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Wednesday, January 26, 2022

गणतंत्रता दिवस विशेष छंदबद्ध कविता


 गणतंत्रता दिवस विशेष छंदबद्ध कविता


: सुखी सवैया - बोधन राम निषादराज

(गणतन्त्र दिवस)


गणतंत्र मनावत आज सबो,जयकार लगावत धावत हावय।

फहरावत हे धज ला मिलके,जय गान घलो सब गावत हावय।।

लइका खुश होय जवान इहाँ,सँग आज तिहार मनावत हावय।

मन मा सबके अब प्रेम बसे,मन ही मन मा मुसकावत हावय।। 


बोधन राम निषादराज✍️

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: दुर्मिल सवैया- विजेन्द्र वर्मा


मनखे बर तो गणतंत्र बने,करलौ भइया अभिमान इहाँ।

जिनगी सब के खुशहाल रहे,कखरो झन हो अपमान इहाँ।

पढ़लौ लिखलौ नव राह गढ़ौ,बढ़ही तब तो फिर शान इहाँ।

बनही तब देश सदा अगुवा,मति मूरख तैं अब जान इहाँ।

विजेन्द्र वर्मा

नगरगाँव(धरसीवाँ)

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 *ताटंक छंद* 

गणतंत्र दिवस


धजा तिरंगा दुनिया भर मा, लहर लहर लहराबो जी।

अमर शहीदन मन के सपना,पूरा कर दिखलाबो जी।।


सुख समृद्धि राज देश बर,जन खुशियाली लाये हे।

हक अधिकार सबो मनखे मन, लोकतंत्र मा पाये हे।।


बाढ़य गौरव गाथा सुग्घर, जन गण मन  ला गाना हे।

तीन रंग ले सजे तिरंगा, लहर लहर फहराना हे।।


रक्षा खातिर लोकतंत्र के,संविधान लागू होगे।

नीत नियम के सुग्घर रचना,संरचना काबू होगे।।


समता - सुमता भाईचारा,घर-घर मा बगराना हे।

अलख जगावत अब शिक्षा ले,सुख सुराज ला पाना हे।।


छंदकार अश्वनी कोसरे

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 आशा देशमुख: मनहरण घनाक्षरी


गणतंत्र दिवस


जन गण मन गावैं,ऊँचा झंडा फहरावैं

नारा सब बोलय संगी, आन बान शान के।

तीन रंग तिरंगा हे, सुमत भाव चंगा हे।

गीत हवा तक गाये, माटी के सम्मान के।

बड़ उपकार हवे, जन के आधार हवे।

मन से आभार हवे, देश  संविधान के।

कण कण चन्दन हे भारती के वंदन हे।

कण कण गवाही दे, त्याग बलिदान के।



आशा देशमुख

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 लावणी छंद 


हमर तिरंगा फहरत राहय,गाना सुग्घर हम गाबो।

जय हो भारत माता कहिके, झंड़ा ला चल फहराबो।।


कोनो बैरी देश म मोरो,आँखी ला झन गड़ियावय। 

आके हमरो सरहद में अब,कोनो झन पाँव बढ़ावय।।


जब जब आथे मुँह के खाथे, रोवत हपटत जाथे।

हमर देश के वीर सिपाही,लोहा के चना 

 चबाथे।।


दुश्मन तँयहा अभी चेत जा,येती बर झन तँय आबे।

बैंसठ वाला दिन नोहे अब,लहुट नही तँय जा पाबे। ।


कतका तपबे चीनी पाकी,लबरा चपटा तँय हा रे।

गद्दारी रग रग मा हाबे,ओकर फल तँय अब पा रे।।


हिन्दी चीनी भाई भाई, कहिके छुपकर तँय आये।

बीस सिपाही मारे पापी,चालीस जान ल 

गँवाये।।


आगे अब राफेल तोर बर ,तोला भूंज देखाबो।

अभी मानजा बात ल बैरी,हम तोला मजा चखाबो।।

छंदकार 

केवरा यदु"मीरा"

राजिम

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घनाक्षरी-जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"


आज बिहना के होती, एती वोती चारो कोती।

तन मन मा सबे के, देश भक्ति जागे हवै।

खुश हे दाई भारती, होवय पूजा आरती।

तीन रंग के तिरंगा, गगन मा छागे हवै।

दिन तिथि खास धर, आशा विश्वास भर।

गणतंत्रता दिवस, के परब आगे हवै।

भेदभाव ला भुलाके, जय हिंद जय गाके।

झंडा फहराये बर, सब सँकलागे हवै।


जीतेंन्द्र वर्मा खैरझिटिया

बाल्को कोरबा

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दोहा छ्न्द-गणतंत्र


संविधान जे दिन बनिस, आइस नवा सुराज।

हक पाइस हें सब मनुष, पहिरिस सुख के ताज।


का छोटे अउ का बड़े, पा गे सब अधिकार।

हवे राज गणतंत्र के, बहे खुशी के धार।


जाति धरम बोली बचन, अलग रूप रँग वेश।

तभो सबे ला संग ले, चलथे भारत देश।


धन बल लालच छोड़ के, बढ़िया छाँट निमार।

जनता भारत देश के, चुने अपन सरकार।।


देश राज अउ लोग बर,भारत के गणतंत्र।

करथे बढ़िया काम नित,सुख के बाँटत मंत्र।



जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को,कोरबा(छग)

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[1/26, 3:05 PM] मनीराम साहू: जय जय हिन्दुस्तान(दोहा गीत)


हमर तिरंगा के सदा, बढ़त रहय जी शान।

जय बोलव सँविधान के, जयजय हिन्दुस्तान।


गंगा जमुना सरसती, पबरित क्षिप्रा धार।

कावेरी गोदावरी, चिनहा हवँय हमार।

जय कृष्णा जय नर्मदा, जय महनदी महान।

जय बोलव सँविधान के, जयजय हिन्दुस्तान।


अँड़े हिमालय हा हमर , हे बड़का रखवार।

विंध्याचल अउ नीलगिरि, मैकल मया अपार।

अरावली जय सतपुड़ा, करत रहव जयगान

जय बोलव सँविधान के, जयजय हिन्दुस्तान।


तमिलनाडु कर्नाटका, शान हमर काश्मीर।

महाराष्ट गुजरात अउ, बंग समुन्दर तीर।

जय दिल्ली छत्तीसगढ़, मणिपुर राजस्थान

जय बोलव सँविधान के, जयजय हिन्दुस्तान।


राम कृष्ण अउ बुद्ध प्रभु, आये हें जे देस।

नानक सूर कबीर अउ, तुलसी जिहाँ बिसेस।

जय लक्ष्मी राणा शिवा, सिंह शेखर बलिदान।

जय बोलव सँविधान के, जयजय हिन्दुस्तान।

-मनीराम साहू 'मितान'


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[1/26, 3:45 PM] प्रिया: *हमर तिरंगा*(रोला छंद)


हमर देश मा आज, तिरंगा फहरत हावै।

संग मया के गोठ, राग मा सबो सुनावै।।

झूमे नाचे लोग, गीत आजादी गावै।

तीन रंग के आज, अगास तिरंगा छावै।।



फूले गोंदा फूल, अबड़ ममहावत हावै।

बइठ चिरइया डार, राग सुग्घर के गावै।।

बाँध मया के डोर, भेद ला अब सब छोड़ो।

मनखे मनखे एक, प्रेम के नाता जोड़ो।।



आन बान अउ शान, तिरंगा ला फहराबो।

धरती के ये धूल, माथ मा तिलक लगाबो।।

हम भारत के पूत, प्यार से गीत ल गाबो।

भारत माँ के आज, सबो झन मान बढ़ाबो।।


प्रिया देवांगन *प्रियू*

राजिम

छत्तीसगढ़

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[1/26, 4:29 PM] मनोज वर्मा: मन मा उमंग भरे, देशभक्ति भाव धरे।

वन्देमातरम जय, जय हिन्द ये गात हे।

सीना चीर अगास के, आस्था औ बिस्वास के।

शुभ तिरंगा लहर, लहर लहरात हे।

बुढ़ा लइका जवान, रुख राई फूल पान।

करके नमन निज, भाग ला सहरात हे।

चरन मातु भारती, होत हे पूजा आरती।

जन जन स्वाभिमान, अंतस मा जगात हे।


मनोज कुमार वर्मा

बरदा लवन बलौदा बाजार


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[1/26, 6:09 PM] मीता अग्रवाल: *कुंडलिया छंद* 

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 *गणतंत्र* 

झंडा लहरावय सदा,जन मन के विश्वास ।

जन गण मन अउ भारती,होही पूरन आस।

होही पूरन आस,देश बर निष्ठा जागे।

शिक्षित होय समाज,रोग दुख पीरा भागे।

गुनय मधुर ये गोठ,आपसी चलय न डंडा ।

जन सेवा गणतंत्र,गगन मा लहिरे झंडा ।।


(2)

राजा-रानी बिन चलय,आज हमर गणतंत्र।

जनमन जनता प्राण हे,लोक तंत्र हे मंत्र।

लोकतंत्र हे मंत्र,देश जनमत ले चलथे।

जनता के हे जोर,लोकहित शासन गढ़थे।

गुनय मधुर ये गोठ,राज मा मन के  बाजा।

चुनव अपन महराज,खाव खाजा बिन राजा।।


छंदकार 

 *डाॅ मीता अग्रवाल मधुर रायपुर छत्तीसगढ़*

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