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Tuesday, July 24, 2018

गीतिका छंद :- जगदीश "हीरा" साहू

*हे गजानन*
हे गजानन विघ्नहर्ता, कर कृपा गणराज जी।
काम बिगड़े  तँय  बनाबे, अउ बचाबे लाज जी।।
छोड़ सबला आय हावँव, आज तोरे धाम जी।
मोर बिनती  हे इही  प्रभु, तोर सुमिरँव नाम जी।।1।।

तोर मुसवा के सवारी, लाभ शुभ हे साथ मा।
मोर जिनगी डोर हावय, आज तोरे हाथ मा।।
हे  भरोसा   काज करबे,   लाज रखबे  मोर  तँय।
दुःख-पीरा दूर करबे,  राख सबला जोर तँय।।2।।

*सुनता*
तँय बने निरवार खेती, पाग आही नेत मा।
धान उपजाबो जगत बर, काम करबो खेत मा।।
खाँध मा हे भार जग के, आज तैहा जान ले।
तोर पाछू नाँव होही, बात तैहा मान ले।।3।।

*विश्व गुरु भारत*
विश्व गुरु भारत बनय गा, मोर ये अरमान हे।
देवता कस मान पूजय, जे जगत बर शान हे।।
एक दूसर बैर टूटय, मिल बढ़ाहौ नाम ला।
जे विरोधी हे हमर गा, कर सबो के काम ला।।4।।

आस रख झन कोन आही, तोर जग मा काम गा।
बढ़ अपन रस्ता निवारत, तँय बिहनिया शाम गा।।
एक दिन सब साथ होही, नीक कहना मान गा।
तप सुफल होगे समझ ले, अउ बने पहचान गा।।5।।

*पानी हे अनमोल*
रख जतन के आज पानी, काम आही काल ये।
कीमती हावय घटे ये, जान सालों-साल ये।
एक दिन पानी बिना जब, होय हाहाकार  गा।
तब समझ आही कहत हँव, जग म पानी सार गा।।6।।

पेंड़ काटे घर बनाये, संग नदिया पाट गा।
कर प्रदूषण टोर बँधना, तँय बिगाड़े घाट गा।।
हित अपन भर देख तैहा, कर सबो सो बैर गा।
फल करम के तोर मिलही, तब न तोरे खैर गा।।7।।

रचना :- जगदीश "हीरा" साहू
कड़ार (भाटापारा), छत्तीसगढ़

21 comments:

  1. वाहःहः भाई अति सुघ्घर गीतिका छंद सिरजाय हव।
    सुनता के जगह सुमता आना चाही का भाई

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  2. सुघ्घर,सुघ्घर विषय के गीतिका आदरणीय।,

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  3. सुघ्घर,सुघ्घर विषय के गीतिका आदरणीय।,

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  4. वाहहह वाहहह शानदार जगदीश सर।

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  5. सुग्घर रचे हव साहू जी बधाई।

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  6. बहुत खूब गुरुदेव जी

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  7. वाह्ह वाह हीरा भइया बहुते सुग्घर गीतिका छंद भइया शानदार

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  8. वाह्ह्ह वाह्ह्ह सर जी

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