Tuesday, December 12, 2017

कुकुभ छन्द - श्री चोवाराम "बादल"

योग करव जी

मनखे ला सुख योग ह देथे,पहिली सुख जेन कहाथे ।
योग करे तन बनय निरोगी,धरे रोग हा हट जाथे।।1

सुत उठ के जी रोज बिहनियाँ,पेट रहय गा जब खाली ।
दंड पेल अउ दँउड़ लगाके, हाँस हाँस ठोंकव ताली ।।2

रोज करव जी योगासन ला,चित्त शांत मन थिर होही ।
हिरदे हा पावन हो जाही,तन सुग्घर मंदिर होही।।3

नारी नर सब लइका छउवा, बन जावव योगिन योगी ।
धन माया के सुख हा मिलही,नइ रइही तन मन रोगी।।4

जात पाँत के बात कहाँ हे, काबर होबो झगरा जी।
इरखा के सब टंटा टोरे, योग करव सब सँघरा जी।।5

जेन सुभीता आसन होवय,वो आसन मा बइठे जी।
ध्यान रहय बस नस नाड़ी हा,चिंता मा झन अइठे जी।।6

बिन तनाव के योग करे मा, तुरते असर जनाथे गा ।
आधा घंटा समे निकालव, मन चंगा हो जाथे गा ।।7

अनुलोम करव सुग्घर भाई, साँस नाक ले ले लेके ।
कुंभक रेचक श्वांसा रोंके, अउ विलोम श्वांसा फेके ।।8

प्राणायाम भ्रस्तिका हावय, बुद्धि बढ़ाथे सँगवारी ।
अग्निसार के महिमा गावँव, भूँख जगाथे जी भारी ।।9

हे कपालभाती उपयोगी, अबड़े जी असर बताथे ।
एलर्जी नइ होवन देवय, ए कतको रोग भगाथे ।।10

कान मूँद के करव भ्रामरी, भौंरा जइसे गुंजारौ ।
माथा पीरा दूर भगाही, सात पइत बस कर डारौ ।।11

ओम जपव उद्गीत करव जी, बने शीतली कर लेहौ ।
रोज रोज आदत मा ढालव, आड़ परन जी झन देहौ ।।12

    रचनाकार - श्री चोवा राम "बादल"
                 हथबंद, छत्तीसगढ़

15 comments:

  1. योग के बढ़िया फायदा बताये हव भैया कुकुभ छ्न्द में
    सुग्घर सृजन

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  2. योग के बढ़िया फायदा बताये हव भैया कुकुभ छ्न्द में
    सुग्घर सृजन

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  3. सुग्घर विषय मा रचना भइया ,

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  4. कुकुभ छंद - 16/14- $$

    योग ज्ञान के धर ले रसदा, मोर बात सुन ले प्रानी
    रोग दोख तज गुनले वरदा,बोल सदा गुरतुर - बानी।
    आसन प्राणायाम करे कर,बन - जाबे तयँ वर दानी
    चालाकी कभ्भू झन करबे,तब बनबे ज्ञानी - ध्यानी।

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  5. वाहःहः भैया जी
    हर विषय में आपके सृजन लाजवाब रहिथे ।
    बहुत सुघ्घर भैया जी

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  6. छंद कुकुभ चोवा भैया के, सोरा आना बढ़िया हे।
    योग करौ बासी खावौ जी, टॉनिक छत्तिसगढ़िया हे।।
    ठँउका कहिन हमर दीदी गा, बनबो हम ज्ञानी ध्यानी।
    रद्दा सोझ रेंगबो छोड़त, चालाकी आनी बानी।।

    चोवा भैया ल नमस्कार सहित...


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  7. योगासन के लाभ ला ओकर नियम सहित बहुत सुग्घर ढंग ले कुकुभ छंद मा बताय हव ,गुरुदेव बादल जी।कोटि कोटि नमन।

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  8. बहुत सुग्घर कुकुभ छंद के रचना सर।बधाई

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  9. बहुत सुग्घर कुकुभ छंद के रचना सर।बधाई

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  10. गजब सुघ्घर गुरुदेव

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