Monday, June 29, 2020

कुण्डलिया* सुरेश पैगवार

*कुण्डलिया* सुरेश पैगवार

                        (1)
रोजी रोटी कोन दय,   बंद परे सब काम।
ऊपर ले सब चीज के,  बाढ़त हावय दाम।।
बाढ़त हावय दाम,   काय खाबो हम भाई।
महँगाई के मार, लगय जिनगी करलाई।।
हँड़िया परे उपास, भूख मा अँइठे पोटी।
सुन ले गा सरकार, कोन दय रोजी रोटी।।

                        (2)
सुक्खा धरती हे परे,     आत कहूँ हे बाढ़।
मोर पछीना चूहथे,       तोला लागे जाड़।।
तोला लागे जाड़,       करम ला देबे दोषी।
लालच मा सब जाय, कहाँ हावस संतोषी।।
पइसा पाये खूब,   तभो ले हावस भुक्खा
काट-काट सब पेड़,करे धरती ला सुक्खा।।
                       (3)

बारी बिरवा सूखगे,        अलकर होगे घाम
बिन पानी सब जीव मन,भटकँय होके बॉम
भटकँय होके बॉम,  मिलय छइहाँ ना पानी
रोवत हवँय किसान,चलय कइसे जिनगानी
होगे सुक्खा बाँध,    जिया कलपय सँगवारी
कइसे करबो आज,    सूखगे बिरवा बारी।।

                   🙏 *सुरेश पैगवार*🙏
                             जाँजगीर

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