Friday, September 15, 2023

हिंदी दिवस विशेष

  हिंदी दिवस विशेष


समान सवैया - हिंदी भाषा


हिन्दी भाषा परम-पावनी, जस संगम गंगा कालिंदी।

माथ सजे चम चमचम चमके,जस भारत माता के बिंदी ।1।


प्रेम चंद के अमर कथा ये, बच्चन के हावय मधुशाला ।

लिखे सुभद्रा लक्ष्मी बाई, मीरा के ये हरि गोपाला।2।


तत्सम तद्भव देश विदेशी, सबो रंग ला ये अपनाथे ।

एक डोर मा सबला बाँधय, गीत एकता के ये गाथे ।3।


शब्द नाद अउ लिपि मा आघू, हम सबके ये एक सहारा।

सागर कस ये संगम लागे, गंगा कावेरी  के धारा ।4।


सत्तर साल बीत गे तब ले, मान नहीं पाइस हे भाषा।

हमर राष्टभाषा के पूरा, कोन भला करही अभिलाषा।5।


संविधान हा भारत के जी, दिये राज भाषा के दरजा।

मान राष्ट्रभाषा के खातिर,हम सबके ऊपर हे करजा।6।


छन्दकार - इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

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हवै पराया हिंदी भाषा, आज अपन घर मा।

जानबूझ के परे हवन हम, काबर चक्कर मा।।


देवनागरी लिपि ला दीमक, बनके ठोलत हे।

अंग्रेजी हा आज इहाँ बड़, सर चढ़ बोलत हे।।


अलंकार रस हे समास अउ, छंद अलंकृत हे।

हिंदी भाषा सबले सुग्घर, जननी संस्कृत हे।।


अपन देश अउ गाँव शहर मा, होगे आज सगा।

दूसर ला का कहि जब अपने, देवत आज दगा।।


सुरुज किरण कस चम चम चमकय, अब पहिचान मिले।

जस बगरै दुनिया मा अड़बड़, अउ सम्मान मिले।।


पढ़व लिखव हिंदी सँगवारी, आगू तब बढ़ही।

काम काज के भाषा होही, रद्दा नव गढ़ही।।


ज्ञानुदास मानिकपुरी

चंदेनी- कवर्धा

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