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Thursday, July 19, 2018

आल्हा छंद--श्रीमती नीलम जायसवाल

-स्वामी विवेकानंद -

दाई भुवनेश्वरी जनम दिस, अद्भुत लइका एक महान।
विश्वनाथ परिवार ल पोसय, जेखर रहिस इही संतान।। 1।।

कोलकता के पावन धरती, सभ्य कुलीन दत्त परिवार।
बचपन नरेंद्र नाथ कहाइस, स्वामी करिस जगत उजियार।। 2।।

हर्वट स्पेंसर नास्तिक मनखे, जेखर इनपर रहय प्रभाव।
रामकृष्ण ले मिलके बनगे, बड़का आस्तिक एखर नाव।। 3।।

नाम विवेकानंद पड़िस जी, परमहंस हा शिष्य बनाय।
परमहंस के प्रिय चेला तँय, गुरु सन सरी ज्ञान ला पाय।। 4।।

वेद पढ़िस भइ संगे-सँग मा, साहित-दरसन अउ इतिहास।
सोलह साल उमर होइस तब, करिस वकालत होइस पास।। 5।।

राजयोग के रचना रच दिस, ज्ञानयोग के ग्रंथ बनाय।
सरी जगत मा घूम-घूम के, धर्म सनातन ला बगराय।। 6।।

अमेरिका के शहर शिकागो, धर्म सभा बर भेजे गीस।
स्वामी उँहा करिस अगुवाई, कालजयी इक भासन दीस।। 7।।

इक-इक आखर सौ-सौ ताली, बात-बात पे बजते जाय।
सात समंदर पार म जाके, भारत माँ के शान बढ़ाय।। 8।।

सोसायटी बना के तँय हा, अमेरिका ला वेद पढ़ाय।
रामकृष्ण के मिशन चलाए, भारत ला रस्ता दिखलाय।। 9।।

भूखे रहिके भोजन देना, देशभक्ति अउ शिष्टाचार।
भाषा बर सम्मान सिखोए, संयम-पूर्ण रहय व्यवहार।। 10।।

हिन्दी हिन्दू के जस बाढ़य, अइसन तँय हा करे उपाय।
सन्यासी के रूप धरे तँय, दुनिया भर मा नाम कमाय।। 11।।

खिचड़ी तोर परम प्रिय भोजन, कूद गए छानी ओ पार।
लक्ष्य पाय बर ध्यान लगावव, शिक्षा दिए जगत के सार।। 12।।

दाई के सम्मान करव सब, सहनशील बन धीरज धार।
डर के सँग मा करव लड़ाई, हो जाहू तुम भव ले पार।। 13।।

जीवन के दरसन ला बाँटिस, तेज-चेतना के भरमार।
उनचालिस के थोर उमर मा, स्वामी छोड़ गइस संसार।। 14।।

युवा-दिवस के रूप म दुनिया, जनम-दिवस ला तोर  मनाय।
स्मारक हावय बीच समंदर, शोभा ओखर कहे न जाय।। 15।।

गुन ला गावँव शीश नवावँव, मोरे मन तब बड़ सुख पाय।
कलम विवेकानंद लिखय ता, नीलम जन्म धन्य हो जाय।। 16।।

रचनाकार--श्रीमती नीलम जायसवाल
पता--खुर्सीपार,भिलाई,जि.-दुर्ग (छत्तीसगढ़)

9 comments:

  1. बहुत सुंदर रचना दीदी

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  2. बहुत बहुत बधाई हो बढ़िया सृजन

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  3. आप सभी का सादर आभार

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  4. धन्यवाद गुरुदेव निगम जी।

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  5. अब्बर सुग्घर आल्हा सवैया
    बधाई

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  6. बधाई हो बहिनी👌💐

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  7. स्वामी जी के दर्शन के तँय, आल्हा मा हस करे बखान।
    उंखर सही कहाँ अब पाबे, दुनिया भर मा संत महान।।
    कहिस मोटियारी हर उनला, बन ओकर घरवाले काय।
    ब्रह्मचर्य साधत स्वामी जी, तारिन ओला दाइ बनाय।।
    बहुत बढ़िया आल्हा बहिनी....हिरदे ले बधाई...

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    1. सादर आभार भइया जी।

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