सरसी छंद - कतका करँव बखान
बोहावत हे अरपा पइरी, महानदी हे साथ।
पाँव पखारे जेकर संगी, लीलाधर शिवनाथ।।
दक्षिण कोसल जेन कहाये, माटी हवय महान।
अइसन धरती दाई के मै, कतका करँव बखान।।1
हरियर हरियर जंगल झाड़ी, हरियर खेती खार।
धरती उगले सोना जेकर, रतन भरे भरमार।।
जनम धरिन हे ऋषिमुनि ग्यानी, कतको जिहाँ महान।
अइसन धरती दाई के मै, कतका करँव बखान।।2
जेकर कोरा राजिम लोचन, हवय कुलेश्वर धाम।
शिवरी नारायण जस भुइयाँ, जिहाँ परे पग राम।।
भुइयाँ के भगवान कहाथे, संगी जिहाँ किसान।
अइसन धरती दाई के मै, कतका करँव बखान।।3
बागबाहरा चण्डी दाई, अपन बनाये ठाँव।
माता दन्तेश्वरी बिराजे, दन्तेवाड़ा गाँव।।
गाँव गाँव मा हवय शीतला, ममता के पहिचान।
अइसन धरती दाई के मै, कतका करँव बखान।।4
उठके सब झन रोज बिहनियाँ, परथन जेकर पाँव।
चंदन जस हे माटी संगी, माथा तिलक लगाँव।।
अबड़ मयारू हावय दाई, ममता भरे खदान।
अइसन धरती दाई के मै, कतका करँव बखान।।5।
रचनाकार - श्री गुमान प्रसाद साहू ग्राम-समोदा ( महानदी ) थाना-आरंग जिला-रायपुर छ.ग.
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दोहा छन्द -
छत्तीसगढ़ स्थापना दिवस के आप सब ला गाड़ा अकन ले बधाई।
छत्तीसगढ़ी मा करवँ, मँय जिनगी भर गोठ।
मोर बढ़े नित ज्ञान हाँ, होवय भाखा पोठ।।
मोर माटी मोर हावय, देख ले अभिमान रे।
मोर जिनगी बर बने हे, आज जे वरदान रे।।
देख करथौ गान ला मँय, नित धरे मन राग रे।
नाम जेकर जाप करथौ, मोर जागय भाग रे।।
-हेमलाल साहू
ग्राम-गिधवा, पोस्ट नगधा
तहसील नवागढ़, जिला बेमेतरा
छत्तीसगढ़, मो. 9977831273
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दोहा छन्द -
आज देत शुभकामना,अंतस संगी मोर |
बनगे जी छत्तीसगढ़,उड़त हवै बड़ शोर ||
पुरखा ला जोहार हे,जेन लड़िन हें धीर |
पेट-पीठ मन मार के,बनिन क्रांति के बीर ||
खोजँव फेर सुराज ला,खोगे हमर बिहान |
बादर कारी छाय हे,अब तो धरव धियान ||
हमतो हन बनिहार रे,वोमन ठेंकादार |
गजब परोसी चाल हे,बनबो कब सरदार ||
होगे जी अठरा बछर,कहाँ इहाँ दिन मान |
पुरखा भाखा राज के,होवत हे हिनमान ||
सुख-सुख ला हम देखबो,करबो कब दुख पार |
तार-तार तो हाल हे,बोहत आँसू धार ||
रचनाकार - श्री असकरन दास जोगी
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सवाई छन्द -
*छत्तीसगढ़ राज स्थापना दिवस के आप सबो ला गाड़ा गाड़ा बधाई*
छत्तीसगढ़ राज के सपना,आँख सँजोइन पुरखा भाई।
हमला मान दिलाये खातिर,लड़े रहिन जी खूब लड़ाई।1।
एक नवम्बर दो हजार के ,छतीसगढ़ राज बनगे जी।
शहर शहर अउ गाँव गाँव मा,तब सुघ्घर सुराज आगे जी।2।
धान कटोरा येला कहिथे,छत्तीसगढ़ हमर महतारी।
महिमा के मैं करँव बखानी,ये हम सबके पालनहारी।3।
बड़ मन भावन बड़ा सुहावन,दक्षिण कोसल नाम पुराना।
कल कल झरना नदी बोहथे,जिहाँ भरे धन धान्य खजाना।4।
राम चरित मानस के गाथा,हे संत कबीर जिहाँ बानी।
येकर कोरा जनम धरिन हे,बड़े बड़े ऋषि मुनि ज्ञानी।5।
तिलक लगा लौ ये माटी ला,ये भुइँया हे मथुरा काशी।
सत के संदेश दिये खातिर,लिये गिरौद जनम गुरु घासी।6।
गीत पपीहा कोयल कूके,जिहाँ मया के गूँजय बोली।
सुवा ददरिया करमा पंथी,नाचय झूम झूम के टोली।7।
चरन पखारय निस दिन जेकर,महानदी अरपा के पानी।
तीज हरेली अउ देवारी, होरी देवय सुख जिनगानी।8।
मड़ई मातर लागय बढ़िया,हाट बजार लगे जी मेला।
रंग रंग के पकवान बनै,ठेठरी फरा अउ चौसेला।9।
हरियाली ला देख नँदावत,सिरतो मोर अदरमा फाटे।
जहर भरे तन सांप सही जी,इहाँ कारखाना हा काटे।10।
बछर अठारह बितगे भाई,मान कहाँ मिल पाइस येला।
परबुधिया मन राज करत हे,हमन धरे हन पथरा ढेला।11।
छंदकार - इंजी.गजानंद पात्रे *सत्यबोध* बिलासपुर (छ.ग.)
8889747888
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छत्तीसगढ़ (कुण्डलिया छंद )
हावय पावन छत्तीसगढ़ , लगथे सरग समान ।
आनी बानी के खनिज , भरे कटोरा धान।
भरे कटोरा धान, अठारा पूरे हावय ।
तपसी बाला आय, तेज सब ला हरषावय ।
धन दौलत भरपूर ,बरसथे सुख के सावन।
महानदी के नीर ,अमृत कस हावय पावन। 1।
पावन राजिम धाम हे, सोनाखान मल्हार ।
अलख जगै सतनाम के, हे गिरौद भंडार ।
हे गिरौद भंडार , रतनपुर मा महमाई ।
डोंगरगढ़ मा सिद्ध , बिराजे माँ बमलाई ।
सिरपुर देखे देव , चलौ जी भाग जगावन।
भोले भोरमदेव ,चढा़ जल दर्शन पावन ।2
बस्तर के दंतेश्वरी , महिमा अगम अपार ।
चित्रकोट इंद्रावती , दूध नदी कस धार।
दूध नदी कस धार , किरंदुल अउ लोहारा ।
लोहा के भरमार, झूमथे मउँहा डारा ।
अब्बड़ सिधवा लोग, गड़े हे छाती नस्तर ।
माते हे आतंक , ढारे बड़ आँसू बस्तर ।3
अबड़े जी उद्योग हे, बिजली हे भरपूर ।
सड़क तनागे देख लव, नइये शहर ह दूर।
नइये शहर ह दूर ,रायपुर दुर्ग भिलाई ।
करथें जाके काम , रोज जी कतकों भाई ।
तभो गरीबी आज , पकड़ के हमला खबड़े ।
मँहगाई के मार , झेलथन संगी अबड़े।4
छन्दकार - श्री चोवा राम "बादल "
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चौपाई छंद-श्रीमती आशा आजाद
हमर छत्तीसगढ़ राज
सुग्घर छत्तीसगढ़ ल मानौ।एक नंवबर सबझन जानौ।
आज राज के दरजा मिलगे।हमर भाग हा सुग्घर खिलगे।।
छत्तीसगढ़ी गुरतुर बोली।कतक हँसी अउ जान ठिठोली।
ज्ञान बरसथे निशदिन जानौ।कतक विदूषी हावै मानौ।।
झरना झिरिया मंदिर सोहे।मया दया सब मन ला मोहे।।
दक्षिण कौशल राज कहाये।सुग्घर गढ़ छत्तीस समाये।।
जान नागवंशी के बसना।देख इतिहास के सब रचना।
ए भुइयाँ के सुग्घर माटी।केशकाल हे सुग्घर घाटी।।
बिकट चीज के हवे खजाना।उर्जा नगरी राज कहाना।
सोना के भंडार भरे हे।दाई कतका खान धरे हे।।
खनिज संपदा कतका जानौ।सहर कोरबा नामी मानौ।
देवभोग मा सोना दिखथे।लोहा बैलाडिला म मिलथे।।
जान पहाड़ी मैना हावै।राजकीय पक्षी कहलावै।
वनभैसा हे अब्बड़ मिलथे। हमर राज मा गोंदा खिलथे।।
न्यायपालिका सुग्घर हावै।बिलासपुर मा मनखे जावै।
अभ्यारण हा सुग्घर भाये।धान कटोरा राज कहाये।।
का-का गुन ला मँय बतलावौ।छत्तीसगढ़ के महिमा गावौ।
खुशहाली हा जम्मो आये।हमर राज सुग्घर कहलाये।।
रचनाकार - श्रीमति आशा आजाद
मानिकपुर कोरबा, छत्तीसगढ़