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Monday, August 13, 2018

लावणी छन्द - श्री दुर्गा शंकर इजारदार


 *लावणी (मिश्रित ) छंद*

कोख मार दँव बेटी ला जी, कहत जीभ थर्रावत हे ।
देख हाल बेटी के जग मा, मोर जीव घबरावत हे  ।(1)

देवी बनके अँगना मा जी, देवत रहिथे किलकारी ।
दुबके बइठे आज लेत हे, कइसे ओहर सिसकारी ।(2)

    
पूजा होथे बेटी के जी, सुँनें तिहाँ देवता रहिथे।
वेद- शास्त्र के बात सबो झन, दूसर ला कहिते रहिथे ।(3)

फेर आज काबर बाढ़त हे, बेटी संग दुराचारी ।
चुपचाप सियनहा हावय, कइसे हे ये लाचारी  ।(4)


आवव मिलजुलकर के टोरी, फांसी के ये बँधना ला  ।
लाठी लाठी मार भगावा, गली खोल उतलँघरा ला।(5)

आँखी फोर अंधरा जी करदव, बेटी जेन निटोरत हे ।
दाँत टोर दव ओखर  जेन ह, देखत दाँत निपोरत हे।(6)

डबकत तेल उढ़ल देवव जी, हावय जेन बलत्कारी ।
फाँकी फाँकी फाँका करदव, हावय जेन दुराचारी   ।(7)

गोड़ मूड़ ला बेटी के तो , सोला जी सिंगार करौ  ।
भाला अऊ तलवार दे के, रण बर भी तैयार करौ  ।(8)

खेल कबड्डी गिल्ली डंडा, फुगड़ी खेलन झटकन दौ ।
रणचण्डी के रूप ल धर के, दुश्मन बर अब दउड़न दौ। (9)

आड़ा काबर बेटी बर हे, बेटा बर भी साँट धरौ।
बेटा के तो चाल देख के, थोकन तो जी डाँट परौ ।(10)

बेटी दाई ,बहिनी ,भौजी , रूप कतक हे अवतारी।
मान होय बेटी के जग मा, बेटा जब हो संस्कारी  ।(11)

छन्दकार - श्री दुर्गाशंकर इजारदार
सारंगढ़, छत्तीसगढ़

35 comments:

  1. बहुत बढ़िया भाव हे आदरणीय। आप ला बहुत बहुत बधाई।

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  2. बहुतेच सुग्घर भाव भरे लावणी छंद भाई जी

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  3. बहुत बढ़िया बधाई हो भईया जी

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  4. वाहःहः बहुत बढ़िया

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  5. वाहःहः बहुत बढ़िया

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  6. बहुत सुन्दर संदेश देवत लावणी छंद भाई जी बहुत बहुत बधाई

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  7. बहुत सुघ्घर लावणी छंद,बधाई!!

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  8. बहुत सुघ्घर लावणी छंद,बधाई!!

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  9. सुग्घर सृजन।हार्दिक बधाई।

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    1. सादर धन्यवाद, प्रणाम भइया जी

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  10. बहुत सुघ्घर संदेश देवत रचना,भइया जी

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  11. सुग्घर सोंच अउ लाजवाब सृजन। हार्दिक बधाई अउ शुभकामना हे,भैया जी ।

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  12. सुग्घर सोंच अउ लाजवाब सृजन। बधाई अउ शुभकामना हे भैया जी

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  13. शानदार भावाभिव्यक्ति सुंदर विषय पर बढ़िया सृजन किया है।हार्दिक शुभकामनाएं सरजी।

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    1. सादर धन्यवाद सर जी, सादर आभार

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  14. गजब सुग्घर सर

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  15. गजब सुग्घर सर

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  16. सुग्घर लांवणी छंद बर बधाई।

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  17. बहुत बढ़िया भइया जी बधाई हो

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  18. बहुत सुंदर आदरणीय मन आनंदित होगे

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