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Wednesday, May 2, 2018

कुण्डलिया छन्द - श्री जगदीश "हीरा" साहू

बिहाव -

*मड़वा*
बेटा के मड़वा सजे,  छाये डूमर डार।
बाजय बाजा झूम के, नाचय सब परिवार।।
नाचय सब परिवार, कका काकी अउ मामी।
दीदी भाँटो पोठ, नचनिया हावय नामी।।
बूढ़ी दाई आय, मार लूगरा लपेटा।
नाचय नइ शरमाय, बिहाव रचे हे बेटा।।1।।

*चुलमाटी*
घर मा सब सकलाय हे, करथे बड़ उतलंग।
नाचत जावत हे गली, लेके बाजा संग।।
लेके बाजा संग, सबो जावय चुलमाटी।
हरदी तेल चढ़ाय, चले जइसन परिपाटी।।
बबा पहिरके सूट, डारके पटकू गर मा।
होगे हे तइयार, देख सब हाँसे घर मा।।2।।

*भड़ौनी*
जाके बर के छाँव मा, खड़े बरतिया जाय।
परघाये बर देख के, सबो घरतिया आय।।
सबो घरतिया आय, पाय जब मौका सुग्घर।
गीत भड़ौनी गाय,  बरतिया अउ दूल्हा बर।।
आनी-बानी गीत, सुने जब सब इतराके।
कतको हावय ढीठ, खड़े आगू मा जाके।।3।।

*टीकावन*
मड़वा मा दाई-ददा, बेटी पाँव पखार।
टीकावन लेके खड़े, आँखी आँसू ढार।।
आँखी आँसू ढार, सबो टीके टीकावन।
अचहर-पचहर लाय, गाय बछरू अउ पड़वा।
सबके पा आशीष, खड़े हे बेटी मड़वा।।4।।

*बिदाई*
करथे बेटी के बिदा, रुकय न आँसू धार।
सुसक-सुसक रोवय ददा, दाई कर गोहार।।
दाई कर गोहार, सहेली रोवय धरके।
पहुना बनगे आज, छूटगे अँगना घर के।।
भाई पानी लाय, पियाके पँवरी परथे।
होके सब बेहाल, बिदा बेटी के करथे।।5।।

रचनाकार - श्री जगदीश "हीरा" साहू
छत्तीसगढ़

30 comments:

  1. वाहहहहहहह!वाहहहहहहह!सुन्दर

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  2. वाहःहः भाई
    बहुत सुघ्घर कुण्डलिया छंद सिरजाय हव।
    बिहाव के हर रस्म ला अति सुघ्घर तरीका से लिखे हव।

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  3. वाह्ह् भाई, सुग्घर छंद रचना

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  4. बहुत बढिया छंद लिखे हस भाई, तोला बहुत बहत बधाई।

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    1. धन्यवाद दीदी, अइसने उत्साह बढ़ावत रइहु

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    2. धन्यवाद दीदी, अइसने उत्साह बढ़ावत रइहु

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  5. बहुत बढ़िया बधाई हो

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  6. बहुत बढ़िया बधाई हो

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  7. वाह वाह प्रसंशनीय कुण्डलिया।

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  8. जबरदस्त कुंडलियाँ छंद सर जी।बधाई।

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  9. जबरदस्त कुंडलियाँ छंद सर जी।बधाई।

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  10. वाह वाह वाह ,जबरजस्त

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  11. वाह्ह हीरा भइया बिहाव के सुग्घर बरनन लाजावाब भइया

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  12. बहुत सुग्घर सिरजन भाई जी बधाई

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