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Tuesday, December 31, 2019

छन्द के छ परिवार की वर्ष 2019 में प्रमुख गतिविधियाँ

छन्द के छ परिवार की वर्ष 2019 में प्रमुख गतिविधियाँ

"छन्द के छ" एक आंदोलन है जिसका उद्देश्य छत्तीसगढ़ी भाषा को व्याकरण-सम्मत बनाते हुए समृद्ध करना है। इसकी स्थापना तिथि अक्षय तृतीया, वर्ष 2016 को हुई। छन्द के छ में ऑनलाइन कक्षाएँ होती हैं। प्रत्येक कक्षा में दस से बारह प्रतिभावान अनगढ़ कवि होते हैं जिन्हें व्याकरण की जानकारी देते हुए विभिन्न प्रकार के छन्द शुद्धतापूर्वक कैसे लिखे जाते हैं, यह सिखाया जाता है। सिखाने वाला गुरु और सीखने वाला शिष्य या साधक कहलाता है। जब नया शिष्य भलीभाँति सीख जाता है तो वही गुरु की भूमिका निभाते हुए नई कक्षाओं में छन्द सिखाता है, इस प्रकार जहाँ लुप्त होते भारतीय छन्द, छत्तीसगढ़ी भाषा में संरक्षित हो रहे हैं वहीं लुप्त होती गुरु-शिष्य परम्परा भी पुनर्जीवित हो रही है।इसमें गुरु शिष्य के अलावा और किसी भी प्रकार के पदाधिकारी नहीं हैं। यह आंदोलन अनुशासन के साथ अपनी गरिमा को बनाये हुए अनवरत गतिशील है। 

"छन्द के छ" पारस्परिक सहयोग से प्रतिवर्ष दो आयोजन करता है। पहला आयोजन स्थापना दिवस के रूप में होता है जो अक्षय तृतीया के नजदीक के किसी रविवार को आयोजित होता है। दूसरा आयोजन दीवाली मिलन समारोह के रूप में दीपावली पर्व के बाद किसी रविवार को आयोजित किया जाता है। इस वर्ष स्थापना दिवस 12 मई 2019 को कबीरधाम (कवर्धा) में मनाया गया। इस आयोजन में छन्द के छ परिवार के ऐसे साधकों को "छत्तीसगढ़ी छन्द रतन" सम्मान से सम्मानित किया गया जिन्होंने छत्तीसगढ़ी भाषा में छन्द संग्रह प्रकाशित करवाया है। इस वर्ष सर्वश्री रमेशकुमार सिंह चौहान, चोवाराम "बादल" और मनीराम साहू "मितान" को छत्तीसगढ़ी छ्न्द रतन सम्मान से सम्मानित किया गया। जगदीश हीरा साहू को छत्तीसगढ़ी नवोदित छ्न्दकार सम्मान से सम्मानित किया गया। इसी आयोजन में चार किताबों का विमोचन भी किया गया। चोवाराम बादल के हिंदी गद्य संग्रह "जुड़वा बेटी", मनीराम साहू मितान के छत्तीसगढ़ी भाषा के खण्ड काव्य "हीरा सोनाखान के", महेंद्र देवांगन माटी की छत्तीसगढ़ी में किताब "तीज तिहार अउ परम्परा" के साथ ही जगदीश हीरा साहू की छत्तीसगढ़ी भाषा में  किताब "सार छन्द मा सम्पूर्ण रामायण" का विमोचन इसी आयोजन में हुआ। अंतिम सत्र में राज्य स्तरीय छत्तीसगढ़ी भाषा में छन्दमय कविसम्मेलन हुआ। स्थापना दिवस के संयोजक सर्वश्री ज्ञानुदास मानिकपुरी, सुखदेव सिंह अहिलेश्वर रहे। नवोदित साधकों सर्वश्री द्वारिका प्रसाद लहरे और अश्विनी कोसरे का इसमें सराहनीय योगदान रहा। आयोजन के चित्र प्रस्तुत हैं जो आयोजन की भव्यता के स्वतः ही साक्षी हैं -

छत्तीसगढ़ी छन्द रतन सम्मान से सम्मानित मनीराम साहू मितान का खण्ड काव्य हीरा सोनखान के

महेंद्र देवांगन माटी - तीज तिहार अउ परम्परा

जगदीश हीरा साहू - सम्पूर्ण रामायण
चोवाराम बादल - जुड़वाँ बेटी



कबीरधाम में छन्द के छ स्थापना दिवस का निमंत्रण पत्र

विमोचन - सम्पूर्ण रामायण



छत्तीसगढ़ी छन्द रतन सम्मान - रमेश कुमार सिंह चौहान

छत्तीसगढ़ी छन्द रतन सम्मान - चोवाराम बादल
विमोचन - जुड़वाँ बेटी

छत्तीसगढ़ी छन्द प्रेरणा सम्मान - डॉ. विनोद कुमार वर्मा

डॉ. विनोद कुमार वर्मा को भी इस आयोजन में "छत्तीसगढ़ी छन्द प्रेरक" सम्मान से सम्मानित किया गया। उन्होंने इस अवसर पर अपनी किताब "छत्तीसगढ़ी का सम्पूर्ण व्याकरण" बहुत ही कम मूल्य पर वितरित की। विशेष उल्लेखनीय है कि इस व्याकरण किताब के "छन्द" वाले पाठ में छन्द के छ के अनेक साधकों के छन्द, उदाहरण के रूप प्रस्तुत किये हैं। छन्द के छ परिवार के लिए यह एक बड़ी उपलब्धि है। 

छत्तीसगढ़ी सम्पूर्ण व्याकरण की प्रति माननीय विधायक श्रीमती ममता चंद्रकार को भेंट करते हुए विनोद कुमार वर्मा, बलराम चंद्रकार, चोवाराम बादल, सुखदेव सिंह अहिलेश्वर

छन्द साधक हेमलाल साहू ने अपने विवाह के अवसर पर छत्तीसगढ़ी भाषा में छन्दमय कविसम्मेलन का आयोजन करके एक मिसाल पेश की। 

हीरा सोनखान के - विमोचन

रायपुर में दीपावली मिलन समारोह  का निमंत्रण पत्र

चंद्रकार छात्रावास मंगल भवन में दीवाली मिलन समारोह का आयोजन 
संयोजक सर्वश्री बलराम चंद्रकार, सूर्यकान्त गुप्ता और डॉ.(श्रीमती) मीता अग्रवाल

छन्द के छ के साधकों की सादगी

कबीरधाम के आयोजन में साधक मिनेश साहू ने साधक अरुण कुमार निगम का रेखाचित्र बना कर भेंट दी।


कबीरधाम के आयोजन का ग्रूप फोटो

 स्थापना दिवस के आयोजन में "छत्तीसगढ़ी भाषा" को महतारी के रूप में मानते हुए एक स्वरूप की परिकल्पना की गई जिसे साकार रूप देने का कार्य, साधक ईश्वर साहू बंधी ने किया। आयोजन में चित्र का लोकार्पण किया गया।




दीवाली मिलन समारोह के संयोजन बलराम चंद्रकार


दीवाली मिलन समारोह के अंत में ग्रूप फ़ोटो
परस्पर आत्मीय भेंट करते साधकगण 

वर्ष 2019 के दौरान "छन्द के छ" के साधकों की अन्य सराहनीय उपलब्धियाँ


छत्तीसगढ़ी साहित्य परिषद द्वारा छत्तीसगढ़ी दिवस समारोह में 28 नवम्बर 2019 को सम्मानित होते हुए छन्द साधक अरुण कुमार निगम

न्यूज 36 छत्तीसगढ़ी वेब समाचार चैनल म "छंद के छ" के साधक सुरेश पैगवार जी,बलराम चन्द्राकर जी,दुर्गा प्रसाद इजारदार जी अउ जीतेन्द्र वर्मा खैरझिटिया,माते हे होली कार्यक्रम म छंदबद्ध काव्य पाठ करिन।

छंद के छ के साधक जीतेन्द्र वर्मा खैरझिटिया,पहली बेर आकाशवाणी बिलासपुर म बसन्त पंचमी के बेरा म छंदबद्ध कविता पढ़े बर आमन्त्रित होइस।

कवि मेहतर राम साहू - सुरता, बागबाहरा की काव्यपाठ प्रतियोगिता में छन्द के छ के साधकगण

काव्यपाठ प्रतियोगिता में चयनित छन्द के छ के साधक उमाकांत टैगोर
वर्ष 2019 के दौरान छन्द साधिका आशा आजाद ने दूरदर्शन छत्तीसगढ़ में छत्तीसगढ़ी में छन्दों की प्रस्तुति देने का अवसर प्राप्त हुआ।
आशा आजाद को न्यूज़ 36 द्वारा सम्मानित किया गया।
छन्द साधक सुखदेव सिंह अहिलेश्वर को आकाशवाणी रायपुर में काव्यपाठ करने का सुअवसर प्राप्त हुआ।
छन्द साधिका शोभामोहन को पं. सुन्दरलाल शर्मा अलंकरण प्राप्त।

शोभामोहन श्रीवास्तव का अलंकरण पत्र
छन्द साधक कन्हैया साहू अमित का हिन्दी भाषा में छन्द संकलन "कविताई कैसे करूँ" प्रकाशित।





छन्न पकैया छंद-अशोक धीवर जलक्षत्री

छन्न पकैया छंद - अशोक धीवर "जलक्षत्री"

विद्यार्थी-
छन्न पकैया छन्न पकैया,पढ़ लिख बनहूँ हीरो।
गुंडा मन ला मार गिराहूँ, बना दुहूँ गा जीरो।।
कवि-
छन्न पकैया छन्न पकैया, हीरो बन का करबे।
फौजी बन जा सेवा करबे, देश धरम बर मरबे।।
विद्यार्थी-
छन्न पकैया छन्न पकैया, का मिलही बन फौजी।
होय कदर नइ सैनिक मन के, जनता हे मनमौजी।।
कवि-
छन्न पकैया छन्न पकैया, सही कहत हच तँयहा।
काश देश के जनता समझे, सोचते हावँव मँयहा।।
विद्यार्थी-
छन्न पकैया छन्न पकैया, किरकेटर मन छागे।
कतको फौजी शहीद होगे, ओकर नाव भुलागे।।
छन्न पकैया छन्न पकैया, हीरो सब कुछ पाथे।
पइसा पाथे नाम कमाथे, गीत दिखावा गाथे।।
छन्न पकैया छन्न पकैया, फौजी ल कोन पूछे।
जेकर खातिर प्रान गँवाथे, वो पूछे ना गूछे।।
छन्न पकैया छन्न पकैया, श्रीदेवी हा मरगे।
लाय लपेटे ध्वज तिरंगा, का करनी वो करगे।।
छन्न पकैया छन्न पकैया, कतको सैनिक मरथे।
दाना बर परिवार ह तरसे, ओकर बर का करथे।।
कवि-
छन्न पकैया छन्न पकैया, "जलक्षत्री" हा रोथे।
छोड़ देश के रक्षा करना, नेता मंत्री सोथे।।
छन्न पकैया छन्न पकैया, कोन करँय जी रक्षा।
देश भक्ति के पाठ पढ़ावत, कोन चलावय कक्षा।।

छंदकार - अशोक धीवर "जलक्षत्री"
तुलसी (तिल्दा नेवरा)
जिला- रायपुर (छत्तीसगढ़)

Monday, December 30, 2019

सार छंद-बोधनराम निषाद

सार छंद-बोधनराम निषाद
1) चटनी बासी

छन्न पकैया छन्न पकैया,खालव चटनी बासी।
जाँगर पेरव बने कमावव,होवय नहीं  उदासी। 

छन्न पकैया छन्न पकैया,बासी  के  गुन  भारी।
कच्चा धनिया मिरचा पीसौ,खावव अउ सँगवारी।।

छन्न पकैया  छन्न  पकैया, छत्तीसगढ़ी  जेवन।
सुत-उठ के जी बड़े बिहनिया,बोरे बासी लेवन।।

छन्न पकैया छन्न पकैया, खावव  बहिनी भाई।
एमा सबके मन भर जाही,नइ होवय करलाई।।

छन्न पकैया छन्न पकैया,बासी के गुन भारी।
रात बोर के बिहना खावव,चटनी पीस अमारी।।

छन्न पकैया छन्न पकैया,सदा  निरोगी  रहना।
खावव बासी फेर देख लव,मोर बबा के कहना।।

छन्न पकैया छन्न पकैया,करौ किसानी जा के।
छत्तीसगढ़ी चटनी बासी,जम्मों देखव खा के।।


(2) नव राती मेला-

छन्न पकैया छन्न पकैया, आवत  हावय मेला।
नव राती मा नव दिन होही,भारी रेलम-पेला।।

छन्न पकैया छन्न पकैया, होवत  हे  तइयारी।
गाँव-गाँव अउ शहर शहर मा,सोर मचे हे भारी।।

छन्न पकैया छन्न पकैया,मेला घूमे जाबो।
डोंगरगढ़ मा बमलाई के,दरसन करके आबो।।

छन्न पकैया छन्न पकैया,भीड़ लगत हे भारी।
दुरिहा के मनखे सकलाए,जम्मो नर अउ नारी।।

छन्न पकैया छन्न पकैया,जगमग जोत जँवारा।
गूँजत हावय जस अउ सेवा,मंदिर आरा-पारा।।

छन्न पकैया छन्न पकैया,मेला के दिन आए।
जघा-जघा मा नाचा गम्मत,सबके मन ला भाए।।

छन्न पकैया छन्न पकैया,चल जी संगी मेला।
खाबो पेड़ा खई खजाना,भजिया बइठे ठेला।।


छंदकार - बोधन राम निषादराज
सहसपुर लोहारा,जिला-कबीरधाम(छ.ग.)

छन्न पकैया छन्द - मथुरा प्रसाद वर्मा




छन्न पकैया छन्द - मथुरा प्रसाद वर्मा

छन्न पकैया छन्न पकैया, हा-हा हा-हा ही-ही।
ये लइका मन मोर सिखोना, घोर घोर के पीही।1।

छन्न पकैया छन्न पकैया, जब जब सिक्का खनके।
कुर्सी के सँग नाचन लागे, कलम नचनिया बनके।2।

छन्न पकैया छन्न पकैया, मर मर हमीं कमाबो।
बइठाँगुर बर बरा सुहारी, अउ हम बासी खाबो।3।

छन्न पकैया छन्न पकैया, ये मउहा के पानी।
वोट बेंच के जनता माते, लबरा करे सियानी।4।

छन्न पकैया छन्न पकैया,  बड़े बड़े धनमानी ।
फोकट के घर मिलही कहिके, ताने खपरा छानी।5।

छन्न पकैया छन्न पकैया, देख न कलजुग आथे।
धान उगाने वाला मन हा, चाँउर ले के खाथे।6।

छन्न पकैया छन्न पकैया, ये कुर्सी के माया।
भाई-भाई लड़थे मरथे, राजनीति के छाया।

छन्न पकैया छन्न पकैया, मोरे मन बउराथे ।
मनखे कइसे  पेट भरे बर, देश बेंच के खाथे।

मथुरा प्रसाद वर्मा
कोलिहा, बलौदाबाजार( छ ग)
मोबाइल 8889710210

Saturday, December 28, 2019

छन्न पकैया छंद :- राजेश कुमार निषाद


छन्न पकैया छंद :- राजेश कुमार निषाद

छन्न पकैया छन्न पकैया,आगे तीजा पोरा।
झटकुन चलना तैंहर बहिनी, सुनले वो मनटोरा।।

छन्न पकैया छन्न पकैया,बहिनी मन के पोरा।
आथे भइया हमरो कहिके,करथे अबड़ अगोरा।।

छन्न पकैया छन्न पकैया,मया पिरित ला बाँधे।
किसम किसम के रोटी मैं हा,लाने हांवव राँधे।।

छन्न पकैया छन्न पकैया,नाँदा बइला लाहूँ।
भाँचा भाँची संगे जाही, बइठे मैं खेलाहूँ।।

छन्न पकैया छन्न पकैया, रखले जोरन जोरे।
लाने हांवव तीजा लुगरा,सुनले बहिनी मोरे।।

छन्न पकैया छन्न पकैया,कपड़ा नाँवा लेंहा।
भाँचा भाँची बर हे सब हा,सुनले बहिनी तेंहा।

छन्न पकैया छन्न पकैया, सबके सुरता आथे।
धरके पोरा सबो सखी मन,पटके बर सब जाथे।।

रचनाकार :- राजेश कुमार निषाद
 ग्राम चपरीद पोस्ट समोदा
तहसील आरंग जिला रायपुर छत्तीसगढ़

Friday, December 27, 2019

सार छन्द'-कमलेश्वर कुमार वर्मा


'सार छन्द'-कमलेश्वर कुमार वर्मा
"वीर बलिदानी"

भारत माँ के रक्षा खातिर,गवाँ अपन जिनगानी।
जुग-जुग बर अम्मर हो जाथे,सबो वीर बलिदानी।।

जंगल पर्वत बरसा गर्रा,झेल सबो परशानी।
छूट अपन माटी के करजा, करथे  सफल जवानी ।।

इँकर वीरता ले हो जाथे, बैरी पानी-पानी।
ठोंक अपन छाती ला रन मा, याद दिलाथे नानी।।


आखिर दम तक गावत रइथे,जय भारत  के बानी।
सदा तिरंगा हा ही बनथे, सइनिक कफ़न निशानी।।

सींच लहू ले ये भुइँया ला,लिखथे त्याग कहानी।
गाड़ा-गाड़ा वंदन कर लव,सुरता कर कुर्बानी।।

छंदकार:कमलेश कुमार वर्मा
शिक्षक
भिम्भौरी,बेरला
जिला-बेमेतरा(छ. ग)

Monday, December 23, 2019

राष्ट्रीय किसान दिवस विशेषांक

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           राष्ट्रीय किसान दिवस विशेषांक
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कज्जल छंद -  कन्हैया साहू अमित

खेत किसानी बसे प्रान।
जीव जगत के ये मितान।
परजा पालक हे महान।
नाँव हवय जेखर किसान।-1

दिनभर रतिहा खेत-खार।
रहय गड़े  वो मेड़ पार।
बीर बहादुर बेवहार।
बाँटय जेवन जीव चार।-2

पखरा पानी ओगराय।
अपने धुन मा वो भुलाय।
सुरबइहा बहुते कमाय।
अन-धन के दाता कहाय।-3

छन्दकार - कन्हैया साहू 'अमित'
भाटापारा छत्तीसगढ़
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घनाक्षरी छन्द - सूर्यकांत गुप्ता

माटी के मितान कथें तोला जी किसान रहै नाँगर धियान देख बरसात आगै जी।
खेत के जोतान संग धान के बोवान जँहा माते हे किसान देख मन हरसागै जी।।
मनखे ल जान तँय स्वारथ के खान कथे तोला भगवान साध मतलब भागै जी।
कोनो ल  मितान कहाँ परथे जियान जब मरथे किसान देख करजा लदागै जी।

मर जाही तौ किसान फसल उगाही कोन, सोचन नही ए बात काबर गा भाई हो।
सुख दुख दूनो म गा मिल के मदद करी, सोच जिनगी उंखर झन दुखदाई हो।।
उदिम करन चलौ भिड़ के अगोरे बिन, पाटे बर ऊँच नीच बीच बने खाई हो।
करन उहिच काम सुमिर रहीम राम, जेकर करे ले जन जन के भलाई हो।।

छन्दकार - सूर्यकांत गुप्ता
सिंधिया नगर दुर्ग (छ. ग.)
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आल्हा छंद- इंजी.गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

माटी जइसे जीवन राखे,माटी कस तन रखे परान।
माटी के तो मान बढ़ावय, बंदन माटी पूत किसान।।

खाँध म नांगर हाथ तुतारी,धरे चले टुकनी भर धान।
अर्र तता के बोल सुनावय, मूड़ म पगड़ी हे पहिचान।।

बदे मितानी घाम छाँव सँग, जाँगर टोर कमावय खूब।
सोन उगावय बंजर भुइँया,मोती नदी निकालय डूब।।

सउँधे सउँधे माटी महकय, झूमय खेत धान के बाल।
लहरै चना सोनहा गेंहूँ,देख किसान रहै खुशहाल।।

माटी के कोरा सिरजावय,दुनिया के जे भरथे पेट।
देख भला अब हालत ओखर,सुख रोटी से नइहे भेंट।।

गला बँधे हे करजा घाटी,कनिहा टूटे दुख के बोझ।
भ्रष्टाचारी आँख दिखावय, कोंन करय दुख लउठी सोझ।।

धान कटोरा महतारी के,बेटा पावय जग मा मान।
गजानन्द हे आज पुकारत, सुनौ खोल के सब झन कान।।

इंजी.गजानंद पात्रे "सत्यबोध"
बिलासपुर (छ.ग.)
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कुण्डलिया छंद - इंजी.गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

माटी मोर मितान हे,कहिथे हमर किसान।
धरती के भगवान बन,लाथे नवा बिहान।
लाथे नवा बिहान,अन्न जग  बर उपजाथे।
सहिके पीर पहाड़,रात दिन खेत कमाथे।
तभो घेंच मा देख,बँधे करजा के घाटी।
तिलक लगा के माथ,करय जे बन्दन माटी।।

इंजी.गजानंद पात्रे "सत्यबोध"
बिलासपुर (छ.ग.)
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वाम सवैया - बोधन राम निषादराज

बने बरसा अब होवत आज झड़ी मनभावन भावत हावै।
किसान बियासत खेत मतावत हे परहा ल लगावत हावै।।
बने बरसा बरसे बड़ सावन ये धनहा लहरावत हावै।
भरे नरवा तरिया सब डाहर देखव धार बहावत हावै।।

भरे अब सावन मा धनहा अब देख किसान जुड़ावत हावै।
बियास करे सब धान ल देखव मूड़ उठा लहरावत हावै।।
इहाँ भुइँया सब डाहर सुग्घर सावन मा हरियावत हावै।
छमाछम बूँद ह नाचत गावत शोर घलो बगरावत हावै।।

छंदकार-बोधन राम निषादराज
सहसपुर लोहारा,जिला-कबीरधाम(छत्तीसगढ़)
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शक्ति छंद-द्वारिका प्रसाद लहरे

पछीना गिरा लव,करव काम ला,
कमइया हरव झन,डरव घाम ला।
लगा लव बने खेत मा,धान जी,
करव चेत भाई,धरव ध्यान जी।।

किसानी लिखाये,तुहँर माथ मा,
जगत ला चलावव,अपन हाथ मा।
जमाना दिवाना,तुहँर जोश के।
कहाँ काम होवय,बिगर होश के।।

भरव जोश मन मा,सबो आज गा,
उदासी भगाके,करम साज गा।
विधाता जगत मा,तुहँर नाँव हे।
किसानी करइया,नमन् पाँव हे।।

छंदकार - द्वारिका प्रसाद लहरे
कबीरधाम छत्तीसगढ़
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छ्प्पय छन्द - गुमान प्रसाद साहू

माटी हमर मितान, करम मा  हवय किसानी।
महिनत हे पहिचान, हवय जी गुरतुर बानी।
बंजर माटी चीर, धान ला हम उपजाथन।
भुइयाँ के भगवान, तभे जी हमन कहाथन।
भेद भाव जानन नही,सबो हमर बर एक हे।
काम हमन करथन उही, लगै जेन हा नेक हे।।
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कुण्डलिया छन्द - गुमान प्रसाद साहू

नाँगर बइला जोड़ के, जावय खेत किसान।
खेत खार ला जोत के, बोंवत हावय धान।।
बोंवत हावय धान, किसानी के दिन आगे,
बरसत पानी देख, सबो के मन हरसागे।
महिनत करय अपार, खपावय दिन भर जाँगर,
जोड़ी बइला फाँद ,खेत मा जोतय नाँगर।।

छंदकार - गुमान प्रसाद साहू ,ग्राम- समोदा (महानदी)
जिला:- रायपुर छत्तीसगढ़
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आल्हा छंद - विरेन्द्र कुमार साहू - किसान

जाँगर तोड़ मेहनत करके , बधथे माटी संग मितान।
असल लाल हे भुँइया के वो , कइथे जेला सबे किसान।।

गार पसीना पाँव पखारय , हे! माटी महतारी तोर।
तोरे सेवा खातिर सहिथे , वो किसान पीरा घनघोर।।

पालय सरी जगत ला जेहर , उपजाके जी चाउँर दार।
जीव लाख चौरासी के हे , सिरिफ किसान ह तारनहार।।

चिरई चिटरा चाँटी मुसवा , पाथे भोजन के भंडार।
बाँटे सबला जिनगी के सुख , हे किसान अइसन रखवार।।

छंदकार : विरेन्द्र कुमार साहू , बोड़राबाँधा(राजिम) , जिला - गरियाबंद (छ.ग.)
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सिंहावलोकनी दोहा छंद -  इंजी.गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

मोर मयारू गाँव के,बंदन मोर किसान।
तोर करम ले हे उगे,जग मा नवा बिहान।

जग मा नवा बिहान ला,लाथस तैं हा खोज।
धरती के सिंगार बर,जाँगर पेरे रोज।।

जाँगर पेरे रोज तँय,धरती के बन लाल।
कर्ज गरीबी मा परे,रहे तभो खुशहाल।।

रहे तभो खुशहाल गा,नाँगर बइल मितान।
हाथ तुतारी थामथस,जाँगर हे पहिचान।।

जाँगर हे पहिचान जी,करम बँधे हे हाथ।
पावन माटी धूल ला,तिलक लगाये माथ।।

तिलक लगाये माथ तँय,सदा बढ़ाये मान।
देश धरम बर कर दिये,अपन खुशी कुरबान।।

छन्दकार - इंजी.गजानंद पात्रे "सत्यबोध"
बिलासपुर, जिला बिलासपुर (छ. ग.)
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कज्जल छंद - रामकली कारे

मानवता बर रहिन एक ,
गोठ सियानी धरिन नेक ,
पाप करम ला दूर फेक ,
मिहनत के रोटी ल सेक ।

चेत लगा के करॅव काम ,
बढ़िया मिलही तभे दाम ,
मॅय किसान सह प्यास घाम ,
कभू करॅव नइ ग आराम ।

झन छोड़व जी दिन ल आज ,
अाघू बढ़ के करव काज ,
सबले सस्ता सुघर राज ,
मिहनत के मुड़ परय ताज ।

छंदकार  - रामकली कारे
बालको नगर कोरबा
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सरसी छन्द - मीता अग्रवाल

माटी के कोरा मा उपजे ,किसम किसम के धान।
अन्न-धन्न भंडार भरय जी,मिहनत करय किसान।।

सुरुज  देव ला हाथ जोड़ के,विनती करय दुवार ।
करम प्रधान बनावव मोला, नीक लगय  संसार ।।

उठ भिनसरहा फाँदत जावय,बइला गाड़ी खेत।
तत तत तत तत बइला हाँकय ,धरे हाथ मा बेंत ।।

काम बुता कर बासी खावय,तनिक अकन सुसताय।
खेत ख़ार ला बने जतन के,संझा बेरा आय।।

आघू ले जतनात हवय अब ,खेत ख़ार के काम।
निंदई गुड़ई करय कटाई ,  मशीन दे आराम।।

अंतस चिंता  बड़ बाढत हे,नवा तरक्की द्वार ।
होवत हे कमती पशुधन अब , चलत विकास  बयार।।

छंदकार - मीता अग्रवाल
रायपुर छत्तीसगढ़
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 सोरठा छंद - ज्ञानुदास मानिकपुरी

करम मोर पहिचान,बेटा आँव किसान के।
महिनत मोर मितान,खेतीबारी काम हे।

नाँगर बइला मोर,जिनगी के साथी हवै।
रोज कमाथँव जोर,पेर पेर जाँगर इहाँ।

खून पसीना माथ,नदियाँ जस धारी बहय।
फोरा परगे हाथ,पाँव घलो छाला परें।

हरियर खेती देख,हिरदै हरषाथे गजब।
हमर भाग्य के लेख,गढ़ै विधाता हा इहाँ।

गहूँ चना अउ धान,लहरावत राहेर हे।
खुश हे देख किसान,हरियर खेती ला अपन।

छंदकार - ज्ञानुदास मानिकपुरी
चंदेनी-कवर्धा
जिला- कबीरधाम (छ्त्तीसगढ़)
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 सरसी छंद गीत - श्रीमती आशा आजाद

ए भुइयाँ मा देव सही हे,सुनलौ हमर किसान।
भूख प्यास के ये मिटोइयाँ,धरती के भगवान।।

मिहनत करके देवय हमला,भरय अन्न भंडार।
उपजावत हे साग अन्न ला,एखर ले संसार।
घर बइठे हम भोजन पाथन,इही हवय जी सान।
ए भुइयाँ मा देव सही हे,सुनलौ हमर किसान।।

आज बड़ा व्याकुल हे जानौ,दुख हा बड़ तड़पाय।
करजा मा बुड़गे हावय जी,पीरा नही मिटाय।
चुप बइठे सरकार आज तो,तँग खेती ले मान।।
ए भुइयाँ मा देव सही हे,सुनलौ हमर किसान।।

करजा जब अब्बड़ हो जाथे,बेचत हावय खेत।
फाँसी मा झूलत हावय सब,तभो करै नइ चेत।
भूख प्यास ले निसदिन मानौ,छूटत इँखर परान।
ए भुइयाँ मा देव सही हे,सुनलौ हमर किसान।।

काला बेचय काला खाये,नही किसानी मोल।
हरलौ दुख पीरा ला जम्मो,सुनलौ सबके बोल।
सुखी रहय जम्मो किसान मन,दयँ इनला सम्मान।
ए भुइयाँ मा देव सही हे,सुनलौ हमर किसान।।

छंदकार - श्रीमती आशा आजाद
पता मानिकपुर कोरबा छत्तीसगढ़
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कज्जल छंद - श्री सुखदेव सिंह अहिलेश्वर

भुँइया के बेटा किसान।
खेती मा देथस धियान।
उपजाथस सोनहा धान।
कारज हे सबले महान।

धन धन जगपालक किसान।
अंतस मा नइहे गुमान।
तोर दया जिनगी परान।
तहीं असल देश के मान।

जब ले तैं उपजाय अन्न।
नइहे जी कोनो विपन्न।
करे कड़ाही छनन छन्न।
खाके जन मन हे प्रसन्न।

छन्दकार - सुखदेव सिंह'अहिलेश्वर'
गोरखपुर कबीरधाम छत्तीसगढ़
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कज्जल छंद - चित्रा श्रीवास

हावय सबके ये मितान
मोर देश के गा किसान
नाँगर धरे रोज बिहान
जाथे खेत चतुर सुजान।।

बूता करें जांगर तोड़
रात दिन के चिंता छोड़
बादर पानी घाम मोड़
भुइयाँ पूजे हाथ जोड़।।
देथे सबला अन्न धान
बेटा भुइयाँ के महान
पाथे सबो जीवन दान
सबके हवे ये भगवान।।

छन्दकार - चित्रा श्रीवास
कोरबा छत्तीसगढ़
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छप्पय छन्द - डॉ. तुलेश्वरी धुरंधर

पानी बने दमोर, बने जी बादर छाये।
खेती करबो जान,बतर अब सुघ्घर आये।।
बिजहा लाबो आज ,खेत मा बगरा देबो।
रोपा बोता डार ,फसल ला बढिहा  लेबो ।।
खेत बने चतवार के,खातू माटी डार के।
करगा बूटा हेर के ,नरवा रुंधव खार के।।

छन्दकार - डॉ तुलेश्वरी धुरंधर ,अर्जुनी बालोदाबाजर (छत्तीसगढ़)

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लावणी छंद- अशोक धीवर "जलक्षत्री"

गाँव खेत मा जाके देखव, रोवत हे किसान मन हा।
सबके तन बर अन्न उगाथे, दुबरागे खुद के तन हा।।

लदगे कर्जा मा किसान हा, चिंता मा लेवत फाँसी।
तभो दोगला नेता मन ला, आवत हे अड़बड़ हाँसी।।

कतका मिहनत करथे ओमन, तब मिलथे खाना हमला।
देख कैमरा लगा खेत मा, नोहय ये घर के गमला।।

जाँगर टोर कमाथे ओमन, करम ल पूजा कहिथे जी।
का ठंडा का गरमी बरसा, तड़पत दुख ला सहिथे जी।।

भुँइया के भगवान किसनहा, ओकर दुख के ध्यान धरव।
"जलक्षत्री" हा हाथ जोड़ के, कहे सबोझन मान करव।।

छंदकार - अशोक धीवर "जलक्षत्री"
तुलसी ( तिल्दा नेवरा)
जिला -रायपुर (छत्तीसगढ़)
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मोद सवैया - मनीराम साहू 'मितान'

खूब कमाय किसान सबो पर हाथ कहाँ भाई कुछ आथे।
बादर हा बरसै नइ जी बरसै जब वो बिक्टे बरसाथे।
जाय सुखाय बिना जल के सह या बरसा ले वो सर जाथे।
मौसम ठीक रहै त कभू चट कीट पतंगा हा कर जाथे।

छूटय गा नइ संग कभू करजा रइथे मूड़ी लदकाये।
ले उँन पावयँ तो नइ जी चिरहा पटकू ले काम चलायें।
लाँघन गा रहि जाय घलो उँन भाग म बासी पेज लिखाये।
पालनहार कहायँ भले उँन रोज गरीबी भोग पहायें।

घूमयँ जी उघरा लइका मन पाँव कहाँ जूता हर होथे।
आड़ किसानन ले बड़का मन स्वारथ रोटी ला बड़ पोथें।
ध्यान कहाँ रइथे ककरो सरकार घलो संसो बिन सोथे।
हार जथें बपुरा मन हा अउ जा तब फाँसी आप अरोथें।

छंदकार- मनीराम साहू 'मितान'
कचलोन (सिमगा )
जिला बलौदाबाजार भाटापारा
छत्तीसगढ़ 493101
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चौपाई छन्द - दुर्गा शंकर इजारदार

कतका गुन ला गाँव मैं ,भैय्या मोर किसान,
जय जय जय जय तोर हे ,भुइयाँ के भगवान।।

खून पसीना खूब बहावय ,सब्बो बर जी अन उपजावय ,
का दिन हे अउ का हे राती ,बरथे वो दीया कस बाती ।।

बुता काम के संग मितानी ,धरम करम हे खेत किसानी ,
भुइयाँ के चीरय वो छाती ,अन निकलय तब तो ममहाती ।।

गैंती राँपा हँसिया नाँगर ,संग उँखर वो पेरय जाँगर ,
ना पानी ना लागय सर्दी ,लागय ना तो ओला गर्मी ।।

दुनिया भर के वो अन दाता ,भुइयाँ ला माने जी माता ,
जब ओहर गा अन उपजाथे ,तब तो जीव पेट भर पाथे ।।

छंदकार - दुर्गा शंकर इजारदार
सारंगढ़(मौहापाली)
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चकोर सवैया - कौशल कुमार साहू

धान गहूँ सरसो अरसी धनिया ममहावय होत बिहान ।
मूँग उरीद चना बटरी तिंवरा अँकरी सिलहोय किसान।
खाँद म नाँगर खेत म जाँगर सूरज संग बदे ग मितान।
पेट भरे जग मा सबके तुँहला कहिथे तभहे भगवान ।।

छंदकार - कौशल कुमार साहू
ग्राम/पोस्ट :- सुहेला
जिला:- बलौदाबाजार -भाटापारा
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दोहा छन्द - सुधा शर्मा

माटी के बेटा हरय,नाँगर खेत चलाय।
धरती छाती चीर के,अन सोनहा उगाय।।

मिहनत करे किसान हर,बहत पसीना जाय।
सहिथे पानी घाम ला,तब खेती हरियाय।।

कोड़इ निंदइ मा लगे,पिचके हावय पेट।
बाँह आस के भोरहा,हवँय कमावत खेत।।

परिया परिया तोड़ के,धनहा करे किसान।
भरे पेट संसार के,धरती के भगवान।

जन जन के कोठी भरे,जुच्छा खुद रहि जाय।
लागा बोड़ी मूड़ गुरु, फाँसी मा झूलाय।।

किसिम किसिम के लेत हैं फसल ये नवा चार।।
नवा नवा सुबिधा घलो,देवत हे सरकार।

दँउरी बेलन अब नहीं ,टैक्टर टाली आय।
होगे बूता गा सरल,खातू कचरा पाँय।

कभू गिरे पानी अबड़,कभू बादर टँगाय।
मौसम के सब रंग हा,देथे गा रोवाय।

थोरिक मा खुश हो जथे,सपना देखे आन।।
बढ़ोतरी के मूल सब,जग मा हवे महान।

धरती के बेटा हरे,जग के पालन हार ।
बिनती  हे भगवान से,सुखी रहे संसार ।

सुधा शर्मा
राजिम छत्तीसगढ़
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दोहा छंद - पोखन लाल जायसवाल

पेट भरइया हच तहीं, करथच सबके चेत।
मिहनत करथस रात दिन, छीत पछीना खेत।।१

हिजगा-पारी छोड़ के, करथस खेती-खार।
काम -बुता मा मन लगा, सहिथस सबके भार।।२

तोला साहूकार मन, चीथ-चीथ के खाय।
दिन बादर ला जान के, घेरी-भेरी आय।।३

कोन तोर चिंता करय, चिटिक समझ नइ आय।
हितवा बने किसान के, चिंता कोन उठाय।।४

जानय सबझन बात ए, मिहनत हे अनमोल।
मिलय नहीं काबर कभू, सोन बरोबर तोल।।५

करजा-बोड़ी मा लदे, रोथे रोज किसान।
मिलही वाजिब दाम जब, होही तभे बिहान।।६

लहू पसीना गार के, खेती करय किसान।
पीके लहू गरीब के, धनहा उपजे धान।।७

राहय सब कोठी भरे, राहय सब खुशहाल।
मिहनत के परसाद मा, होवय मालामाल।।८

छंदकार:पोखन लाल जायसवाल
पठारीडीह (पलारी)
जिला-बलौदाबाजार भाटापारा छ.ग.
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गीतिका छंद - आशा देशमुख (गीत)

हाँथ जोड़व मुड़ नवावँव ,भुइँया के भगवान हो।
गुन तुँहर कतका गिनावँव ,कर्म पूत किसान हो।

हाँथ मा माटी सनाये ,माथ ले मोती झरे।
सब किसनहा सुन तुँहर ले ,अन्न के कोठी भरे।
घाम जाड़ा शीत तुँहरे ,मीत संगी जान हो।
गुन तुँहर कतका गिनावँव ,भूमि पूत किसान हो।1।

हे जगत के अन्नदाता ,मेटथौ तुम भूख ला।
मेहनत कर रात दिन फेंकव अलाली ऊब ला।
नीर आँखी मा लबालब ,सादगी पहिचान हो।
गुन तुँहर कतका गिनावँव ,कर्म पूत किसान हो।2।

आज तुँहरे दुख सुनैया ,नइ मिलय संसार मा।
सब अपन मा ही लगे हे ,एक होय हज़ार मा।
ये जगत के आसरा हव ,दीन जीव मितान हो।
गुन तुँहर कतका गिनावँव,भूमि पूत किसान हो।3।

छन्दकार - आशा देशमुख
कोरबा छतीसगढ़
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सरसी छन्द - नमेंद्र कुमार गजेंद्र

जांगर टोरत करँव किसानी,मँय हर हरँव किसान।
खून पसीना गार उगाथौं,सोन बरोबर धान।।

करथौं मँय हर पालन पोषन,मानत सबो ल एक।
कँवरा सब के मुँह डालत,करँव काम बस नेक।।

लोहा कस मँय करिया बेटा,भू के करँव सिंगार।
बेर कुबेरा नांगर धर के,जोंतव पूरा खार।।

मोर गोड़ हे दर्रा हनगे,बोहावत बड़ खून।
देख घाव के पीरा काबर,छितत हवो सब नून।।

नइ मांगव मँय सोना चाँदी, नइ तो हलवा खीर।
करँव किसानी जीयत भर ले,बन माटी के वीर।।

छन्दकार-नेमेन्द्र कुमार गजेन्द्र
हल्दी-गुंडरदेही-बालोद
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सुमुखी  सवैया - अरुण कुमार निगम

किसान उगाय तभे मिलथे , अन पेट भरे बर ये जग ला
अजी सुध-चेत  नहीं इनला, धनवान सबो समझें पगला
अनाज बिसा सहुकार भरे खलिहान , किसान रहे कँगला
सहे अनियाय तभो बपुरा , नइ छोड़य ये सत् के सँग ला  

मुक्ताहरा   सवैया - अरुण कुमार निगम

किसान कहे लइका मन ला तुम नागरिहा बन अन्न उगाव
इहाँ अपने मन बीच बसो  झन गाँव तियाग विलायत जाव
मसीन बरोबर लोग उहाँ न दया न मया न नता न लगाव
सबो सुख साधन हे इहिंचे  धन - दौलत देख नहीं पगलाव

वाम  सवैया - अरुण कुमार निगम

किसान उठावय नागर ला अउ जोतय खेत बिना सुसताये
कभू बिजरावय घाम  कभू अँगरा बरसे तन-खून सुखाये
तभो नइ मानय हार सदा करमा धुन गा मन-मा मुसकाये
असाढ़  घिरे बदरा  करिया बरखा बरसे  हर पीर भुलाये

लवंगलता   सवैया - अरुण कुमार निगम

किसान हवे  भगवान बरोबर  चाँउर दार गहूँ सिरजावय
सबो मनखे  मन पेट भरें  गरुवा बइला मन प्रान बचावय
चुगे चिड़िया धनहा-दुनका मुसुवा खलिहान म रार मचावय
सदा दुख पाय तभो बपुरा सब ला खुस देख सदा हरसावय

छन्दकार - अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर, दुर्ग (छत्तीसगढ़)
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