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Wednesday, August 1, 2018

सार छन्द - श्री अजय "अमृतांशु"



देख ताक के बउरव पानी,हावय ये जिनगानी।
बूँद बूँद के कीमत जानव, झन करहू मनमानी।

जंगल रइही पानी गिरही,सब ला जीवन मिलही।
हँसी खुशी मा जिनगी कटही,फूल सुमत के खिलही।

टोंटी राहय घर के नल मा,बिरथा झन हो पानी।
बाँट बाँट के बउरव सब झन, पानी हे जिनगानी।

बाँध बना के रोकव पानी,नहर बना के सींचव।
एनीकट बनगे नदिया मा,पंप लगा के खींचव।

वाटर हार्वेस्टिंग ल करबो,वाटर लेबल बढ़ही।
गरमी मा भी पानी मिलही,पानी बोर म चढ़ही।

पानी सबो बचावव संगी,शुभ हे पेंड़ लगाना।
पानी देही येहा संगी, सँग मा हरियर पाना।

जंगल के भरमार जिहाँ हे,जम के गिरथे पानी।
बिन पानी के कुछु ना सिरजय,बिरथा हे जिनगानी।

बूँद बूँद बर तरसे लोगन,मार काट हो जाथे।
काम करे बिन सोंचे समझे,का हासिल हो पाथे।

छन्दकार - श्री अजय "अमृतांशु"
भाटापारा, छत्तीसगढ़


45 comments:

  1. वाहःहः भाई अजय
    बहुत बढ़िया शुरुआत।
    बहुत बहुत बधाई

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  2. लाजवाब सार छंद अजय भैया!!बधाई

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  3. लाजवाब सार छंद अजय भैया!!बधाई

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  4. वाह वाह सुग्घर सार छंद अजय भाई।

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  5. वाह वाह वाह.....
    कहत महत्तम पानी के जी, सुग्घर छंद रचाये।
    सार बात बिन पानी के तो,जिनगी बिरथा जाये।।
    रहिमन बाबा कहिन बात सब सुन्ना हे बिन पानी।
    पानी के बुलबुला सही हे, मानुष के जिनगानी।।
    भाई अजय अमृतांश ल हिरदे ले अब्बड़ अकन बधाई...

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  6. अब्बड़ सुग्घर पानी के महत्तम ला बतावत सर छंद भइया बधाई हो

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  7. बहुत बढ़िया सार छंद भईया जी

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  8. आपमन ला अनंत बधाई सर जी

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  9. बहुतेच बढ़िया सर जी

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  10. बहुत बहुत बधाई अजय भैया

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  11. अजय भाई जी, पानी के महत्ता बतात निच्चट सुग्घर छंद रचना

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  12. सिरतोन कहेव अजय भाई पानी हमला देख ताक के बउरे बर लागही। वाह सुग्घर सिरजन

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  13. सुग्घर सिरजाय हव अजय जी बधाई।

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  14. अब्बड़ सुग्घर सार्थक रचना बधाई हो भाई

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  15. बहुत बढ़िया रचना भइया जी बधाई हो

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  16. शानदार सार छंद अमृतांशु सर।

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  17. वाह आदरणीय वाह।

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  18. बहुत सुन्दर संदेश भइया जी

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  19. बहुत सुन्दर सन्देश परख रचना गुरुदेव जी

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  20. बहुत सुन्दर सन्देश परख रचना गुरुदेव जी

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