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Monday, March 19, 2018

कुकुभ छंद - श्री जीतेंद्र वर्मा"खैरझिटिया"

आबे महामाई अँगना

आबे  दाई  अँगना  मोरे, बोये  हौं  जोत  जँवारा।
मगन हवे घर भरके मनखे,मगन हवे आरा पारा।

घर दुवार हा लिपा छभागे,बरगे बड़ रिगबिग जोती।
हूम   धूप   के  धुँवा  उड़ावै,लागे   जइसे  सुरहोती।
केरा  खाँम  गड़े घर आघू,लहरावय ध्वजा पताका।
हाँस हाँस लइका मन खेले,नाचय पारय बड़ हाँका।
तोरन ताव सजे सब कोती,खोंचाये आमा डारा।
आबे  दाई  अँगना  मोरे,बोये  हौं  जोत  जँवारा।

सइमो सइमो करे दुवारी,सबके हे आना जाना।
लाली  कारी स्वेत पताका,माड़े हे लीम्बू बाना।
झाँझ मँजीरा माँदर बाजे,होवै जपतप जस सेवा।
पंडा  नाचे   सेउक  नाचे,नाचे  आके   सब  देवा।
सुवा परेवा गीत सुनावै,बाँटत हे कँउवा चारा।
आबे  दाई  अँगना  मोरे,बोये हौं जोत जँवारा।

टिकली  फुँदरी  माला  मुँदरी,चघे सबो ओरी पारी।
खीर पुड़ी पकवान चढ़ावैं,सबझन भरभर के थारी।
चैत महीना लागे पावन,मन ला भाये पुरवाही।
देबे  दर्शन  तैंहा  माई,तन  मन  तब्भे  हर्षाही।
गूँजत हावय चारो कोती,जय माता दी के नारा।
आबे  दाई  अँगना  मोरे,बोये  हौं  जोत जँवारा।

रचनाकार - श्री जीतेंद्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को(कोरबा)

18 comments:

  1. बड़ सुग्घर वर्मा भाई।कुकुभ छंद मा सुग्घर माँ के गुड़ ल गाये हव।बधाई।

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  2. सुग्घर सृजन वर्मा जी

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  3. सुग्घर सृजन वर्मा जी

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  4. सुग्हर छंद लिखे हस भाई, तोला बहुत बहुत आशीष।

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    1. पायलागी दीदी।।आपके आशीष के परताप आय।।

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  5. वाह बहुत बढ़िया भईया जी

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  6. वाह बहुत बढ़िया भईया जी

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  7. बहुते बढ़िया सृजन भाई

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  8. वाह्ह वाह्हह वाह्ह अति सुन्दर रचना।

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  9. वाह्ह्ह् वाह्ह्ह् शानदार रचना सर।सादर बधाई

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  10. वाह्ह्ह् वाह्ह्ह् शानदार रचना सर।सादर बधाई

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  11. बहुत सुग्घर अउ लाजवाब भैया। बधाई अउ शुभकामना।

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