Friday, July 24, 2020

छप्पय छंद--चोवा राम 'बादल'*

*छप्पय छंद--चोवा राम 'बादल'*

1 जाग

जाग जाग अब जाग, सुते तैं कतका रहिबे।
 दिन मा सपना देख, सबो दुर्दिन ला सहिबे।
 स्वाभिमान के पाठ, पढ़ावय कोन ह तोला।
 भारत माँ के पूत, कहा झन मूरख चोला।
पुरखा मन के मान ला, झन बूड़ोबे आन ला।
ले सकेल सब ज्ञान ला,जमा उहें तैं ध्यान ला।


2 चेत कर

बदलत हवय रिवाज, जमाना ला का होगे।
नइ आवत हे चेत, दुःख पल पल मा भोगे।
कपड़ा लत्ता देख, जिंहा गा इज्जत होही।
बिसर अपन संस्कार, एक दिन मनखे रोही।
अब नवा चाल बेढंग हे, हिरदे अबड़े तंग हे।
रद्दा छूटे परमार्थ के,  रिश्ता नाता स्वार्थ के।


3 परिया परगे

परिया परगे खेत ,नौकरी खोजै बेटा।
 खटिया धरलिच बाप, रोग के  परे सपेटा।
 मिलै नहीं बनिहार ,करै अब कोन ह खेती।
 होगें सबों अलाल, घूमथें वोती एती ।
 शिक्षा होगे बेकार कस, कोरा पुस्तक ज्ञान हे।
 बिन मिहनत के सब मिल जवय, उही म सबके ध्यान हे।


  4  बादर

बादल उमड़ असाड ,सबो के प्यास बुझाथे ।
धरती के सिंगार, पेड़ मन हरिया जाथे।
 भरथे नदिया ताल, मगन मन होय किसानी।
 जिनगी के आधार, अहो ! हाबच वरदानी ।
जोहत रथे किसान हा, तोला तो चौमास मा।
 छींचे बिजहा खेत मा, बने फसल के आस मा।


 5 गाँव

नइ रहिगे अब गाँव  , बँधे सुमता के डोरी।
 राजनीति के खेल, स्वार्थ मा तोरी मोरी।
 बनगे नशा बजार,बिगड़गें लइका छउवा।
 बागडोर जे हाथ,  उही हा होगे खउवा।
 तीज तिहार नँदात हे, चढ़े पश्चिमी रंग हा।
 बदलत हाबय रात दिन, जिनगी के सब ढंग हा।

 6 नेवता 

 पक्का होगे बात, नेवता काली खाहीं।
 सगा पराहीं पाँव , उही दिन लगिन धराहीं।
 सुंदर हवय दमाँद, पैर मा अपन खड़े हे।
 खोले हवय दुकान, किराना अबड़ बड़े हे।
 सुख पाही नोनी उहाँ, मन भीतर विश्वास हे।
  सिधवा समधीजी हवय, रिश्ता सब ला पास हे।


छंदकार--चोवा राम ' बादल'
               हथबन्द, बलौदाबाजार ,छत्तीसगढ़

4 comments:

  1. बहुत सुन्दर गुरुदेव जी

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  2. सुग्घर सिरजन गुरुदेव

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  3. बहुत सुंदर सुंदर रचना गुरू

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  4. ग़जब सुग्घर रचना गुरुजी

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