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Tuesday, July 31, 2018

सार छन्द--श्रीमती नीलम जायसवाल

-नारी-

नारी गुन के खान बहुत हे,मान मगर नइ पावय।
अपन फर्ज ला करथे पूरा,तब ले गारी खावय।।१।।

नारी के शोषण करवइया,मूरख हे वो प्रानी।
नारी सब ला मोहे हरदम,बोले गुरतुर बानी।।२।।

जग जननी के रूप हवय जी,ममता हवय समाये।
बगरावत हे मया जगत मा,सबके दुःख मिटाये।।३।।

नारी बिन संसार अधूरा,नारी जीवन देथे।
देव जगत मा आए खातिर,इँखर सहारा लेथे।।४।।

नारी के सम्मान करव तुम,सिरतों वेद बताथैं।
जिहाँ पूजथे नारी मन ला,उहेँ देवता आथैं।।५।।

-पानी बिन-

मनखे पानी खूब गँवावय,कीमत नइ हे जानत।
कतको पढ़-लिख ज्ञान ल पागे,बात नहीं हे मानत।।१।।

आज गँवाही कल पछताही,धरती बंजर होही।
उड़ही धुर्रा सब्बो कोती,रही पेड़ ना जोही।।२।।

बादल के दरसन नइ होही,तीपे हवा ह चलही।
जीव जन्तु सब मरय पियासे,माँस देह ले गलही।।३।।

रुख-राई सब मर जाही तब,तिल-तिल मरही मानस।
बने रही तँय चेत अभी ले,पानी महिमा जानस।।४।।

-होरी-

होरी के त्योहार मनावव,जुर-मिल के सँगवारी।
रंग मया के घोरव संगी,भर लेवव पिचकारी।।१।।

पानी ला झन व्यर्थ गँवावव,खेलव फूल के होली।
मन कोनो के नहीं दुखावव,बोलव गुरतुर बोली।।२।।

होरी मा झन मातव पी के,माते नहीं लराई।
सौ झगरा के इक्के कारन,दारू हवय बुराई।।३।।

रचनाकार--श्रीमती नीलम जायसवाल
पता--खुर्सीपार,भिलाई,जिला-दुर्ग (छत्तीसगढ़)

14 comments:

  1. बहुत बढ़िया सृजन हे नीलम बहिनी
    बहुत बहुत बधाई

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  2. सुग्घर सार रचे हव बधाई।
    खेलव फूल के होरी 13 मात्रा
    दारू होथे भाई।
    नारी के शोषण करथे जे
    करवइया करइया

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    1. ठीक हे गुरुदेव! सुधार करहूँ। सादर आभार।

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  3. वाहह्ह् सर छंद में बढ़िया प्रस्तुति नीलम जी

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  4. वाह्ह अब्बड़ सुग्घर भावपूर्ण सार छंद दीदी बधाई हो

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  5. गजब सुंदर रचना दीदी

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  6. बहुत बढ़िया सार छंद में रचना बधाई हो

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  7. बधाई हो नीलम बहिनी सुग्घर छंद रचना💐

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