReplyDelete
  7. सुग्घर रचना साहू भाई

    ReplyDelete
  8. कथा गीत हे बहुत जरूरी, लिखव सबो झन छंद सुजान
    अपन देश के संस्कार के, दुनियाँ भर मा करव बखान ।

    ReplyDelete
  9. वाहःहः बहुते सुघ्घर सृजन हे भाई

    ReplyDelete
  10. गजब के आल्हा सिरजाय हव हीरा भाई।बधाई

    ReplyDelete
  11. वाह्ह्ह् वाह्ह्ह् अति सुंदर रचना सर।बधाई

    ReplyDelete
  12. वाह्ह्ह् वाह्ह्ह् अति सुंदर रचना सर।बधाई

    ReplyDelete
  13. वाह्ह शानदार आल्हा सर जी।

    ReplyDelete
  14. वाह वाह बेहतरीन आल्हा छंद हे भाई। बधाई अउ शुभकामनाएं ।

    ReplyDelete