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Friday, April 6, 2018

सुमुखी सवैया - श्री जीतेन्द्र वर्मा",खैरझिटिया"

1,,उल्टा बुद्धि

धरा म खड़े मनखे मन देखव हाथ लमाय अगास हवै।
करै मन के धन मा तन के बल बुद्धि घलो सब नास हवै।
रुतोवय नीर जरा ग जिया बगरा अँधियार गियास हवै।
कहाँ करथे सत काम कभू रुपिया पइसा बस खास हवै।

2,,करजा म किसान

किसान के भाग पिसान नही अँटियावत हे ठलहा मन हा।
लदे  करजा  पथना  ग सहीं सिर मा बरसे दुख के घन हा।
अँकाल दुकाल करे बदहाल टुटे कठवा कस गा तन हा।
बियापत हे घर हा बन हा ग अतेक कहाँ दुख दे रन हा।

3,,कड़ही

चना के पिसान लगार रहे कड़ही तब तो ग मिठाय बने।
सियान घलो लइका मन संग ग खेवन खेवन खाय बने।
दहीं ग महीं अमचूर कहीं चिट राँध जिया ललचाय बने।
चुरे जब अम्मट मा मखना  तब  आगर पेट खवाय बने।

4,,कुकरी पूजै साग बर

लगे नित देख तिहार बरोबर राँध ग खावत हे कुकरी।
सगा अउ सोदर हा घर आय त मान बढ़ावत हे कुकरी।
सुवाद कहाँ अब साग ग दार म रोज ग दावत हे कुकरी।
अहार  बने  मनखे  मनके  दिन रात पुजावत हे कुकरी।

5,,वाह रे मनखे

बुता अउ काम के कारण देख मसीन बने मनखे मनहा।
बिता  भर पेट के खातिर बाजय बीन बने मनखे मनहा।
रहे नित मीत मया जल के बिन मीन  बने मनखे मनहा।
तभो  गुणवान कहावत  हे  गुणहीन बने  मनखे मनहा।

6,,उल्टा जमाना
हवे पहरा घर चोर के देखव माल गुजार ग जागत हे।
बने  मनखे मन हे बइठे लुलवा लँगड़ा मन भागत हे।
चले  नइ  जाँगर तेखर गा करजा कमिया मन लागत हे।
सबे जग देख उड़े ग हँसी सिधवा मनके अब का गत हे।

रचनाकार - श्री जीतेन्द्र वर्मा",खैरझिटिया"
बाल्को(कोरबा)
9981441795

15 comments:

  1. वाह वर्मा जी बहुत सुन्दर सुमुखी सवैया

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  2. बेहतरीन छंद रचना हे, जितेन्द्र, बहुत बहुत बधाई।

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  3. बहुत बढ़ियाँ सुमुखी सवैया जितेन्द्र भाई बधाई हो बहुत बहुत

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  4. वाह्ह अब्बड़ सुग्घर भावपूर्ण सुमुखी सवैया छंद भइया लाजावाब

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  5. बधाई हो जितेन्द्र भईया जी

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  6. बधाई हो जितेन्द्र भईया जी

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  7. बड़ सुग्घर रचना करे हव वर्मा भाई।
    बधाई।

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  8. बहुत सुग्घर अउ लाजवाब सुमुखी सवैया के सृजन। बधाई हो भैया जी।

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  9. परम् पूज्य गुरूदेव के पइयां परत आप सबो ल सादर धन्यवाद।सादर नमन

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  10. वाहःहः जितेंन्द्र भाई
    एक से बढ़कर एक विषय चयन करें हव।

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  11. वाह्ह्हब्वाह्ह्ह् लाजवाब सर।सादर बधाई

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  12. वाह्ह्हब्वाह्ह्ह् लाजवाब सर।सादर बधाई

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  13. अड़बड़ सुघर सवैया "खैरझिटिया" सर सादर बधाई।

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  14. बड़ सुग्घर सवैया भइया जी,

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  15. बड़ सुग्घर सवैया भइया जी,

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