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Saturday, November 2, 2019

छप्पय छंद : - मोहन कुमार निषाद

छप्पय छंद : - मोहन कुमार निषाद


                  समय हे बलवान

 समय हवय बलवान , भेद जी येखर जानव ।
होवव झन ग उदास , फेर ला अब पहिचानव ।
कीमत येखर जान , बने जी रस्ता धरले ।
बनही सब गा काज , परन अब मनमा करले ।
कइसे होही हार जी , राख अटल विश्वास ला ।
मिलबे करही जीत हर , मनमा रखबे आस ला ।।

            बाँधव कफन मुड़ मा
               
धड़ धड़ ले दव दाग,सबो ला मारव गोली।
छाती मा चढ़ जाव,खून के खेलव होली।
आतंकी ला गाड़,देश बिक्कट सुख पाही।
छोंड़व झन जी आज,फेर मउका नइ आही।
मानवता के फूल बर,सबो बोझ ला खाँध लव।
आवव आघू वीर तुम, कफन मूड़ मा बाँध लव।

               शिक्षा के जोत

शिक्षा हे अनमोल , जतन जी येखर करले ।
पाये मौका आज ,  ध्यान ला थोरिक धरले ।
बनके तँय गुणवान , बने सम्मान ल पाबे ।
जगमा होवय नाम , कमा के जस बगराबे ।
शिक्षा हावय सार गा , सब येला बगराव जी
पावय सब झन मान ला , जोत अइसन जलाव जी ।।

             बेटी ला दव मान

बेटी ला दव मान , तभे जी बेटी बढ़ही ।
देवव मया दुलार , बने जी बेटी पढ़ही ।
करही जगत उजास , तोर जी नाम जगाही ।
लाही नवा बिहान , बराबर माने पाही ।
 बेटी शिक्षा आज जी , बनगे हावय सार गा ।
मारव झन जी कोख मा , बनही जगत अधार गा ।।

            अन्तस् मा हे भगवान

कण कण मा भगवान , कहा जी बाहर खोजे ।
अन्तस मा ले झांक , होय जी दर्शन रोजे ।
मंदिर मा झन खोज , कहा भगवान ल पाबे ।
मनके दियना बार , सरग मा तँय हर जाबे ।
बसे हवय भगवान हा , अन्तस् भीतर जान ले
बाहर मा झन खोज जी , बात सार हे मान ले ।।

रचनाकार - मोहन कुमार निषाद
 पता  - गाँव लमती भाटापारा छत्तीसगढ़

8 comments:

  1. वाह वाह अत्युत्तम भावमाल बंधुवर... सुग्घर लेखनकर्म बर अब्बड़ बधाई

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  2. सुंदर भाव बोध गम्य छप्पय छंद हार्दिक बधाई आपको

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  3. सुन्दर रचना भाई जी

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  4. भावपूर्ण छप्पय छंद,बधाई हो!! मयारू मोहन भाई जी।

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  5. अनुपम रचना भाईजी

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  6. अनुपम रचना भाईजी

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