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Monday, August 27, 2018

चौपाई छंद - श्री हेमलाल साहू

मच्छर अपन जहर फैलावत। गाँव शहर के घर घर जावत।
 डेंगू बीमारी बगरावत। कहर मौत के हे बरपावत।1।

देख राज मच्छर के आगे। तोर स्वच्छता कहाँ गवागे।
रोज एक झन ला मरना हे। मच्छर के तो ये कहना हे।2।

रहे गन्दगी गाँव शहर मा। रइहव सबके मयँ घर घर मा।
जिनगी मोर गंदगी अंदर। कहिथे मच्छर जंतर मंतर।3।

जात पात ला मँय नइ देखव। थोर थार सफई नइ घेपव।
गन्दा में हे रहना बसना। सबो डहर हे मोर बिछवना।4।

हवे गन्दगी दुनिया भर के। गाँव शहर मा देखव कसके।
कहाँ स्वच्छता तोर लुकागे। भुन भुन बोले मच्छर भागे।5।

फेंक गन्दगी घर के अँगना। जन कहिथे हमला का करना।
अब मच्छर के होंगे बढ़ना। हवे गन्दगी मा ओला रहना।6।

नेता मन ला का हे करना। उनला तो कोठी हे भरना।
रहिस स्वच्छता चारे दिन के। फेर बइठ गे पैसा बिन के।7।

बनिस हवे सब घर सौचालय। काम अधूरा ला करवावय।
रख रखाव ला नइ बनवावय। गली गन्दगी हा बोहावय।8।

हाल गाँव मन के अब देखव। स्वच्छ गन्दगी मा जी  रेगव।
गाँव गली घर मच्छर बसगे। डेंगू के प्रकोप सब बनगे।9।

डेंगू ले पाबे तँय काबू। अपन स्वछता ला रख बाबू।
दूर भागथे जी बीमारी। राख स्वच्छ घर अँगना बारी।10।

छन्दकार - श्री हेमलाल साहू 

21 comments:

  1. सामयिक रचना,सुघ्घर कटाक्ष।

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  2. बहुत सुघ्घर भाव हे आदरणीय, बहुत बहुत बधाई।

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  3. बहुतेच सुग्घर चौपाई छंद आदरणीय

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  4. बहुत बहुत बधाई साहू जी
    स्वच्छता अउ बीमारी ऊपर बढ़िया चौपाई छंद

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  5. बहुत बढ़िया रचना है भाई
    बहुत बहुत बधाई

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  6. बहुत बढ़िया बधाई हो हेम भईया जी

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  7. बहुत बढ़िया रचना करे हव भैया जी। सादर बधाई।

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  8. वाह वाह ।शानदार सृजन हेम भाई के। हार्दिक बधाई।

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  9. Replies
    1. सादर धन्यवाद ज्ञानु भाई जी

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  10. बहुत सुन्दर समसामयिक रचना हे हेम सर।

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  11. बहुत सुन्दर गुरुदेव

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