Saturday, May 16, 2020

रोला छंद-जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"


रोला छंद-जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

मजदूर
सबके दुख ला जोर, चलत हे काम कमैया।
सबला पार लगाय, तेखरे  बूड़य नैया।।
घर दुवार ला छोड़, बनाइस पर के घर ला।
तेखर कोन भगाय, भूख दुख डर अउ जर ला।

जागे कइसे भाग, भरोसा मा जाँगर के।
ठिहा हवै ना ठौर, सहारा ना नाँगर के।।
देवै देख हँकाल, सबे झन देके गारी।
सबले बड़का रोग,गरीबी के बीमारी।।

थोर थोर मा रोष, करे मालिक मुंसी मन।
काटत रहिथे रोज, दरद दुख डर मा जीवन।
उही बढ़ा के भीड़, उही चपकावै पग मा।
ठिहा ओखरे बार, करे उजियारा जग मा।

पाले बर परिवार, नाचथे बने बेंदरा।
उनला दे अलगाय, बदन के फटे चेंदरा।
जिये धरे नित धीर, कभू तो सुख घर आही।
फेर बतावव कोन, कतिक पीढ़ी खट जाही।

खावय दाना नाँप,देख के पैसा खरचय।
ओखर कर का चीज,कहाँ अउ कोनो परिचय।
पैसा धरके हाथ, जमाना रँउदे उनला।
कइसे कोन बचाय, गहूँ के भीतर घुन ला।

कबे मनुष ला काय, हवा पानी नइ छोड़े।
ताप बाढ़ भूकंप, हौंसला निसदिन तोड़ें।
बिजुरी हवा गरेर, महामारी हा मारे।
गतर चलावै तौन, अपन जिनगानी हारे।

संसो फिकर ला छोड़, हकन के जउन कमाये।
तेखर बिरथा भाग, हाय कइसन दिन आये।
बली चढ़त हे देख, बोकरा कस नित चोला।
आँखी नम हो जाय,लिखत ले अइसन रोला।

जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को,कोरबा(छग)

23 comments:

  1. अति उत्तम सृजन भाव है भाई

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  2. अनुपम सृजन।हार्दिक बधाई।

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  3. बहुतेच बढ़िया सृजन हे आदरणीय, बहुत बहुत बधाई आप ला।

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  4. सादर पायलागी सर जी

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  5. वाह अतिसुग्घर गुरुदेव👍👌👏💐

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  6. अनुपम रचना सर

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  7. बहुत सुग्घर गुरुदेव जी

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  8. बहुत ही सुन्दर रोला छंद गुरुदेव बहुत बधाई उत्तम सृजन बर

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  9. Replies
    1. सादर चरण बंदन गुरुदेव।।

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  10. बहुत सुंदर रचना भैया जी

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  11. वाह वाह वाह
    गजब कलम चलाथौ
    गुरुजी

    संसो फिकर ला छोड़, हकन के जउन कमाये।
    तेखर बिरथा भाग, हाय कइसन दिन आये।
    बली चढ़त हे देख, बोकरा कस नित चोला।
    आँखी नम हो जाय,लिखत ले अइसन रोला।

    अन्तस् म धंस जाथे
    आप के लेखनी के भाव
    हार्दिक बधाई

    सुरेश पैगवार
    जाँजगीर

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  12. बहुत बढ़िया सृजन आदरणीय

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