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Friday, January 26, 2024

छेरछेरा परब विशेष,छंदबद्ध कविता


 छेरछेरा परब विशेष





सुंदरी सवैया

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मिलके लइका सब जावत हे,अउ नाचत गावत छेरिकछेरा।

अँगना अँगना घर द्वार कहै,बहिनी मन धान ल हेरिकहेरा।

कनिहा मटकावत हाथ धरे,सब गाँव घरोघर डालय डेरा।

अउ अन्न मुठा भर पाय कहै,दुख दारिद होवय दूर अँधेरा।


ज्ञानु

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[ आशा देशमुख: छंद रचना

धारा छंद

छेरछेरा परब


बोलत छेरिक छेरा छेर, लइका मन  घर घर जावैं।

कोठी के सब हेरव  धान, घेरी बेरी चिल्लावैं।।

सब झन करव अन्न के दान, पूण्य हवय अब्बड़ भारी।

भरे रहय सबके भंडार, लहलहाय खेती बारी।।


दाई शाकम्भरी सहाय, गहदे सब भाजी पाला।

भरय सबो प्राणी के पेट, हटय गरीबी के जाला।।

अन्न दान के आय तिहार, ये अब्बड़ पबरित लागै।

दुख दारिद सब होवय दूर, दान धरम के रस पागै।।


अन्नपूरना देवय दान, फैलाये शिव जी झोली।

अद्धभुत अचरज दिखथे दृश्य, दुनो भरय जग के ओली।।

मन ला भावैं रीति -रिवाज, खुशी मगन नाचत आवैं।

सुघर लगय संस्कृति संस्कार,  मिलके  सब परब मनावैं।।


माँगय लइका लोग सियान, छोटे बड़े बने टोली।

लगय अनोखा सुर अंदाज, मनभावन गुत्तुर बोली।

चीला चौसेला पकवान, महके घर अँगना पारा।

पावन पबरित पूस तिहार, बगरे जस भाईचारा।।



आशा देशमुख

एनटीपीसी जमनीपाली कोरबा

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 कौशल साहू: *छेरछेरा*   (बरवै छंद)


परब छेरछेरा हे , कर ले दान ।

पसर पसर जी देवव, कोदो धान।।


धर के चुरकी झोला , आय दुवार ।

मगन मगन माँगय सब,चीहुर पार।।


गली गली मा टोली, बाजय साज ।

माँगे मा कोनो ला, नइये लाज ।।


दान परब के हे ये , शुभ दिन आज ।

हाँसत हाँसत दौ झन,करौ नराज।।


दान करे मा कौशल , घटै न शान ।

दूना देथे सब ला ,अउ भगवान ।।


लाँघन रहिके सब बर,बोंवय धान ।

बड़का दानी जग मा,हमर किसान ।।


✍️ :-कौशल कुमार साहू

          सुहेला (फरहदा )

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         25/01/2021

आल्हा छंद-


छत्तीसगढ़ के तिहार पावन, होथे हम ला गरब गुमान।

छेरिक छेरा लइका बोलँय, माई कोठी हेरव धान।।


आव सुनावँव तुँहला संगी, परब छेर छेरा के मान।

दया दान अउ प्रीत भरे हे, माई कोठी के जी धान।।


पूस महीना पाख अँजोरी, नवा सुरुज के नवा अँजोर।

धान कटोरी महतारी हा, सदा रखे हे मया सँजोर।।


गाँव शहर अउ गली-गली मा, होगे देखव नवा बिहान।

चारो कोती गूँजत हावय, हमर छेर छेरा के गान।।


मया दुवारी खुल्ला रखके, सब झन करिहौ सुग्घर दान।

दया बिराजे मन मा सबके, धरती दाई दे वरदान।।


🖊️ इंजी.गजानंद पात्रे "सत्यबोध" 

बिलासपुर (छ. ग.) 25/01/2024

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: *छेर छेरा तिहार (लावणी छंद)*


 पूस माह के पुन्नी आगे,

                       छेरिक छेरा आगे ना। 

सुनलव मोरे भाई बहिनी,

               धरम-करम सब जागे ना।।


होत बिहनिया देखौ लइका, 

                     बर चौरा सकलावत हे। 

कनिहा बाँधे बड़े घाँघरा,

                नाचत अउ मटकावत हे।।

देवव दाई -ददा धान ला,

                     कोठी सबो भरागे ना।

पूस माह के पुन्नी आगे ...............


मुठा-मुठा सब धान सकेलै,

                   टुकनी भर के छलकत हे।

छत्तीसगढ़ी रीति नियम ये, 

                 मन हा सुग्घर कुलकत हे।।

छेरिक छेरा परब हमर हे,

                    भाग घलो लहरागे ना । 

पूस माह के पुन्नी आगे.............


देखव संगी चारों कोती,

                        बने घाँघरा बाजत हे।

बोरा चरिहा टुकना बोहे, 

                      बहुते लइका नाचत हे।।

छेरिक छेरा नाच दुवारी, 

                   खोंची - खोंची माँगे ना ।

पूस माह के पुन्नी आगे............



रचना:-

बोधन राम निषादराज"विनायक"

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(चंद्रमणि छंद)


अरन बरन कोदो झरन, देबे तभ्भे हम टरन।

लइका मन सब आय हें, छेर छेर चिल्लाय हें।


आज छेरछेरा हवय,पावन पुन बेरा हवय।

 सुग्घर आय तिहार ये, देथे जी संस्कार ये।


एकर जी इतिहास हे, फुलकैना के खास हे।

राजा चलन चलाय  हे, जमींदार वो साय हे।


माँगे मा का लाज हे, परंपरा के काज हे।

सूपा मा भर धान ला,करथे धर्मिन दान ला।


दान करे धन बाढ़थे,मन के पीरा माढ़थे।

बरसा होथे प्यार के, आसिस अऊ दुलार के।


ढोलक माँदर ला बजा,माँगत आथे बड़ मजा।

डंडा नाचत झूम के, गाँव ल पूरा घूम के।


धन्य हवय छत्तीसगढ़, जेकर सुंदर कीर्ति चढ़।

भाँचा रघुपति राम हे, दया धरम के धाम हे।


चोवा राम वर्मा 'बादल'

हथबंद, छत्तीसगढ़

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पद्मा साहू, खैरागढ़ 14: छेरछेरा 


छन्न पकैया छन्न पकैया, भाग हमर अब जागे ।

पूस महीना दान परब के, पबरित पुन्नी आगे ।।


छन्न पकैया छन्न पकैया, आगे तिहार सुग्घर ।

छेरिक छेरा छेरमरकनिन, माँगे जाबों घर-घर ।।


छन्न पकैया छन्न पकैया, डंडा नाचयँ  सब झन ।

छेरिक छेरा छेरिक छेरा, कोठी भरय अन्न धन ।।


छन्न पकैया छन्न पकैया, गूंजय आरा पारा ।

तारा रे तारा संगी हो, चाबी के हे तारा ।।


छन्न पकैया छन्न पकैया, चल बुधिया चल तारा ।

जल्दी-जल्दी बिदा करव जी, जाबों दूसर पारा ।।


छन्न पकैया छन्न पकैया, सुन मोर संगवारी ।

भरे धान के टुकनी धर के, बइठे बबा दुवारी ।।


छन्न पकैया  छन्न पकैया,  ठोम्हा-ठोम्हा  भरके ।

देवय सबला दान बबा जी, लइका खुश हें धर के ।।


छन्न पकैया  छन्न पकैया, दूर विपत सब भागय ।

किरपा रहे अन्नपूर्णा के, भाग सबों के जागय ।।


डॉ. पद्मा साहू "पर्वणी"

खैरागढ़

जिला खैरागढ़ छुईखदान गंडई

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मुकेश : छेरछेरा---- दोहा छंद  


छेरिक छेरा सब कहत, गली-गली अउ खोर ।

नाचत कूदत जात हें,  करत हवँय जी शोर ।।


लइका मन झोला धरे, माँगत घर-घर जात ।

महा परब हे दान के,  खोंची- खोंची पात ।।


अरन-बरन कोदो दरन, कहिके हाँक लगात ।

रोटी- पीठा हे बने, मुसुर- मुसुर सब खात ।।


नाचँय डंडा अउ सुवा, ढोलक माँदर साज ।

छेरिक छेरा बोल के,  माँगे मा का लाज ।।


पूस माह के हे परब, करव अन्न के दान ।

मुठा-मुठा देवव सबो, होही गा कल्यान ।।



मुकेश उइके "मयारू"

ग्राम- चेपा, पाली, कोरबा(छ.ग.)

मो.नं- 8966095681

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चौपाई-छंद 

२५-०१-२०२४

छेरिक-छेरा


गोल-गोल उन करके घेरा।नाचँय लइका छेरिक छेरा।

धरे घाँघरा घुंघरु घाटी। बाजै सुघ्घर छुनछुन साटी।


नान्हे- नान्हे लइका आवँय।नाचँय सबके मनला भावँय।

छोटे-छोटे धरके झोला।किंदरत हावँय पारा टोला


दल के दल उन सँघरा आवँय।कूदत नाचत घर-घर जावँय।

छेरिक छेरा गाना गावँय।माई कोठी धान मँगावँय।


पसर-पसर देवत हे दाई।मानत हे सुघ्घर पहुनाई।

पूस माह के सुघ्घर पुन्नी।सुरता राखै मुन्ना -मुन्नी।


बरिक दिनन के रिथे अगोरा। हमर राज हे धान कटोरा।

बिना दान धन शुद्ध न होवय।किस्मत के रेखा नइ सोवय।


दान पुण्य मा धन हा बाढ़े।अपन करम अपने बर माढ़े।

"शर्मा बाबू" करनी जइसे।फल सबला मिलथे जी वइसे।


कमलेश प्रसाद शर्माबाबू

कटंगी-गंडई

जिला केसीजी

छत्तीसगढ़ ९९७७५३३३७५

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 धिरही जी: छेरछेरा

जाँगर ला तो पेर के,उपजाथन जी धान।

अड़बड़ कुन करथन बुता,हमला कथे किसान।।


सकलाथे सब धान हा,आथे हमर तिहार।

मांग छेरछेरा हमन,पाथन मया दुलार।।


बोरी झोला ला धरे,लइका सबो सियान।

घर-घर जाके मांगथन,हेरव कोठी धान।।


पूस महीना मा हमर,सबले बड़े तिहार।

बोल छेरछेरा सबो,करथन जी गोहार।।


डंडा ला सब नाचथे,माँदर धरके झाँझ।

पाथे कतको धान ला,आथे लहुटत साँझ।।


रोटी पीठा अउ बरा,चूरथे बने साग।

गीत घलो गावत रथे,धर के सुग्घर राग।।


बने छेरछेरा हमर,अलग हवय पहचान।

आवव जी छत्तीसगढ़,मांगे जाबो धान।।

राजकिशोर धिरही

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Monday, January 22, 2024

भव्य राम मंदिर अउ भगवान राम के प्राण प्रतिष्ठा में





भव्य राम मंदिर अउ भगवान राम के प्राण प्रतिष्ठा में

अशोक कुमार जायसवाल: बरवै छंद*


हमर अंगना आये,प्रभु श्री राम।

मस्त मगन मन गाये,जय जय राम।।


बछर अगोरत आइस,ये दिन आज ।

फेर लहुटही अब तो, राम सुराज ।।


जन जन खुशी मनावव,धिड़का साज।

तिरिया के राहन दे,जम्मो काज ।।


गुणगान करत नाचत,हे हनुमान।

फूल पान बरसावय,सब भगवान।।


जगर मगर सब कोती,लगे उचास ।

राम नाम के महिमा,गुंजे अगास ।।


अशोक कुमार जायसवाल 


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🌹 जयकारी-छंद 🌹


होवत हे मंदिर निरमान। जल्द विराजव जी भगवान।

आवव-आवव मोरे राम। अपन ठउर मा राखव धाम।

जय श्री राम 🙏

आज अवधपुर लगय अपार। लगथे जइसे सरग दुवार।

रघुपति राघव राजा राम।नवा साल मा बनगे धाम।

जय श्री राम 🙏


जघा-जघा गूँजत हे नाम।सकल विश्व के दाता राम।

हमर देश के हे पहिचान। पथरा कठवा में भगवान।।

जय श्री राम 🙏


तोर नाम के हे बड़ शोर। भजथें ठग ठाकुर अउ चोर।।

राम नाम के हे परताप।पथरा तउँरे अपने आप।।

जय श्री राम 🙏


आवत हे शुभ तिथि अउ वार।राम लला सजही दरबार।।

खोर गली घर राखव लीप। सुघ्घर बारव घर-घर दीप।।

जय प्रभु राम 🙏


कमलेश प्रसाद शर्माबाबू

निवासी -राम के ममियारो 

कटंगी गंडई जिला केसीजी छत्तीसगढ़।

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बादल: सियावर रामचंद्र की जय।

जै जै श्रीराम।

पावन धाम अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि स्थल मा नव निर्मित भव्य,अलौकिक श्रीराम मंदिर में श्रीराम लला के मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा के आप सब ला हार्दिक बधाई।सादर प्रणाम।


 श्रीसीतारामचरित (छत्तीसगढ़ी भाषा मा छंदबद्ध महाकाव्य) ले श्रीराम राज्य अभिषेक(पूजा के फूल9)के कुछ छंद प्रभु के चरनानवृंद मा अर्पित हे--


चौपाई--

भरत संग आगें पुरवासी।खुशी बगरगे हटिच उदासी।।

गुरु वशिष्ठ सँग रिपुसूदन हे। ओकर गदगद बड़ तन मन हे।।


गुरु के चरन गिरिस रघुराई। पाँव धरे हे सीता माई।।

लछिमन हावै माथ नँवाये ।हनुमंता जयकार लगाये।।


कुशल क्षेम पूछिस मुनिराई। दया तुँहर बोलिस सिय माई।।

भेंट पैलगी होवन लागे ।सुख के बदरी तुरते छागे।।


मायापति माया सिरजाके। पल मा लाखों राम बनाके।।

सब पुरवासी सँग वो भेंटे। सबके दुख पीरा ला मेंटे।।


दोहा--

डंडाशरण गिरगे भरत,भइया भइया बोल।

रोवत हे रघुनाथ हा, हिरदे डाँवा डोल।।


उठाना हे भाई भारत, बोलिस श्री रघुनाथ।

हृदय लगा भरके भुजा, सिर मा फेरिस हाथ।। 


हरिगीतिका--


आँसू झरत रोवत भरत हे, संग मा रघुनाथ के।

चउदा बरस छूटे दरस हे, मातु सीता साथ के।

पतवार हे रखवार हे वो, धार अटके नाँव के।

रघुवीर के मतिधीर के जी, धूल हा तो पाँव के।


दोहा--


दँउड़िन व्याकुल मातु मन, बेटा बेटा बोल।

पाँव गिरिस रघुनाथ हा, मन हे डाँवाडोल।।


बिछुड़े पिलवा ले मिले, जइसे रोथे गाय।

तइसे जम्मों मातु के, आँसू हा बोहाय।।


सीता तीनों सास के, चरनन माथ नँवाय। लछिमन सब झन ले मिलिस, हिरदे अपन जुड़ाय।।


गोपी छंद--


देवता फुलवा बरसावैं।

गली मा रेंगत सब आवैं।


चँउक पूरे हें घर द्वारी।

आरती लेवैं नर नारी।


अबड़ बाजत हावय बाजा।

अवध के आगे हे राजा।


 करिन न्योछावर हें भारी।

 मगन हावयँ प्रजा सुखारी।


दोहा--

कनक भवन मा आज तो, पहुँचे हे श्री राम।

हो प्रसन्न लहुटिन प्रजा,अवध लगे सुखधाम ।।


सखा सबो रघुनाथ के, गुरु ला माथ नँवायँ।

आवभगत ला देख के,वोमन खुशी मनायँ।।


गुरु वशिष्ठ बोलिस वचन, सुन हे सचिव सुमंत।

राजतिलक बर राम के,कर सिरजाम तुरंत।।


डेरी कोती राम के, सीता ला बइठार।

आज सिंहासन के सुघर,होवत हे सिंगार।।


ब्रह्मा शिव जी देवगण, सिद्ध सबो मुनिराज।

 चढ़े विमान अगास ले,देखत हावयँ आज।।


वेद मंत्र द्विज हें पढ़त,मंगल शंख बजायँ। पिंवरी चाँउर छींच के,आसिस ला बरसायँ।।


 गुरु वशिष्ठ पहिली तिलक,सारिस रघुवर माथ।

राम सिया ला दे असिस,रखिस मूँड मा हाथ।।


चोवा राम वर्मा 'बादल'

हथबंद, छत्तीसगढ़

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 कौशल साहू: बरवै छंद (श्री राम )


खोर गली  गूँजत हे , प्रभु के नाम ।

आज अवध मा आये , हे श्री राम ।।


धजा पताका तोरन, सुग्घर साज।

त्रेता जुग कस आगे , राम सुराज ।।


रूप मनोहर आँखी , नहीं पिराय ।

पाँव पखारत सरजू ,नहीं थिराय ।।


घर अँगना हा लागय , रघुवर  धाम।

सुमिरन मा  सब बनथे ,बिगड़े काम ।।


ओरी  ओरी  जगमग , दीया बार ।

देवारी ले बड़का , आज  तिहार ।।


धरम करम मा होवय , सब ला नाज।

तभे खपाही मुड़ मा ,कौशल ताज ।।


रचना:- कौशल कुमार साहू

    दिनांक 22/01/2024


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रघुकुल नंदन हे दुखभंजन , श्रीपतये प्रभु कष्ट हरो,

रघुपति राघव हे मन भावन पाप भरे मन नष्ट करो।1।


खल दल नाशक हे जग पालक आप कृपा इतना कर दो,

अविरल प्रेम सुधा बरसे मन राम रटे रसना वर दो।2।


विचलित ना मन हो तन हो प्रभु ना धन का अभिमान रहे,

हर पल श्री गुणगान करें प्रभु हे हर श्री पद ध्यान रहे ।3।


हम शरणागत, याचक हैं प्रभु जी इतना उपकार करो,

डगमग डोल रही अब नाव तुम्ही भव सागर पार करो।4।


अगम अगोचर व्याप्त चराचर चेतन सत्य सनातन हे,

जय जय हे दशग्रीवशिरोहर हे अवतार सदातन हे ।5।


परम मनोहर हे सुख दायक जीवन का बस सार तुम्हीं,

चरनन पास रखो रघुनंदन जीवन का भरतार तुम्हीं।6।


तुम बिन नाथ अनाथ पड़े हम आकर दास सनाथ करो,

तुम बिन हार सुनिश्चित है प्रभु आकर के जय माथ करो।7।


किस विधि ध्यान करें हम ईश्वर है मति मूढ़ अबोध सुनो,

जप तप ध्यान नहीं वश में मन मोह भरे अनुरोध सुनो।8।


दरसन को मन तो तरसे प्रभु आन बसो मन मंदिर में,

धड़कन नाम रटे रघुनंदन आन बसो तन मंदिर में।9।


निबिड़ निशा पथ कंटक कानन आ करके प्रभु राह धरो,

जय जय हे दशग्रीवशिरोहर आकर के प्रभु बाँह धरो।10।

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दुर्गा शंकर ईजारदार(जायसवाल)

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मूरत राम नाम के--सार छंद


मन मन्दिर मा राम नाम के, मूरत तैं बइठाले।

भव सागर ले सहज तरे बर, राम नाम गुण गाले।


राम नाम के माला जपके, शबरी दाई तरगे।

राम सिया के चरण पखारे, केंवट के दुख झरगे।

बन बजरंगबली कस सेवक, जघा चरण मा पाले।

भव सागर ले सहज तरे बर, राम नाम गुण गाले।।


राम नाम के जाप करे ले, सुख समृद्धि सत आथे।

लोहा हा सोना हो जाथे, जहर अमृत बन जाथे।

जिहाँ राम हे तिहाँ कभू भी, दुख नइ डेरा डाले।

भव सागर ले सहज तरे बर, राम नाम गुण गाले।


एती ओती चारो कोती, प्रभु श्री राम समाये।

सुर नर मुनि खग गुनी गियानी, जड़ चेतन गुण गाये।

ये मउका नइ मिले दुबारा, जीवन सफल बनाले।

भव सागर ले सहज तरे बर, राम नाम गुण गाले।


जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को,कोरबा(छग)

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तुलसी तोर रमायण- सार छंद


जग बर अमरित पानी बनगे, तुलसी तोर रमायण।

कतको के जिनगानी बनगे, तुलसी तोर रमायण।।


शब्द शब्द मा राम रमे हे, शब्द शब्द मा सीता।

गूढ़ ग्यान गुण गोठ गँजाये, चिटिको नइहे रीता।

सत सुख शांति कहानी बनगे, तुलसी तोर रमायण।

कतको के जिनगानी बनगे, तुलसी तोर रमायण।।


सब दिन बरसे कृपा राम के, दरद दुःख डर भागे।

राम नाम के महिमा भारी, भाग भगत के जागे।।

धर्म ध्वजा धन धानी बनगे, तुलसी तोर रमायण।

कतको के जिनगानी बनगे, तुलसी तोर रमायण।।


सहज तारथे भवसागर ले, ये डोंगा कलजुग के।

दूर भगाथे अँधियारी ला, सुरुज सहीं नित उगके।

बेघर के छत छानी बनगे, तुलसी तोर रमायण।।

कतको के जिनगानी बनगे, तुलसी तोर रमायण।


प्रश्न घलो कमती पड़ जाही, उत्तर अतिक भरे हे।

अधम अनाड़ी गुणी गियानी, सबके दुःख हरे हे।

मीठ कलिंदर चानी बनगे, तुलसी तोर रमायण।

कतको के जिनगानी बनगे, तुलसी तोर रमायण।

जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को,कोरबा(छग)

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हरिगीतिका


तिथि आ गइस शुभ कुर्म द्वादश,पुस अँजोरी पाख के।

सम्वत् फलित बिस सौ असी, मैं याद रइहँव भाख के।

रघुकुल मुकुट दशरथ तनय, आसीन होही धाम मा।

अब भक्ति के शुभ जोत बरही, नित अयोध्या ग्राम मा।


मनमोहनी छबि रम्य अनुपम, देखही संसार हा।

सब नैन के खर प्यास मिटही, छा जही उजियार हा।

सब मनसुभा ला नित पुरोही, दीन के रखवार हा।

दुख झार मुड़ के पाप हरही, विश्व तारन हार हा। 


साखी बनिँन परघा डरिँन, आवव हमू ये बेर ला। 

मन मा बसालिँन राम मूरत, छोड़ जम्मों फेर ला।

नाचिँन सबो गाइँन सबो, बाँटिँन खुशी आनंद ला

हावय हिया उच्छाह बड़, भाखन मनी के छंद ला।

- मनीराम साहू 'मितान'

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Wednesday, January 10, 2024

25 माने सिल्वर जुबली* 🪄

 🪄 *25 माने सिल्वर जुबली* 🪄



हमर जमाना मा जब कोनो फ़िल्म 25 हफ्ता चल जाए वोला “सिल्वर-जुबली फ़िल्म” कहे जाय। ये फ़िल्म के मुख्य कलाकार मन ला तको “जुबली स्टार” कहे जाय। आज के दौर मा न जुबली फ़िल्म रहिगे अउ न जुबली स्टार।

आज के दौर मा जब बिहाव के 25 बछर पूरा हो जाथे तब वोला “सिल्वर जुबली वर्षगाँठ” कहे जाथे। ज्यादातर पढ़े-लिखे अउ सम्पन्न जोड़ा मन शानदार पार्टी के आयोजन तको करथें। हमर जमाना मा “सिल्वर जुबली वर्षगाँठ” के चलन नइ रहिस। कहे के मतलब ये हवय कि जउन चलन वो जमाना मा रहिस, तउन चलन आज के जमाना मा नइये अउ जउन चलन आज के जमाना मा हवय तउन चलन तइहा के जमाना मा नइ रहिस फेर “25” के नाता पहिली घलो सिल्वर जुबली संग रहिस अउ आज घलो हवय।

 काली 10 जनवरी के “छन्द के छ, ऑनलाइन गुरुकुल के 25 वाँ सत्र के शुभारंभ होही। हमू बोल सकथन कि हमर “सिल्वर जुबली सत्र” काली शुरू होवइया हे। छन्द के छ परिवार के हर सदस्य ला “सिल्वर जुबली सत्र” के गाड़ा-गाड़ा बधाई।

अक्षय-तृतीया सन् दू हजार सोला (सोलह) के हमर पहिली सत्र के शुरुआत होए रहिस। हर बछर चार-चार महीना के अंतराल मा एक नवा सत्र चालू होथे माने हर बछर मा तीन सत्र के परम्परा अभी तक अक्षय हवय। मोला विश्वास हे कि ये परम्परा सदा दिन अक्षय रही।

अभी तक छन्द के छ परिवार मा 300 ले आगर रचनाकार मन जुड़ चुके हें फेर ये संख्या हमर बर मायने नइ रखे अउ न हम ये संख्या ला अपन उपलब्धि माने के भरम पालथन। हमर उपलब्धि उन साधक मन आँय जिन मन निर्मल अउ समर्पित भाव ले ये आंदोलन मा सक्रिय रहिके न केवल छन्द के बारीकी ला सीखिन बल्कि गुरु के भूमिका ला निभा के नवा-नवा साधक मन ला छन्द सिखाइन। अइसने समर्पित साधक मन छन्द के छ परिवार के रीढ़ के हड्डी आँय। 


कबीर के दोहा हमरो बर लागू होथे -


जिन खोजा तिन पाइया, गहरे पानी पैठ।

मैं बपुरा बूड़न डरा, रहा किनारे बैठ।।


छन्द के छ परिवार मा जुड़ के कोन का पाइस ? एक नजर देख लेवव छन्दकार - शकुन्तला शर्मा   

छन्द साधिका, सत्र - 1

“छन्द के छटा”

(छत्तीसगढ़ी छन्द संग्रह)

प्रकाशक - प्रयास प्रकाशन बिलासपुर, वर्ष - 2018


छन्दकार - रमेश कुमार चौहान  

छन्द साधक, सत्र - 1


1. दोहा के रंग

(छत्तीसगढ़ी भाषा में दोहा छन्द संग्रह)

प्रकाशक - वैभव प्रकाशन रायपुर, वर्ष - 2016


2. “आँखी रहिके अंधरा”

(छत्तीसगढ़ी भाषा में कुण्डलिया छन्द संग्रह)

प्रकाशक - आशु प्रकाशन रायपुर, वर्ष 2018


3. “छन्द चालीसा”

प्रकाशक - आशु प्रकाशन रायपुर, वर्ष - 2018


4. “छन्द के रंग”

प्रकाशक - रमेश चौहान नवागढ़, वर्ष - 2019


छन्दकार - चोवाराम "बादल"

छन्द साधक, सत्र - 2   


1. “छन्द बिरवा”

(छन्द सीखे बर मार्गदर्शिका सह छन्द-संग्रह)

प्रकाशक - आशु प्रकाशन रायपुर, वर्ष 2018


2. “श्री सीताराम चरित”

(छन्दबद्ध महाकाव्य)

प्रकाशक - शिक्षादूत ग्रंथागार प्रकाशन नई दिल्ली, वर्ष - 2023


छन्दकार - आशा देशमुख     

छन्द साधक, सत्र - 2


“छन्द चंदैनी”

(छन्द संग्रह)

प्रकाशक - वैभव प्रकाशन रायपुर, वर्ष - 2022


छन्दकार - कन्हैया साहू "अमित"  

छन्द साधक, सत्र - 2


1. जयकारी जनउला

(जयकारी छन्द मा जनउला संग्रह)

प्रकाशक - वैभव प्रकाशन रायपुर, वर्ष - 2021


2. फुरफन्दी

(छत्तीसगढ़ी भाषा में बाल-साहित्य)

प्रकाशक - जी एच पब्लिकेशन प्रयागराज, वर्ष - 2023


छन्दकार - मनीराम साहू "मितान" 

छन्द साधक, सत्र - 3


1. “हीरा सोनाखान के”

(छन्दबद्ध प्रबंध-काव्य)

प्रकाशक - वैभव प्रकाशन रायपुर, वर्ष 2018


2. “महा परसाद”

(छन्दबद्ध प्रबंध-काव्य)

प्रकाशक - रंगमंच प्रकाशन सवाई माधोपुर, वर्ष - 2021


3. “गजामूँग के गीत”

(दोहा-गीत संग्रह)

प्रकाशक - वैभव प्रकाशन रायपुर, वर्ष - 2023


4. “छत्तीसगढ़ के मंगल पाण्डे वीर हनुमान सिंह”

(छन्दबद्ध प्रबंध काव्य)

प्रकाशक - शिक्षादूत ग्रंथागार प्रकाशन नई दिल्ली, वर्ष - 2023


छन्दकार - सुखदेव अहिलेश्वर    

(छत्तीसगढ़ी छन्द संग्रह)   

छन्द साधक, सत्र - 3


“बगरय छन्द अँजोर”

प्रकाशक - छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग, वर्ष - 2022


छन्दकार - बोधनराम निषादराज   

छन्द साधक, सत्र - 4


1. अमृतध्वनि छन्द

(अमृतध्वनि छन्द संग्रह)

प्रकाशक - आशु प्रकाशन रायपुर, वर्ष 2021


2. “छन्द कटोरा”

(छत्तीसगढ़ी छन्द संग्रह)

प्रकाशक - वैभव प्रकाशन रायपुर, वर्ष - 2022


3. “हरिगीतिका छन्द”

(हरिगीतिका छन्द संग्रह) 

प्रकाशक - वैभव प्रकाशन रायपुर, वर्ष - 2023


छन्दकार - जगदीश हीरा साहू

छन्द साधक, सत्र - 4 


1. सम्पूर्ण रामायण

(छत्तीसगढ़ी भाषा में सार छन्द आधारित मनका)

प्रकाशक - वैभव प्रकाशन रायपुर, वर्ष - 2019


2. “छन्द संदेश”

(छत्तीसगढ़ी छन्द संग्रह)

प्रकाशक - वैभव प्रकाशन रायपुर, वर्ष - 2020


छन्दकार - रामकुमार चंद्रवंशी 

छन्द साधक, सत्र - 6


1. “छन्द झरोखा”

(छत्तीसगढ़ी छन्द संग्रह)

प्रकाशक - वैभव प्रकाशन रायपुर, वर्ष - 2020


2. “छन्द बगिच्चा”

(छत्तीसगढ़ी छन्द संग्रह)

प्रकाशक - वैभव प्रकाशन रायपुर, वर्ष - 2021  

     

छन्दकार - शुचि भवि

छन्द साधक, सत्र - 6    

            

“छन्द फुलवारी”

(छत्तीसगढ़ी छन्द संग्रह)

प्रकाशक - वैभव प्रकाशन रायपुर, वर्ष - 2022


छन्दकार - द्वारिका प्रसाद लहरे 

छन्द साधक, सत्र - 7


“छन्द गीत बहार”

(छत्तीसगढ़ी भाषा में छन्द आधारित गीत संग्रह)

प्रकाशक - तन्वी पब्लिकेशन्स जयपुर, वर्ष - 2022


छन्दकार - विजेन्द्र कुमार वर्मा

छन्द साधक, सत्र - 11


मनहरण घनाक्षरी छन्द 

(छत्तीसगढ़ी मनहरण घनाक्षरी छन्द संग्रह)

प्रकाशक - वैभव प्रकाशन रायपुर, वर्ष - 2023


छन्दकार - धनेश्वरी सोनी "गुल"   

छन्द साधक, सत्र - 11


1. “बरवै छन्द कोठी”

(छत्तीसगढ़ी भाषा मा बरवै छन्द संग्रह)

प्रकाशक -  वंश पब्लिकेशन भोपाल, वर्ष - 2022


2. “सवैया छन्द संग्रह”

(छत्तीसगढ़ी भाषा मा सवैया छन्द संग्रह)

प्रकाशक - छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग, वर्ष - 2022


बहुत झन के किताब अभी छपे नइये। कभू न कभू जरूर छपही फेर हर प्रकाशित किताब अवइया समय मा छत्तीसगढ़ी साहित्य के उत्कृष्ट कृति के रूप मा जाने जाही। जम्मो छन्दकार मन ला बहुत-बहुत बधाई।


क्रमशः…………


*अरुण कुमार निगम*