Friday, June 26, 2020

कुंडलिया छंद - कन्हैया साहू 'अमित

कुंडलिया छंद - कन्हैया साहू 'अमित'

भाखा हमर-1
महतारी भाखा अपन, होथे ब्रम्ह समान।
छोड़ बिदेशी मोह ला, करलव
निज सम्मान।
करलव निज सम्मान, मया के भरही झोली।
अंतस राखव बोध, अपन के बोलव बोली।
गुनव अमित के गोठ, सबो के पटही तारी।
छोंड़ छाँड़ अब लाज, बोल भाखा महतारी।


भाखा हमर-2
बड़ही बहुते जी बने, छत्तीसगढ़ी राज।
होही भाखा मा हमर, जब्भे जम्मों काज।
जब्भे जम्मों काज, गोठ मा
होहय जब्बर।
रद्दा खुलही नेक, बढ़े के सुग्घर सब बर।
पढ़व लिखव निज भाष, रहव झन, अड़हा अड़ही।
हमर राज हा पोठ, जबर के आगू बड़ही।

भाखा हमर-3
गुरतुर भाखा हे हमर, छत्तीसगढ़ी नाँव।
ममता के अँचरा इहाँ, सात जनम मैं पाँव।
सात जनम मैं पाँव, हमर हावय ये ईच्छा।
पूरन होवय साध, मिलय निज भाखा सिक्छा।।
कहय अमित कविराज, कभू नइ हे ये चुरपुर।
अपने बोली बात, लगय बड़ सब ला गुरतुर।।

छंद साधक-कन्हैया साहू 'अमित'
परशुराम वार्ड, भाटापारा छत्तीसगढ़
गोठबात~9200252055

7 comments:


  1. महतारी भाखा अपन, होथे ब्रम्ह समान।
    छोड़ बिदेशी मोह ला,करलव
    निज सम्मान।

    वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह

    बहुत ही बढ़िया अउ प्रेरक कुंडलिया 'अमित' जी
    हार्दिक-हार्दिक बधाई

    सुरेश पैगवार
    जाँजगीर

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  2. बहुतेच सुग्घर कुण्डलिया।हार्दिक बधाई

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  3. बहुतेच सुग्घर कुण्डलिया।हार्दिक बधाई

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  4. महतारी भाखा के बहुत सुग्घर बखान सर जी

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  5. बहुतेच सुग्घर महतारी भाखा के महिमा कुण्डलियाँ छंद मा अमित भाई जी

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