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Thursday, August 2, 2018

ताटंक छंद-श्री असकरन दास जोगी


मनखे-मनखे एक बरोबर,जोहन कब समता आही |
खेलत हें समरसता कहिके,अब कब मानवता छाही |1|

संत पंथ पथ लानवँ कोनो,जेमा सत बहुरै संगी |
हितवा-मितवा सब झन बनजैं,कब मिटय मया के तंगी |2|

इहाँ गाय गोबर के खेला,बड़ राजनीति हे भाई |
जनता खोजय हितवा नेता,शासन तो बनगे खाई |3|

 देखव भ्रष्टाचार खड़े हे,फेन साँप कस वो काढ़े |
कोनो मारत नइहे संगी,तब दानव जइसे बाढ़े |4|

पइसा वाला न्याय बिसाही,न्याय आस दुखिया राखे |
ढ़रही आँखी रोज लहू रे,कोन अगमजानी भाखे |5|

बलात्कार कइसे थमही जी,भारत माता तो सोंचे |
सिहरत-कलपत रोजे रोवत,दु:ख लाख हिरदे खोंचे |6|

रचनाकार : श्री असकरन दास जोगी 
पता : ग्राम डोंड़की पोस्ट+तह.-बिल्हा जिला बिलासपुर छत्तीसगढ़

27 comments:

  1. बहुत बहुत धन्यवाद गुरुदेव 🌸🌻💓🙏

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  2. लगे रहो भाई बहुत शानदार रचना लिखा है

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  3. बहुत बढ़िया भाई,, परम् पूज्य गुरूदेव के फोटो के साथ रचना लिंक करना ,कत्तिक महिनत हमर मन बर गुरूदेव करथे, सादर नमन

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    1. सहीं कहत हव भईया जी.. . धन्यवाद

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  4. बहुतेच बढ़िया ताटंक छंद बधाई

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  5. वाह वाह सुग्घर ताटंक छंदबद्ध रचना।हार्दिक बधाई।

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  6. सुग्घर रचे हव जोगी जी।बधाई।

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद भईया जी

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  7. बढ़िया रचना भाई....
    "ढरही रोज लहू आँखी ले" कर लौ भाई मोर हिसाब से
    बाकी गुरुदेव के आज्ञा...

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    1. जी भईया जी आपके मार्गदर्शन के पालन अवश्य करहवँ.... बहुत बहुत धन्यवाद

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  8. बहुत सुन्दर सिरजन आसकरन भाई

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद मनी भईया जी

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  9. बहुत बहुत बधाई भइया जी, सुग्घर रचना पढ़े ल मिलिस

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  10. वाह्ह वाह्ह् सर जी

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  11. वाह्ह वाह्ह् सर जी

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  12. वाहहह वाहहह शानदार रचना सर जी।

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  13. बहुत बढ़िया रचना है भाई

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  14. बहुत सुघ्घर ताटंक छंद!!बधाई हो असकरण भाई।।

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  15. बहुत सुघ्घर आदरणीय

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  16. शानदार ताटंक छंद भैया। सादर बधाई।

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  17. बहुत सुन्दर रचना,सुन्दर संदेश

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  18. बहुत सुंदर सृजन से जोगी भाई ।

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