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Saturday, July 7, 2018

जयकारी छंद - श्री ललित साहू "जख्मी"

फैशन संस्कृति

उमर डोकरा के हे साठ। तभो देख ले ओखर ठाठ।।
पहिरे कुरता आधा पेंट। तन मा अड़बड़ छींचे सेंट।।०१।।

पान गाल मा रोज दबाय। तम्बाकू उपराहा खाय।।
जुआँ नशा वोला बड़ भाय। सज्जन संग कभू नइ जाय।।०२।।

मटमटहा हे ओखर चाल। चाहे बिगड़े घर के हाल।।
मेछा मा पोते हे रंग। जम्मों हवय देख के दंग।।०३।।

कतको ओखर हवय मितान। सबके बीच बघारे शान।।
उमर घलो वो कमे बताय। घर के लइका लोग लजाय।।०४।।

देख डोकरी पार्लर जाय। फैशन करे केंश बगराय।।
आनी-बानी चीज बिसाय। चारी करके समे बिताय।।०५।।

नाती पोता ला सब छोड़। घूमे बर हावय जी होड़।।
गाल होंठ ला लेवय पोत। मुख बिगड़े तब राहय रोत।।०६।।

फैशन रक्सा लेहे घेर। मनखे करे अबड़ अंधेर।।
जम्मों समझे खुद ला शेर। बात करे वो नयन तरेर।।०७।।

नोनी बाबू सब झन आज। अलकरहा करथे जी साज।।
फटे जींस मा तन देखाय। लोक-लाज ला कोन बचाय।।०८।।

बेटा बहू घलो मोहाय। फैशन मा सुख चैन गँवाय।।
पश्चिम संस्कृति भारत आय। हमर देश मा पाँव जमाय।।०९।।

कम बूता मा जादा दाम। खोजत हे सब ऊँचा नाम।।
सबो करे जब उल्टा काम। कइसे कलजुग बाँचे राम।।१०।।

रामायण पढ़थे अब कोन। दिनभर धरथे सबझन फोन।।
ललित गोठ मा करव विचार। तभे बाँचही संस्कृति सार।।११।

देखावा मा तुम झन जाव। परंपरा ला अपन बचाव।।
जीवन के जानव आधार। सुग्घर हे सादा श्रृंगार।।१२।।

रचनाकार- श्री ललित साहू "जख्मी" छुरा
जिला- गरियाबंद (छत्तीसगढ़)

19 comments:

  1. जख्मी जी शानदार व्यंग्यात्मक जयकारी छन्द।हार्दिक बधाई।

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  2. वाह्ह जख्मी भइया अब्बड़ सुग्घर व्यंग्य करत लाजावाब जयकारी छंद भइया बधाई हो

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  3. गजब के रचना सर

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  4. गजब के रचना सर

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  5. वाहःहः ललित भाई
    सुघ्घर छंद सिरजाय हव
    बहुत बहुत बधाई

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  6. वाहहहह वाहह जबरदस्त रचना।

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  7. बहुतेच बढ़िया भाव के संग रचना , बधाई

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  8. प्रणम्य गुरुदेव ला आभार, अउ जम्मों आदरणीय आदरणीया मन ला उत्साहवर्धन बर धन्यवाद..।

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  9. जोरदार जयकारी छंद ।व्यंग विधा मा

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  10. बहुत सुंदर जयकारी छंद भइया बधाई हो आप ला

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  11. जयकारी छंद मा सुग्घर व्यंग भाई जी

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  12. जयकारी छंद मा सुग्घर व्यंग भाई जी

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  13. वाह जबरदस्त रचना।बधाई

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  14. पंदोली अउ आशीष देवईया जम्मों झन के आभार.. प्रणाम..।

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  15. बहुत सुघ्घर जयकारी छंद,बधाई

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  16. बहुत सुघ्घर जयकारी छंद,बधाई

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  17. बहुत बढ़िया रचना बधाई हो जख्मी जी

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