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Thursday, December 5, 2019

सार छंद -हेम साहू



सार छंद -हेम साहू

आसो सुम्मत दे हे बढ़िया, हमर अन्न के दाई।
लू  टोर  भांज  लाबो  तोला,  घर हे माहामाई।1।

गुन गावत धरती  दाई  के, जम्मो रोज किसाने।
धरम करम मा बने भाग हा, फल देवय भगवाने।1।

हाँसत   हे  चैतू   बैसाखू,   लुवई   के  दिन  आगे।
हरियर हरियर देख धान ला, जम्मो अब पिवरागे।2।

पाँव परे ओ होत बिहनिया, दिखे सुरुज जब लाली।
पिवरा पिवरा धान हवय गा, लगय सोनहा बाली।3।

बूँद शीत के  चमकत  रहिथे,  सुघ्घर  चारो कोती।
रिगबिग रिगबिग दिखथे बढ़िया, लागे हीरा मोती।4।

लकर धकर आवत बैसाखू,  देख अपन ओ खेती।
धान लुये बर करत अपन ओ, घर मा साऊ चेती।6।

खोजत हे बनिहार घरों घर, धान लुये बर कल्लू।
बैसाखू  के  बेटा खोजत,  दाम फोर के बल्लू।7।

आटुक मा बनिहार मिले ना, खोजब मा हे तंगी।
धान लुये बर जाथेव  सबो, ठलहा हव का संगी।8।

 हॉट-बाँट  हा गाँव-गली अउ,  घर पर जाथे  सुन्ना।
घर मा सियान ला नइ पावस, कहत कका हे मुन्ना।9।

फदके लुवई कार्तिक अघ्घन, कड़के जस जड़काला।
धरे हाथ मा हँसिया निकले, लगा अपन घर ताला।10।

मेड़   पार  लुवईया  रेंगय,  धरके  हँसिया  बासी।
शीत जाड़ के परे पाँव मा, लागय कपकपपासी।11।

लुवय  धान  ला  पाही  पाही,  पार  पार  के हाना।
कहत हवय जाँगर चोट्टा ला, निच्चट झन पछवाना।12।

सुवा  ददरिया  पंथी  करमा,  गावत  हावय  गाना।
हाय हपट झन कर ओ दीदी, जल्दी नइहे जाना।13।

ओरी ओर मढ़ावय करपा,  दिखथे  बड़ सुघराई।
करत काज ले सीख बात ले, बनव चतुर रे भाई।14।

धान लुये सब जाथे बढ़िया, दीदी भैय्या दाई।
हंसी ठट्ठा संग खेत के, सुघ्घर होय लुवाई।15।


छंदकार- हेमलाल साहू
ग्राम-गिधवा, पोस्ट-नगधा
तहसील-नवागढ़, जिला-दुर्ग
छत्तीसगढ़ पिन-491340

10 comments:

  1. बने सुग्घर लिखे हस साहू जी, बधाई।

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  2. बधाई हो भाई,💐👏👌

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  3. गजब सुग्घर रचना सर

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  4. गजब सुग्घर रचना सर

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  5. बहुत सुन्दर गुरुदेव बधाई हो

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  6. बहुत बहुत बधाई हो भाई

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  7. Kheti kisani sambhandhit aapke rchna ha,,abbad sugghar lagise sahu ji..👌👌👌.

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  8. सुग्घर सृजन बर बधाई

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  9. वाहह!वाहह!हेम सर सुग्घर रचना

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