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Saturday, August 18, 2018

सार छन्द - श्री ज्ञानुदास मानिकपुरी



सार छंद 

बिधि के बिधना कोन मिटाही,जो होना हे होथे।
अपन-अपन तकदीर हवै जी,पाथे कोनो खोथे।
दुख-सुख मा ये जिनगी बीतय,हाँसे कोनो रोथे।
खेलत-कूदत रहिथे कतको,जागे कोनो सोथे।

हे अमीर देखव जी कतको,अउ गरीब हे कोनो।
हवै बिछड़ के कोनो रोवत,अउ करीब हे कोनो।
कतको हावय सीधा-सादा,अउ अजीब हे कोनो।
कतको मनखे हवै अभागा,बदनसीब हे कोनो।

धन दौलत अउ महल अटारी,दू दिन के सँगवारी।
मनखे स्वारथ मा अँधरा  हे,करे गजब मतवारी।
भूल मान मर्यादा जाथे,भाथे झूठ लबारी। 
चारी चुगली हरदम भाथे,आदत ले लाचारी।

दया मया ला भूले रहिथे,हावय दानव बनके।
कइसे होगे देखव मनखे,चलथे रसता तनके।
करम धरम हा अउ नइ भावय,लड़े लड़ाई डँटके।
का मिले बतादे तँय संगी,जाँत-पाँत मा बँटके।

छन्दकार - श्री ज्ञानुदास मानिकपुरी

33 comments:

  1. शानदार सार छंद।हार्दिक बधाई।

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    1. सादर प्रणाम गुरुजी

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  2. बहुत बढ़िया आदरणीय, बधाई।

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद सर जी

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  3. Replies
    1. बहुत बहुत धन्यवाद सर जी

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  4. बड़ सुग्घर,, बधाई ज्ञानु भाई जी।।

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद सर जी

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  5. बड़ सुग्घर,, बधाई ज्ञानु भाई जी।।

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  6. बहुतेच सुग्घर रचना आदरणीय

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद सर जी

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  7. बहुतेच सुग्घर रचना आदरणीय

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  8. बहुत बढ़िया बधाई हो ज्ञानु भाई

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  9. वाहहह वाहहह सर शानदार सार छंद...

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद सर जी

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  10. बहुत सुंदर ज्ञानु मानिकपुरी भाई बहुत बहुत बधाई हो

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद सर जी

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  11. बहुतेच सुघ्घर!आपके सार छन्द म जीवन के सार समाए हे, ज्ञानू भइया।

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद दीदी

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    2. बहुत बहुत धन्यवाद दीदी

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  12. सुग्घर रचना सरजी बधाई।

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद गुरुदेव

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  13. बहुत सुन्दर गुरुदेव जी

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद सर जी

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    2. बहुत बहुत धन्यवाद सर जी

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  14. बहुत सुघ्घर सार छंद भाई ज्ञानु बधाई

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    1. सादर प्रणाम दीदी

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    2. सादर प्रणाम दीदी

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  15. विधि के विधान, बड़ सुग्घर सार छंद भैया जी

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  16. विधि के विधान, बड़ सुग्घर सार छंद भैया जी

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद सर जी

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