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Tuesday, July 3, 2018

सार छंद-श्रीमति आशा आजाद

*आगे होली*

आगे हाँसत खेलत ऐदे,रंग भरे जी होली।
रंग भरे पिचकारी लेलव,मारव सबला गोली।।

छेड़ौ सबझन साज नगाड़ा,गावव मिल जुल गाना।
बिछे रहय रंगोली जइसन,मउसम लगय सुहाना।।

गुत्तुर-गुत्तुर भाखा राखे,बोलव सुग्घर बोली।
तान लगाके सब झन बोलव,होली हे जी होली।।

हरियर हरिहर रंग रहय जी,नीला पीला डालौ।
ढोल नगाड़ा बाजा बाजय,गीत मया के गालौ।।

संगी साथी साथ रहय जी,कूदत खेलय होली।
देखव कोनो झन रिसाय जी,अइसन होवय बोली।।

होली हे भाई होली हे,तान लगाके घूमौ।
रंग बिरंगी ए भुइयाँ ला ,माथ नवा के चूमौ।।

लागय अइसन जइसे भुइयाँ,रंग रंग मा साजे।
जेन डहर चल देवव खेले,थाप नगाड़ा बाजे।।

रचनाकार-श्रीमती आशा आजाद
पता-एसइसीएल मानिकपुर कोरबा (छ.ग.)

19 comments:

  1. वाहःहः बहुत बढ़िया सार छंद के सृजन हे बहिनी
    कुछ जगह आंशिक सुधार के जरूरत है
    ।।

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  2. वाह्ह वाह आशा दीदी अब्बड़ सुग्घर होली तिहार के गजब सुग्घर वर्णन दीदी

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  3. वाह्ह्ह वाह्ह्ह दीदी सुन्दर रचना

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  4. वाह्ह्ह वाह्ह्ह दीदी सुन्दर रचना

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  5. वाह्ह्ह् दीदी सुग्घर रचना

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  6. उम्दा सार छंद सृजन

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  7. बहुत सुघ्घर दीदी जी बधाई हो

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  8. वाह बहुत बढ़िया दीदी बधाई हो ... हरियर ह हरिहर होगे हे

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  9. वाह बहुत बढ़िया दीदी बधाई हो ... हरियर ह हरिहर होगे हे

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  10. वाह वाह सुग्घर सार छन्द

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  11. This comment has been removed by the author.

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  12. बहुत सुंदर रचना आशा बहन

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  13. बहुत सुंदर सार छंद वाहहहह वाहहह।

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  14. होली के सुग्घर वरनन आशा जी

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  15. होली के सुग्घर वरनन आशा जी

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  16. छेड़ौ सबझन साज नगाड़ा, गावव मिल जुलाना।
    बिछे रहय रंगोली जिसन, मूस लगय सुइल ..

    गावव मिलजुल गाना... चरणांत समझ नइ आइस...
    रिसायकल ह शायद रिसाय कस होही का ते...

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  17. आप जम्मो आदरणीय छंद साधक मन के मयँ हिरदय ले आभार प्रगट करत हवं ।
    त्रुटि ला सुधार करके पुनः डालिहौ

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  18. गुरुजी..
    सबझन नगाड़ा के साज ला छेड़ दव अउ सबझन मिल जुल के गाना गाना गावव।
    रंगोली हा जइसन चारो मुड़ा बिछे रहिथे जेखर कारन म उसम हा सुहाना लागय।।

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