Followers

Monday, December 2, 2019

सार छंद -- श्री मोहन लाल वर्मा

सार छंद --  श्री मोहन लाल वर्मा
                     विषय- बइला

करँव किसानी खेती बाड़ी,जाँगर टोर कमाके।
बनँव नगरिहा के साथी मँय,बइला नाँव धराके। 1।

कतको बादर गरजय चाहे,गिरय कराअउ पानी।
घाम ताव मा बूता करथँव,करँव नहीं मनमानी। 2।

धरती दाई के सेवा मा,बीत जथे जिनगानी।
खून-पछीना रोज बहाथँव,अइसन मोर कहानी। 3।

हिया तता के बोली-भाखा,मँय हा समझँव जानँव।
जे घर मा रहि खावँव पीयँव,मालिक ओला मानँव। 4।

जिहाँ मनावँय तीजा-पोरा,सुग्घर मान हरेली।
पूजँय मोला देव बरोबर,मनखें मन बरपेली। 5।

बड़ सुग्घर तँय करे विधाता,बइला रूप बनाके।
शिवशंकर के कहँय सवारी,मनखें सबो मनाके।6।

मोर सफल होगे जिनगानी,ये दुनिया मा आके।
परमारथ मा उमर पहागे,संगत बढ़िया पाके।7।

जब-जब जनम धरँव भुइँया मा,इही रूप ला पावँव।
"मोहन"सुख संजोये अंतस,भाग अपन सँहरावँव।8।
       
          रचनाकार  :-  मोहन लाल वर्मा
         पता :- ग्राम-अल्दा,पो.आ.-तुलसी
  (मानपुर),व्हाया-हिरमी,विकास खंड-तिल्दा, जिला-रायपुर(छत्तीसगढ़)पिन कोड-493195

43 comments:

  1. वाह वाह बहुत बढ़िया सृजन। बहुत बधाई उत्तम लेखनकर्म बर

    ReplyDelete
  2. वाह गुरुदेव बहुत सुग्घर

    ReplyDelete
  3. वाह मोहन भाई सुग्घर

    ReplyDelete
  4. बहुते सुग्घर लगिसे गुरुदेव

    ReplyDelete
  5. अति सुघ्घर सृजन भाई मोहन

    ReplyDelete
  6. अति सुन्दर रचना सर

    ReplyDelete
  7. अति सुन्दर रचना सर

    ReplyDelete
  8. बड़ सुघ्घर सिरजन सर जी।

    ReplyDelete
  9. बहुत बढ़िया रचना भैया जी ।

    ReplyDelete
  10. बैला के सुघ्घर स्वरूप के बरनन करे हव गुरुजी। बहुत शानदार रचना।

    ReplyDelete
  11. अति सुग्घर सर जी बधाई हो

    ReplyDelete
  12. वाह्ह वाह वाह्ह भइया अब्बड़ सुग्घर भावपूर्ण सार छंद भइया

    ReplyDelete
  13. बहुत सुग्घर सर जी हार्दिक बधाई हो

    ReplyDelete
  14. सुग्घर छंद, मोहन भाई

    ReplyDelete

  15. बहुत सुग्घर सर जी हार्दिक बधाई हो

    ReplyDelete
  16. किसान के संगवारी अऊ किसान के मितान हरे ।
    मोर बर तो ये बईला, सउहे भगवान हरे ।।
    गुरूदेव आपके रचना हमर गाँव ल एक अलग पहचान देथे
    आगामी रचना के अगोरा मा

    ReplyDelete
  17. अनंत बधाई भाई,किसान भाई के सुग्घर बखान👍👌💐💐👏👏👏

    ReplyDelete
  18. बहुत बढ़िया मोहन भाई।

    ReplyDelete
  19. बिकट बढ़िया गुरुदेव

    ReplyDelete
  20. बहुत ही सुन्दर

    ReplyDelete
  21. गजब सुग्घर ।बधाई मोहन जी ।

    ReplyDelete
  22. बहुत सुघ्घर सृजन भाई जी आप ला बहुत बहुत बधाई हो

    ReplyDelete
  23. बहुत बढ़िया भाई। सुग्घर सार छंद
    बइला बनके मै मरँव मिटँव ,धरती दाई तोरे कोरा।
    देव बरोबर महूँ पूजाथँव,हर साल परब तीजा पोरा।।

    ReplyDelete
  24. बहुतेच सुघ्घर गुरूदेव

    ReplyDelete
  25. अति सूघ्घर गुरुजी 👌👌🌹

    ReplyDelete
  26. सुग्घर रचना बधाई

    ReplyDelete
  27. खेती बाड़ी,नांगर बइला के बड़ सुग्घर ढंग ले बखान करे बर आप ला बहुत बहुत बधाई

    ReplyDelete
  28. बहुत सुग्घर छन्द रचना गुरुजी🙏🏻🙏🏻🙏🏻💐💐

    ReplyDelete
  29. बेहतरीन गुरूदेव सादर बधाई

    ReplyDelete
  30. बेहतरीन गुरूदेव सादर बधाई

    ReplyDelete
  31. बेहतरीन गुरूदेव सादर बधाई

    ReplyDelete
  32. वाहहह!बड़ सुग्घर रचना सर

    ReplyDelete
  33. बहुत बढ़िया महोदय।सुग्घर लागिस आपके छंद हा

    ReplyDelete
  34. शानदार, गुरुदेव

    ReplyDelete
  35. अब्बड़ सुघ्घर रचना गुरुदेव,हार्दिक बधाई

    ReplyDelete