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Wednesday, July 4, 2018

सरसी छन्द - श्री मथुरा प्रसाद वर्मा

 सुनले मोर पुकार

हाथ जोर के बिनती  करथौ, सुनले मोर पुकार।
हर ले विपदा मोर देस के, दाई कर उद्धार।।

भूख गरीबी गाँव ल छोड़य, खेत खार आकाल।
मिहनत करने वाला हाथ ल, कर दे माला माल।।

अब झन आये कभू बिमारी, मनखे रहे निरोग।
साफ सफाई अपनाये सब, मोर देस के लोग।।

भारत के सेना ला बल दे, बइरी के बल तोड़।
आतंकी मन थरथर काँपय, भागय सीमा छोड़।।

स्वाभिमान जनता के जागय, होवय देस विकास।
कर दे दाई भ्रष्टाचारी, नेता मन के नास।।

भेद मिटय बेटा बेटी के , मानन एक समान।
सब नर नारी संग चले जी, करय देस गुणगान।।

धरम जात के झगरा टूटय, बड़े सबो मा प्यार।
शोषन करने वाला मन के, डूब जाय व्यापार।।

मिट जाए अज्ञान अँधेरा, सजग रहे इंसान।
दारू दंगा छोड़ बुधारू, बन जाय बुद्दिमान।

पूरब ले सूरज कस निकलय, खुशहाली के भोर।
चहकय सोनचिरैया चिव चिव, देस म चारो ओर।

रचनाकार - श्री मथुरा प्रसाद वर्मा
      ग्राम कोलिहा, बलौदाबाजार

19 comments:

  1. बहुत बढ़िया भाव हे भैया जी
    पर रचना हा सुधार माँगत हे।

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  2. वाह्ह वाह भइया अब्बड़ सुग्घर देश प्रेम ले भरे सरसी छंद मा गजब सुग्घर बखान करेव बधाई हो भइया

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  3. बहुत सुघ्घर सरसी छंद!! बधाई

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  4. कई जगह सुघ्घर देशज शब्द के प्रयोग हो सकत हे

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  5. बढ़ै सबो मा प्यार।
    बन जावै बुधमान।
    वाहहहहह वाहहह सर गजब के रचना।

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  6. सुग्घर रचना सर जी, सुथदेव भइया के comments म ध्यान देवव,

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  7. बहुत बढ़िया मथुरा, बहुत सुग्हर छंद।

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  8. बहुत बढ़िया मथुरा भाई

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  9. बहुत बढ़िया मथुरा भाई

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  10. बहुत बढ़िया संदेश भइया जी

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  11. बहुत बढ़िया संदेश भइया जी

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  12. बहुते सुग्घर सरसी सरस भरे वर्मा सर जी।

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  13. गजब सुग्घर रचना सर

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  14. गजब सुग्घर रचना सर

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  15. भारत के सेना ला बल दे,बइरी के बल तोड़ !
    आतंकी मन थरथर काँपय,भागय सीमा छोड़ !!

    वाह बहुत बढ़िया रचना बधाई भईया जी

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  16. सुग्घर संदेश...बधाई आपमन ला

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  17. वर्मा जी,सुग्घर सरसी रचे हव। कुछ कमी दिखत हे ओला सुधारव।
    मानन ,करय नइ जमत हे।
    मानय ठीक रही।

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  18. बढ़िया सर,,अउ एक घांव पढ़व

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