छप्पय छन्द-कमलेश कुमार वर्मा
1.झिल्ली-
झिल्ली के उपयोग, करत हन सब मनमाने।
येकर दुष्परिणाम, भुगतबो आघू जाने।।
नाली होथे जाम, नदी हा दूषित हरदम।
धरती बर अभिशाप, उर्वरा ला करथे कम।।
पर्यावरण बचाय बर, देवव बढ़िया ध्यान जी।
छेड़व झिल्ली मुक्ति बर, जुरमिल सब अभियान जी।।
2.जल
जल धरती आधार, इही मा हे जिनगानी।
चाही उज्जर काल, बचा लव निर्मल पानी।।
तरिया नदिया झील, जीव के हे कल्यानी।
कचरा ला झन डार, बाढ़ जाही परशानी।।
पानी बड़ अनमोल हे, जतन करव हर बूँद जी।
जल संकट विकराल हे, आँखी ला झन मूँद जी।।
कमलेश कुमार वर्मा
साधक-छन्द के छ
भिम्भौरी, बेमेतरा
बहुत सुग्घर सृजन, बहुत बधाई
ReplyDeleteगजब
ReplyDeleteबहुत सुग्घर वर्मा जी
ReplyDeleteवाह वाह बहुत सुन्दर रचना सादर बधाई
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