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Friday, December 23, 2022

राष्ट्रीय किसान दिवस विशेष

 


राष्ट्रीय किसान दिवस विशेष


सवैया (किसान)

(1)

खूब कमाय किसान सबो पर हासिल तो पीरा बस आथे।

बादर हा बरसै नइ जी बरसै जब वो बिक्टे बरसाथे।

जाय सुखाय बिना जल के सह या बरसा ले वो सर जाथे।

मौसम ठीक रहै त कभू चट कीट पतंगा हा कर जाथे।


(2)

छूटय गा नइ संग कभू करजा रइथे मूड़ी लदकाये।

ले उँन पावयँ तो नइ जी चिरहा पटकू ले काम चलाये।

लाँघन गा रहि जाय घलो उँन भाग म बासी पेज लिखाये।

पालनहार कहाँय भले उँन रोज गरीबी भोग पहाये।


- मनीराम साहू 'मितान'

कचलोन (सिमगा )

जिला बलौदाबाजार भाटापारा 

छत्तीसगढ़ 493101

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सरसी छन्द

छलत रही दुनिया मा कब तक, संगी मोर किसान।

नाम बड़े अउ दर्शन छोटे, भुइँया के भगवान।।


करके लागा बोड़ी बपुरा, करथे खेती काम।

तरस एक दाना बर जाथे, अनदाता बस नाम।।


बीज भात अउ खातू महँगा, धरे मूड़ ला रोय। 

बेमौसम बरसा के सेती, नास फसल मन होय।।


होवय बरसा चाहे गरमी, लागय चाहे जाड़।

रोज कमाना काम इँखर हे, टूटत ले जी हाड़।।


भूखे प्यासे कई दिनन ले, बपुरामन सह जाय।

साथ देय जब ठगिया मौसम, तब दाना कुछ पाय।।


बिचौलियामन नजर गड़ाये, रहिथे रस्ता रोक।

औने पौने भाव म लेके, उनमन बेचय थोक।।


हे किसान मन के सेती जी, फलत फुलत व्यापार।

अँधरा बहरा देख बने हे, तब्भो ले सरकार।।


लदे पाँव सिर ऊपर कर्जा, बनके गड़थे शूल।

अइसन मा का करही बपुरा, जाथे फाँसी झूल।।


सुख सुविधा हा सदा इँखर ले, रहिथे कोसों दूर।

भूख गरीबी लाचारी मा, जीये बर मजबूर।।


करव भरोसा झन कखरो तुम, बनव अपन खुद ढ़ाल।

अपन हाथ मा जगन्नाथ हे, तभे सुधरही हाल।।


ज्ञानु

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*भुइयाँ के भगवान - हरिगीतिका छंद*


भुइयाँ बिराजे देख लौ,करथे किसानी काम ला।

एला कथे भगवान जी,सहिथे अबड़ जे घाम ला।।

बरसा रहै सर्दी रहै,बड़ भोंभरा रख पाँव ला।

बड़ काम करथे रात दिन,नइ खोजथे सुख छाँव ला।।


चिखला मताके खेत मा,अन सोन कस उपजात हे।

बासी पसइया नून ला,धर खार मा वो खात हे।।

ट्रेक्टर तको आगे तभो,बइला कमावै साथ मा।

कतको मशीनी छोड़ के,नाँगर चलावै हाथ मा।।


छत्तीसगढ़ भुइयाँ हमर,सोना कटोरा धान के।

कर लौ इँखर सम्मान ला,भगवान इन ला जान के।।

सब पेट भर खावत हवौ,इँखरे भरोसा प्रान हे।

दुख दर्द ला समझौ सबो,जग मा तभे तो मान हे।।


रचना:-

बोधन राम निषादराज

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किसान दिवस मा मोर रचना


सार छंद


तुँहर पसीना के कीमत ला ,कोनो नइ पहिचानै।

हे किसान हो तुँहर दरद ला ,धरती दाई जानै।


 साँझ बिहनिया एक बरोबर, घाम जाड़ हे संगी।

जग के थारी अन्न भरत हव,  तुँहरे घर मा तंगी।।


सुरुज देव ले पहली निशदिन ,तुँहर करम हा जागे।

हाथ पाँव के सुमत देख के, आलस दुरिहा भागे।।


बादर अउ आँखी के पानी ,जइसे बदे मितानी।

रहय नमक गुड़ एक तराजू, बीच झुलय जिनगानी।।


नांगर बइला रापा गैंती, हावय तुँहर चिन्हारी।

मिहनत हा जब संग रहय तब, हाँसय खेती बारी।।


लोहा के जुग जब ले आये, माटी बनथे सोना।

अब मशीन मन बइठे हावँय, जग के कोना कोना।।


ट्रेक्टर थ्रेसर हार्वेस्टर सब , मिलके करँय किसानी।

उन्नत खेती पोठ बीज मन, सुघ्घर लिखंय कहानी।।


आशा देशमुख

एनटीपीसी जमनीपाली कोरबा


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धान लुवाई- सार छंद


पींयर पींयर पैरा डोरी, धरके कोरी कोरी।

भारा बाँधे बर जावत हे, देख किसनहा होरी।।


चले संग मा धरके बासी, धान लुवे बर गोरी।

काटय धान मढ़ावय करपा, सुघ्घर ओरी ओरी।


चरपा चरपा करपा माढ़य, मुसवा करथे चोरी।

चिरई चिरगुन चहकत खाये, पइधे भैंसी खोरी।


भारा बाँधे होरी भैया, पाग मया के घोरी।

लानय भारा ला ब्यारा मा, गाड़ा मा झट जोरी।


बड़े बगुनिया मा बासी हे, चटनी भरे कटोरी।

बासी खाये धान लुवइया, मेड़ म माड़ी मोड़ी।


हाँस हाँस के सिला बिनत हें, लइकन बोरी बोरी।

अमली बोइर हवै मेड़ मा, खावत हें सब टोरी।


बर्रे बन रमकलिया खोजे, खेत मेड़ मा छोरी।

लाख लाखड़ी जामत हावय, घटकत हवै चनोरी।


आशा के दीया बन खरही, बाँटे नवा अँजोरी।

ददा ददरिया मन भर झोरे, दाइ सुनावै लोरी।


महिनत माँगे खेत किसानी, सहज बुता ए थोरी।

लादे पड़थे छाती पथरा, चले न दाँत निपोरी।।


जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को, कोरबा(छग)

Sunday, December 18, 2022

संत शिरोमणि परम् पूज्य गुरुघासीदास बाबा जी के 266वीं जयंती के बहुत बहुत बधाई- छंद परिवार डहर ले गुरु घासीदास जी ल भावपुष्प

संत  शिरोमणि परम् पूज्य गुरुघासीदास बाबा जी के 266वीं जयंती के बहुत बहुत बधाई- छंद परिवार डहर ले गुरु घासीदास जी ल भावपुष्प


विष्णु पद

 मनखे अव मनखे बनके सब, भाई हो रहना।

मनखे मनखे एक बरोबर, बाबा के कहना।।


मानवता हे सार जगत मा, सुग्घर ये गहना।

घाम रहय चाहे हो छइँहा, सुख दुख ला सहना।।


छुआछूत पाखंड ढोंग ले, दूर सदा रहना।

डरना नइये झूठ झूठ ला, सच ला सच कहना।।


हमर बनाये जाँति पाँति अउ, रीति नीति जग मा।

एक माँस हाँड़ा तन सबके, एक लहू रग मा।।


दीन गरीब ददा दाई के, सेवा खूब करौ।

अँधियारी बर दीया बनके, भाई रोज जरौ।।


सच बोलव सतनाम जपौ बस, काँटा पग पग मा।

बाबा घासीदास बताइन, सार इही जग मा।।


 ऊँचनीच के भेदभाव ला, छोडव अब करना।

बड़े होय अउ चाहे छोटे, सब ला हे मरना।।


भेद छोड़ मनखे मनखे मा, एक समान सबो।

जाँत-पाँत मा भले अलग हन, हम इंसान सबो।।


लाभ उठाये बर कतको मन, राग अलापत हे।

देख ठगावत मनखे मन ला, जीं हा कलपत हे।।


अपन अपन सब करम धरम मा, खुश सब ला रहना।

आँव बड़े मैं अउ तँय छोटे, नइये कुछ कहना।।


कखरो आस्था अउ पूजा सँग, झन खिलवाड़ करी।

अंधभक्त बन फेर इहाँ झन, तिल के ताड़ करी।।


सत्य अहिंसा के मारग मा, रोज हमन चलबो।

 स्वस्थ समाज बनाये खातिर, काम सदा करबो।।


ज्ञानु

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गुरु घासीदास जयंती पर विशेष

(1)

मनखे मनखे एक, इही हे सुख के मन्तर

जिहाँ नहीं हे भेद, उहीं असली जन-तन्तर

बाबा घासी दास, हमन ला इही बताइन

जग ला दे के ज्ञान, बने रद्दा देखाइन ।।

(2)

जिनगी के दिन चार, नसा पानी ला त्यागौ

दौलत माया जाल, दूर एखर ले भागौ।

जात-पात ला छोड़, सबो ला मनखे जानौ

बोलव जय सतनाम, अपन कीमत पहिचानौ।।

(3)

काम क्रोध मद मोह, बुराई लाथे भाई

मिहनत करके खाव, इही हे असल कमाई

सत्य अहिंसा प्रेम, दया करुणा रख जीयव

गुरु के सुग्घर गोठ, मान अमरित तुम पीयव।।


*अरुण कुमार निगम*

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गीत

तोरे दर्शन बर बाबा तरसत हवय नैना हा,

तरसत हवय नैना बाबा तरसत हवय नैना हा2


तॅ॑य दरश देजा बाबा ,  तॅ॑य दरस देजा बाबा ,

तोरे दर्शन बर तरसत हे नैना हा।,,,,,,


तोरे पंवरी परव बाबा , तोर पंवरी परव बाबा,

तोरे दर्शन बर तरसत हवय नैना,


दिसंबर के महिना बाबा बड़ा निक  लागय हो बड़ा निक लागय,

जोड़ा जैतखाम में बाबा धजा फहरागे हो धजा फहरागे।


 तॅ॑य दरस देजा बाबा, तॅ॑य दरस देजा बाबा,

तोरे दर्शन बर तरसत हवय नैना हा ।,,,,,,


अठारह दिसंबर के बाबा पाला चढ़हाबो हो पाला चढ़हाबो ,

मन के मनऊती बाबा नर नारी पाबो हो नर नारी पाबो।


 तॅ॑य दरस देजा बाबा तय दरस देजा बाबा,

तोरे दर्शन बर तरसत हवय नैना हा।


आजा बाबा आजा बाबा आजा बाबा हो

आजा बाबा आजा बाबा आजा बाबा हो।


 तॅ॑य दरस देजा बाबा  तॅ॑य दरस देजा बाबा,

तोरे दर्शन बर तरसत हवय नैना हा ।।


जितेन्द्र कुमार वर्मा वैद्य

खैरझिटी धमधा

8085993329

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बोधन जी: पंथी गीत


अमरौतीन के भाग्य ला, जगाए बाबा तँय,

मोर घासीदास बाबा।

ददा महँगू के भाग्य ला, जगाए बाबा तँय,

मोर घासीदास बाबा।।


घासीदास बाबा, मोर घासीदास बाबा।

घासीदास बाबा, मोर घासीदास बाबा।।


अमरौतीन के भाग्य ला, जगाए बाबा तँय,

मोर घासीदास बाबा।

ददा महँगू के भाग्य ला, जगाए बाबा तँय,

मोर घासीदास बाबा।।


पद(1)

ए दुनिया मा आए बाबा, सत् ला सिखाए तँय,

सत् ला सिखाए।

भूले भटके मनखे ला, रद्दा तँय दिखाए बाबा,

रद्दा तँय दिखाए।

ए रद्दा तँय दिखाए बाबा............


अमरौतीन के भाग्य ला, जगाए बाबा तँय,

मोर घासीदास बाबा।

ददा महँगू के भाग्य ला, जगाए बाबा तँय,

मोर घासीदास बाबा।।


पद(2)

घनघोर जंगल मा, धुनी ला रमाए बाबा,

धुनी ला रमाए।

सत् उपदेश देके, जग ला जगाए बाबा,

जग ला जगाए।

ए जग ला जगाए बाबा.........


अमरौतीन के भाग्य ला, जगाए बाबा तँय,

मोर घासीदास बाबा।

ददा महँगू के भाग्य ला, जगाए बाबा तँय,

मोर घासीदास बाबा।।


पद(3)

तोर चरनन मा मँय, माथ ला नवावँव बाबा,

माथ ला नवावँव।

जिनगी सुफल बनय, आशीष ला पावँव बाबा,

आशिष ला पावँव।।

ए आशीष ला पावँव...........


अमरौतीन के भाग्य ला, जगाए बाबा तँय,

मोर घासीदास बाबा।

ददा महँगू के भाग्य ला, जगाए बाबा तँय,

मोर घासीदास बाबा।।

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रचनाकार:-

बोधन राम निषादराज"विनायक"

सहसपुर लोहारा,जिला-कबीरधाम(छ.ग.)

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 आशा देशमुख: *गुरु घासीदास जयंती के बहुत बहुत बधाई ,शुभकामनाएं*


*सार छंद*


नर तन धरके सत हा खेलय ,अमरौतिन के कोरा।

तोला पाये बर जुग जुग ले, धरती करिस अगोरा।।


तेजवान अउ परम प्रतापी, हे महँगू के लाला।

दीया अइसे बारे जग मा ,हटगे भ्रम के जाला।।


घासीदास कहाये जग मा, सत्य पुरुष अवतारी।

सन्त शिरोमणि गुरुवर तोरे , महिमा हावय भारी।।


सादा जीवन सादा बोली , सादा हावय झंडा।

सत्य ज्ञान के अमरित बानी ,भरथे मन के हंडा।।


मनखे मनखे एक बरोबर ,एक सबो नर नारी।

बाबा के सब ज्ञान सूत्र मन ,मनखे बर हितकारी।।


अब्बड़ फइले रहिस जगत मा ,छुआ छूत बीमारी।

महा वैद्य बनके आये गुरु,   सत्य ध्वजा के धारी।


मानवता के पाठ पढाये, सुमता भाई चारा।

ऊँच नीच के गड्डा पाटे, दुखिया दीन अधारा।।


आशा देशमुख

एनटीपीसी जमनीपाली कोरबा

18 -12 ,2022

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 आशा देशमुख: *गुरु घासीदास जयंती विशेषांक*


*बरवै छंद*


गुरू महिमा


अमरौतिन के कोरा ,खेले लाल।

महँगू के जिनगी ला ,करे निहाल।1।


सत हा जइसे चोला ,धरके आय।

ये जग मा गुरु घासी ,नाम कहाय।2।


सत्य नाम धारी गुरु ,घासीदास।

आज जनम दिन आये ,हे उल्लास।3।


मनखे मनखे हावय ,एक समान।

ये सन्देश दिए हे, गुरु गुनखान।4।


देव लोक कस पावन ,पुरी गिरौद।

सत्य समाधि लगावय ,धरती गोद।5।


जैतखाम  के महिमा ,काय बताँव।

येला जानव भैया ,सत के ठाँव।6।


निर्मल रखव आचरण ,नम व्यवहार।

जीवन हो सादा अउ ,उच्च विचार।7।


बिन दीया बिन बाती ,जोत जलाय।

गुरु अंतस अँंधियारी ,दूर भगाय।8।


अंतस करथे उज्जर ,गुरु के नाम।

पावन पबरित सुघ्घर ,गुरु के धाम।9।


आशा देशमुख

एनटीपीसी जमनीपाली कोरबा

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कमलेश प्रसाद 20 शरमाबाबू: 🌹बाबा घासीदास🌹

🙏🏻कुँडलियाँ🙏🏻


बाबा घासी दास के, महिमा अपरंपार |

जय बोलव सतनाम के, सुमिरँव बारंबार ||

सुमिरँव बारंबार, सत्य के गाड़े झंडा |

धर्म ध्वजा फहराय, असत ल मारे डंडा ||

बिगड़ी मोर बनाव, फूल हे काबा-काबा |

गुरु के चरण पखार, अमर हे घासी बाबा ||


योगी महँगू दास के, अमरौतिन के लाल |

कठिन तपस्या साधना, सादा चंदन भाल |

सादा चंदन भाल, रहे तैं शाकाहारी |

दे दुनिया संदेश, बगर गे महिमा भारी ||

एक हवय सब जीव, बनव मत लोभी भोगी |

कहिके घासी दास, अमर हे बाबा योगी ||


कमलेश प्रसाद शरमाबाबू कटंगी-गंडई जिला केसीजी

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जय बाबा गुरू घासीदास 

        (सार छंद)

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छत्तीसगढ़ के सुरुज बरोबर, सत अँजोर बगरइया। 

जन जन मा भाईचारा अउ, सुम्मत भाव जगइया। ।

मनखे सबो समान बताके, सत्यनाम गुन गाइन। 

मानवता के सुघ्घर रस्ता, दुनिया ला देखाइन। ।

अइसन संत सुजानी के हर, करम बचन हे पावन। 

बाबा घासीदास गुरु ला, जन जन करथें बंदन। ।

       जय सतनाम!!

दीपक निषाद -बनसाँकरा (सिमगा)

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*बरवै छंद*

    *बाबा गुरू घासीदास*


दाई अमरौतिन के, रहय दुलार।

करय ददा महँगू हा, मया अपार।। 


नाम रखिस दाई हा, घासीदास।

तोर रहिस बोली हा, बने मिठास।। 


पेड़ तरी धौरा के, धुनी रमाय।

आत्म ज्ञान ला पाके, संत कहाय।। 


कहे सबो ला झन कर, मदिरा पान।

सादा जीवन रखथे, सबके मान।। 


सब मनखे ला माने, एक समान।

सत्य नाम ला गाके, बने महान।। 


करँव तोर महिमा के, मँय गुनगान।

अनुज करत हे बाबा, तोर बखान।।


*अनुज छत्तीसगढ़िया*

*पाली जिला कोरबा*

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 दोहा*


मनखे मनखे एक हे, कहगे घासीदास।

सत्यनाम के ज्ञान ले, बगरे हवै उजास।।


गुरु पूजा कर रोज के , मिल जाही भगवान ।

हंसा पार लगाय के , इही उदिम हे जान ।।


मन में रख बिसवाँस अउ , बने करम कर रोज ।

अपने अंतस भीतरी , परमपिता ला खोज ।।


जग माया हे मोहनी , मन ला हे भरमाय ।

सत्यनाम बलवान हे , सबला पार लगाय ।।


जाप करव सतनाम के , हंसा होही पार ।

कहगे घासीदास जी , सत्यनाम हे सार ।।


झूठ कभू झन बोलिहौ , नीयत राखव नेक।

भेदभाव झन राखिहौ , सब मनखे हे एक ।।


मनखे मनखे एक हे , लहू सबो के लाल ।

भेद करे मनखे सदा , बिरथा करे बवाल ।।


तन मन निर्मल राखके , सदा सुमर सतनाम।

दीप जलावव ज्ञान के , पावव सुख के धाम।।


मिठलबरा माया हवै , झन फँसहू जंजाल।

साँच डगर चलिहौ तभे , होय न बाँका बाल ।।


सादा जिनगी जे जिंयै , रखके नेक विचार।

बस अतकी तुम जानलौ , सत्यनाम हे सार।।


                     

                बृजलाल दावना

                     भैंसबोड़

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दोहा छंद- अशोक धीवर "जलक्षत्री"


महँगू के लाला हरे, अमरौतिन के पूत।

घासी नाम धराय हे, सत्यनाम के दूत।।

सतगुरु घासीदास के, हे संदेश महान।

भेदभाव हिंसा मिटे, होही सुखी जहान।।

झूठ लबारी बोल के, जग ला झन दव मात।

निंदा चारी ले बचव, मानौ गुरु के बात।।

कोनो मनखे माँस ला, मार जीव झन खाव।

गाँजा दारू भांग ला, पी के झन इतराव।।

परनारी माता समझ, नेक नजर ले देख।

सबो जीव बर कर दया, सब ला एक सरेख।।

सती प्रथा ला टोर के, विधवा करिन बिहाव।

मूर्ति पूजा बंद कर, पूजिस अंतस भाव।।

जैतखाम पूजा करव, सत् के जोत जलाय।

सादा जीवन जीव बर, रद्दा सुघर बताय।।

सत् के रद्दा जेन भी, चलही मनखे जात।

दुख दारिद मिट जाय जी, सिरतो कइथौं बात।।

जलक्षत्री हा पार ला, बाबा के नइ पाय।

देव समझ के पूज लँय, पाछू झन पछिताय।।



अशोक धीवर "जलक्षत्री"

रामनगर वार्ड क्र.-16 (रावणभाठा)

ग्राम- तुलसी (तिल्दा-नेवरा)

 जिला- रायपुर (छत्तीसगढ़)

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 दोहा छंद* मा


*मनखे हर मखने रहे, छोड़े सबो कलेश।*

*जग ला राह दिखाय बर, घासी के संदेश।।*


1. *सतनाम को मानो*


सुग्घर सबले सार हे, जग मा जी सतनाम।

सत के रद्दा जे चलय, बन जय बिगड़े काम।।


2. *मूर्ति पूजा मत करो*


दाई बाबू देव हे, खोजव झन भगवान।

मन के जाला झार रख, मूरत अंतस मान।।


3.*जाति-पाति के प्रपंच से दूर रहो*


ऊॅंच नीच के भेद ला, मूरख मन छोड़।

प्रभु के हन संतान सब, मीत मया रख जोड़।।


4.*मॉंसाहार मत करो जीव हत्या मत करो*


जेवन जेवव जीव झन, बनके मॉंसाहार।

प्राकृति सम सुग्घर रखे, खुशी रहे संसार।।


5. *पर स्त्री को माता मानो*


सरग बरोबर मातु के, हावै अॅंचरा छॉंव।

नारी के सम्मान ले, उज्जर रहिथे ठॉंव।।


6.*मदिरा सेवन मत करो*


पीयव झन दारू कभू, उजरे घर परिवार।

कुकुर सरी जिनगी रहे, बने सबो बर भार।।


7.*अपरान्ह खेत में मत जाओ*


जोत मझनिया खेत झन, थोड़कनी सुरताव।

बइला सॅंग सॅंग देह ला,  छइॅंहा बइठ जुड़ाव।।


*मानव समाज बर संत शिरोमणि गुरु घासीदास बाबा जी के अमरित बानी के संदेश * चौपाई छंद* मा


1. अमरित बानी

*सत्य ही मानव का आभूषण है*


बाबा घासी के हे कहना, सत्य नाम के पहिरव गहना।

हिरदे मा सतनाम बसालव, जाये के तुम राह बनालव।।


2. अमरित बानी

*मानव मानव एक समान*


मनखे मनखे सम तुम जानौ,भेद भाव झिन मन मा लानौ।।

बॉंटव समता भाई चारा, जात पात ला मेटव सारा।।


3. अमरित बानी

*गुरु बनाये जान के पानी पीये छान के*


अइसन गुरु के लेवल दीक्षा, करनी जेकर देवय शिक्षा।

करे अशिक्षा दुरिहा गुरुवर, मन मा भाव जगावय सुग्घर।।


4. अमरित बानी

*हीन भावना मन से हटाये*


भेद नीच अउ ऊॅंचा छोड़व, धरम करम ले रिस्ता जोड़व।।

सार जगत मा करनी जानौ, हीन मान झिन मन मा लानौ।।


5. अमरित बानी

 *सत्य और ईमान में अटल रहें*


सत्य सार हे जग बलशाली, लाये जिनगी मा खुशहाली।

झूठ लबारी धक्का खाथे, मान कहॉं अउ वोहर पाथे।।


6. अमरित बानी

*जैसा खाये अन्न वैसा बनेगा मन*


मिहनत के रोटी सुख लाथे, रोग दोष ला काट भगाये।

अउ येहर होथे गुणकारी, भर भर खावव रोजे थारी।।


7. अमरित बानी 

*मेहनत ईमान का रोटी सुख का आधार*


मिहनत करके तुम खावव अन, सदा सुखी होही तन अउ मन।

रोग दोष नइ कभू सतावय, गार पसीना जेहर खावय।।


8. अमरित बानी

*क्रोध और बैर को जो त्याग देता है उसका हर कार्य बन जाता है*


छिन छिन मा जे गुस्सा करथे, बैर बढ़ाके भरभर जरथे। 

क्रोध बैर जे मन नइ लावय, काम सुफल वो झट कर जावय।।


9. अमरित बानी

*दान कभी नइ माॅगना चाहिए, और न ही उधार लेना-देना चाहिए*


दान मॉंग जे फोकट खाथे, चोरी बइमानी ल बढ़ाथे।

करजा बोहे जिगनी जीथे, महुरा अपमानी के पीथे।।9।।


10.  अमरित बानी

*दूसरे का धन हमारे लिए कोड़ी के समान है*

 

रोजे जाॅंगर पेर कमावव, पर के धन मत नजर गड़ावव।।

पर के धन ला माटी जानौ, लोभ मोह झिन मन मा सानौ।।


11. अमरित बानी

*मेहमान को साहेब के समान समझो*


गुरतुर बानी पहुॅंना बॉंटव, छोटे बड़का मा मत छॉंटव।

प्रेम करव जइसे के भगवन, रखथे सदा भगत बर नित मन।।


12. अमरित बानी

 *सगा के जबर बैरी सगा होथे*


निज भाई के संग लड़व झन, भाव एकता के राखव मन।

काम इही दुख दुख मा आही, जिनगी ला अउ सरग बनाही।।


13. अमरित बानी

*सबर के फल मीठा होथे*


करनी कर तॅंय धीरज धर रे, आही बेरा लगही फर रे।

जिनगी हर तोरो महहाही, नवा बिहनिया कारज लाही।।


14. अमरित बानी

*मया के बंधना असली ये*


मनखे मनखे सबो बरोबर, जुरमिल राहव हिलमिल सुग्घर।

जिनगी बिरथा मया बिना हे, जइसे तन ला लगे घुना हे।।


15. अमरीत बानी

*दाई-ददा अऊ गुरु ला सनमान देवव*


मान रखव गुरु बाबू दाई, जिनगी गढ़थे ये सुखदाई।

गड़न पॉंव नइ दय कॉंटा, सरग घलो हे तोरे बॉंटा।।


16. अमरित बानी

*दाई ह दाई आय, मुरही गाय के दूध झन निकालहव*


रखे माह नौ पेट सरेखे, तोर खुशी  निज हित नइ देखे।

अमरित बरसे छाती जेकर, आय बुढ़ापा दुख मत झिन भर।।


17. अमरित बानी

*इही जनम ला सुधारना सॉंचा हे*


मनखे जनम सार हे जानौ, भेद पाप पुन मा तुम मानौ।

आय जाय के राह छुड़ाले, सुघर मुक्ति के राह बनाले।।


18.अमरित बानी

*सतनाम घट घट मा समाय हे*


हे सतनाम खड़े घट घट मा, बसे धरा अउ अगास सत मा।

सुन सतनामी महिमा अड़बड़, सदाचार के जिनगी बड़हर।।


19. अमरित बानी

*गियान के पंथ किरपान के धार ए*


बिरथा जिनगी हे बिन शिक्षा, जइसे मॉंग चलत हे भिक्षा।

ज्ञान पंथ निज हक अधिकारी, जस किरपान धार बड़ भारी।।


20.अमरित बानी

*एक धूबा मारे तुहु तोरे बरोबर आय*


 नीच काज हे करनी जेकर, कर अपमान घलो झन ओकर।

पथरा मारे चिखला छटके, दाग बने रहिथे ये चटके।


21. अमरित बानी

*मोला देख, तोला देख, बेर कुबेर देख, जेन हक तेन ला बॉंट बिराज के खा ले।*


होय नहीं सुख यश धन ले मन, बड़हर मन ला तॅंय देख जतन। 

सब हक रहे पेट भर थारी, खाव बॉंट सम तुम सॅंगवारी ।।

खाव नॅंगा हक झन दूसर के, 



 मनोज कुमार वर्मा

बरदा लवन बलौदा बाजार

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राजेश निषाद: ।।बाबा घासीदास।। ( चौपई छंद)


सुन ले बाबा घासीदास,दिन हवय गा अड़बड़ खास।

करत हवन गा पूजा तोर,मँहगू के तैं लाला मोर।।


कतका करबो तोर बखान,महिमा हावय भारी जान।

सत के मारग ला तैं जान,अपन बनाये गा पहिचान।।


जात पात के भेद मिटाय, सत के बाबा अलख जगाय।

मनखे मनखे एक बताय,भाई चारा रहे सिखाय।।


नशा पान ला सबझन छोड़,राखव सबले नाता जोड़।

सत के राहव दिया जलाय, अंतस बाबा हवय समाय।।


सब ला बाबा दे हे ज्ञान,अमरित बानी जेकर जान।

सत के मारग जे बतलाय,धरम धजा ला जी फहराय।।


गिरौदपुरी हवय जी धाम,जपलव संगी सब सतनाम।

सुनलव बाबा के संदेश,सबके मिट जाही गा क्लेश।।


रचनाकार:- राजेश कुमार निषाद ग्राम चपरीद रायपुर

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मनीराम साहू: घनाक्षरी मनहरन (सत के पुजैया गुरु)


सत के पुजैया गुरु, सूते के जगैया गुरु, करे भेद भिथिया के, तहीं हा उजार गा।

मरहा के सँगवारी, मुरहा के हितकारी, समता के दीया बारे, मेंटे अँधियार गा।

मनुषता मान करे, अहिंसा के गान करे, जात-पात कचरा ला, भूर्री देये बार गा।

बोले अमरित बानी, बबा हे अगमजानी, पैलगी डंडा-शरन, तोला बारम्बार गा।


- मनीराम साहू 'मितान'

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आल्हा छंद - श्री जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

हमर राज के  माटी मा जी,बाबा लेइस हे अवतार।
सत के सादा झंडा धरके,रीत नीत ला दिये सुधार।

जात पात अउ छुआ छूत बर, खुदे बनिस बाबा हथियार।
जग के खातिर अपने सुख ला,बाबा घासी दिये बिसार।

रूढ़िवाद ला मेटे खातिर,बबा करिस बढ़ चढ़ के काम।
हमर राज के कण कण मा जी,बसे हवे घासी के नाम।

बानी मा नित मिश्री घोरे,धरम करम के अलख जगाय।
मनखे मनखे एक बता के,सुम्मत के रद्दा देखाय।

संत हंस कस उज्जर चोला,गूढ़ ग्यान के गुरुवर खान।
अँवरा धँवरा पेड़ तरी मा,बाँटे सबला सत के ज्ञान।

जंगल झाड़ी ठिहा ठिकाना,बघवा भलवा घलो मितान।
धरे कमण्डल मा गंगा ला,बाबा लेवय जब कुछु ठान।

झूठ बसे झन मुँह मा कखरो,झन खावव जी मदिरा माँस।
बाबा घासी जग ला बोले,करम करव निक जी नित हाँस।

दुखिया मनके बनव सहारा,मया बढ़ा लौ बध लौ मीत।
मनखे मनखे काबर लड़ना,गावव सब झन मिलके  गीत।

सत के ध्वजा सदा लहरावय,सदा रहे घासी के नाँव।

जेखर बानी अमरित घोरे,ओखर मैं महिमा ला गाँव।


रचनाकार -  श्री जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को(कोरबा)

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Monday, December 12, 2022

अमर शहीद वीर नरायण ल समर्पित कविता

  आल्हा छंद- *अमर शहीद वीर नरायण*


नमन करत हौं वो मइयाँ ला, दिस जनम नरायण वीर।

नमन करत हौं वो भुइयाँ ला, जेकर पावन माटी नीर।।


सन सत्रह सौ पँचानबे अउ, लगन घड़ी पावन शुभ वार।

जन- जन के तकलीफ हरे बर, वीर नरायण लिस अवतार।।


धाम गिरौदपुरी के मेड़ो, गाँव जुड़े हे सोनाखान।

राजा सोनाखनिहा के घर, जनम धरिस ये पूत महान।।


रहिस गोंडवाना पुरख़ा अउ, सारंगढ़ के माल गुजार।

राजगोंड ले बिंझवार बन, वीर नरायण भरे हुँकार।।


स्वतंत्रता पहिली सेनानी, छत्तीसगढ़ के मान बढ़ाय।

गैर फिरंगी से लड़-लड़ जे, जल जंगल अधिकार दिलाय।।


सात हाथ कद काठी ऊँचा, बदन गठीला बड़ मन भाय।

भुजा बँधाये पारस चमके, देखत मा बैरी थर्राय।।


वीर नरायण पराक्रमी अउ, शूरवीर गुरु बालकदास।

सँगवारी सुख दुख के दून्नों, रहय मित्रता खासमखास।।


शोभा बरनन कहत बनय जब, घोड़ा मा होवय असवार।

धर्मी राजा के होवय तब, गली-गली मा जय जयकार।।


दीन-दुखी के सदा हितैषी, मातृभूमि के रहय मितान।

जल जंगल भुइयाँ के रक्षक, समझे जे हा दर्द किसान।।


सन अट्ठारह सौ छप्पन मा, पड़े रहय जब घोर अकाल।

फटे अदरमा वीर नरायण, देख प्रजा दुख मा बेहाल।।


साथ धरे तब किसान मन ला, गये गाँव वो हा कसडोल।

लूटे अन्न जमाखोरी के, वीर नरायण धावा बोल।।


करिस शिकायत जमाखोर मन, अंग्रेजन इलियट दरबार।

पकड़ निकालव वीर नरायण, सजा दिलावव तुम सरकार।।


भनक लगिस जब वीर नरायण, पाछू पड़गे हे सरकार।

कुर्रूपाट डोंगरी मा छुपगे, जिहाँ कटाकट वन भरमार।।


खोजे निकलिस गुरु बालक तब, अपन सखा के प्राण बचाय।

रखिस छुपा भंडारपुरी मा, कुर्रूपाट डोंगरी ले लाय।।


वीर नरायण के बहनोई, बनके भारी तब गद्दार।

खुफिया बन बंधक बनवा दिस, पता बता इलियट सरकार।।


स्तम्भ चौक रायपुर शहर के, फाँसी मा तब दिस लटकाय।

वीर नरायण शहीद होगे, लिखत लिखत आँसू भर आय।।


अट्ठारह सौ सन्तावन के, काल रात्रि बनगे इतिहास।

खो के बेटा वीर नरायण, भारत भुइयाँ हवे उदास।।


✍🏻इंजी. गजानंद पात्रे 'सत्यबोध'

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 10/12/2021

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वीर नारायण

रही रही सुरता आवत हे, गाथा अमर कहानी।

मातृभूमि के खातिर देदिस, हँसत अपन बलिदानी।।


नाम वीर नारायण सिंह हे, झुलगे हाँसत फाँसी।

आथे जब जब सुरता संगी, बस आथे रोवासी।।


वीर साहसी योद्धा अड़बड़, परजा मनके हितवा।

काल बने सँउहत दुश्मन बर, जन जन के वो मितवा।।


इज्जत बेटी बहिनी ऊपर, कोनो आँख गड़ावै।

गली गली मा दउड़ा दउड़ा, ओला मार गिरावै।।


दीन हीन दुखिया गरीब के, सदा रहय सँगवारी।

आजादी ला पाये खातिर, लड़िस लड़ाई भारी।


शत शत नमन वीर योद्धा ला, हम गरीब के पागी।

रहय तोर छाती मा धधकत, दुश्मन मन बर आगी।।


ज्ञानुदास मानिकपुरी

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वीर नारायण 🙏🏻


चढ़के फाँसी झूलगे, दीस अपन बलिदान |

बेटा सोना खान के, भारत माँ के शान ||

भारत माँ के शान, रहे तैं अघवा बेटा |

थर्रागे अंग्रेज, परे जब तोर सपेटा ||

अद्भुत साहस तोर, देख वो भारी भड़के |

नारायण वो वीर, अमर हे फाँसी चढ़के ||

कमलेश प्रसाद शरमाबाबू

💐💐💐💐💐💐

: *शहीद वीरनारायण  (दोहा छंद)*


छाती जब्बर तोर गा,  धरे हाथ तलवार ।

रामसाय के पूत ला,  शत-शत हे जोहार ।।


देश बचाए बर अपन, छोड़े घर परिवार ।

अंग्रेजी सत्ता पलट, करे अबड़ ललकार ।।


खरतर बेटा देश बर,  देहे तँय हा प्रान ।

अंग्रेजन ले तँय लड़े,  बनगे पूत महान ।।


रन भुइयाँ मा तँय लड़े, बइरी मन ला मार ।

मान  तिरंगा  के  रखे,  बनके गा रखवार ।।


थर-थर काँपै देख के, सिंह सहीं गा चाल ।

सउँहत आगू तँय खड़े, बनके सबके काल ।।


माखन बनिया सेठ घर,  लूटे  चाउँर  दाल ।

बाँटे सबो किसान ला,  टारे घोर अकाल ।।


देशभक्ति मन मा भरे,  देहे गा बलिदान ।

काम वतन के तँय करे, जन्मे सोनाखान ।।


माटी सोनाखान के, बनगे पबरित धाम ।

बीर नरायन तोर गा, जग मा होगे नाम ।।


*मुकेश उइके "मयारू"*

ग्राम-चेपा, पाली, जिला-कोरबा(छ.ग)

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जगदीश जी: छत्तीसगढ़ के गांधी - पंडित सुन्दरलाल शर्मा


आल्हा छन्द :- 


गुरु गणपति के ध्यान लगाके, मात शारदा चरन मनाँव।

करव कृपा सबझन मिल आके, हाथ जोड़ के परथंव पाँव।।

पावन भुइँया ये भारत के, वीर पुरुष जहँ ठोंके ताल।

पावन छत्तीसगढ़ माटी मा, जन्मे पंडित सुंदरलाल।।

गरियाबंद जिला मा राजिम, तीर बसे हे चमसुर गाँव।

पिता हवय जयलाल तिवारी, माता देवमती हे नाँव।।

पौष कृष्ण अमावस महीना, संवत उन्नीस सौ अड़तीस।

सन अट्ठारह सौ इक्यासी, जनम लिए पाके आशीष।।

पिता बहुत अच्छा  कविवर अउ, दूर-दूर तक जेकर नाम।

वो संगीत के सुघर ज्ञाता, ज्ञानी सज्जन नेकी काम।।


पढ़े मिडिल तक वो चमसुर मा, बालक सुंदर मने लगाय।

आगू के शिक्षा बर ओकर, गुरुजी घर मा आय पढ़ाय।।

अँगरेजी सँग बंगला उड़िया, सिखय मराठी भाषा नीक।

बड़ा सुघर वो चित्र बनावय, मूरति घलो बनावय ठीक।।

कविता अउ नाटक ले ओहा, लोगन मन ला सुघर जगाय।

देश गुलामी दूर करे बर, रण भुइँया मा कूदे आय।।

ब्याह बोधनी संग रचाये, आगू जिनगी संग बिताय।

पुत्र नीलमणि विद्याभूषण, छोटे से परिवार बनाय।

जात पात ला दूर करे बर, आंदोलन वो अबड़ चलाय।

मनखे ला अधिकार दिलाये, छुआछूत ला दूर भगाय।।


छोटेलाल नहर सत्याग्रह, आंदोलन करथे कण्डेल।

साथ दिये ओला पंडित जी, संकट बाधा सब ला झेल।।

गाँधी जी ला छत्तीसगढ़ मा, पंडित सुंदरलाल ह लाय।

माँग होय पूरा तब सबके, सबो किसान बड़ा सुख पाय।।

जनहित खातिर मा पंडित जी, कतको बार जेल भी जाय।

सबझन ला अधिकार दिलाये, सब मनखे ला फेर जगाय।

साहित घलो म नाम हवय बड़, छत्तीसगढ़ के नाम जगाय।

लिखे दानलीला वो सुग्घर, बड़ा नाम जेकर ले पाय।।

दिये उपाधि मान मा ओकर, छत्तीसगढ़ के गाँधी आज।

छत्तीसगढ़ साहित के अगुवा, मन मा करे सबो के राज।।


जगदीश "हीरा" साहू (व्याख्याता)

ग्राम- कड़ार, पोस्ट.- दतरेंगी, व्हाया- भाटापारा,

जिला - बलौदाबाजार-भाटापारा (छ.ग.)

Mob. 9009128538

💐💐💐💐💐💐💐💐

[श्लेष चन्द्राकर 9: *शहीद वीर नारायण सिंह जी ला शत् शत् नमन!*🙏


*सार छंद आधारित गीत*


अंतस मा जन-जन के बस गिन, बने काम ओ कर के।

अमर वीर नारायण होगिन, ये भुँइया बर मर के।।


देश गुलामी के साँकल मा, रहिस हवय बंधाये।

अँगरेजन मन जनमानस ला, बिक्कट रोज सताये।।

बघवा हा तब सब ला बोलिन, नइ जीयन डर-डर के।

अमर वीर नारायण होगिन...


मनखे मन ला एक करिन हें, टूटे माला जोड़िन।

तुतरु बजाइन आजीदी बर, शुभ के नरियर फोड़िन।।

अँगरेजन ले टक्कर लिन हें, फरसा-भाला धर के।

अमर वीर नारायण होगिन...


महा मनुख के फोटू धर के, गली-गली मा घूमव।

जिहाँ शहादत दिन हें अगवा, वो माटी ला चूमव।।

अँधियारा ले बने लड़िन हें, दियना जइसे बर के।

अमर वीर नारायण होगिन, ये भुँइया बर मर के।।


✍️ श्लेष चन्द्राकर,

महासमुंद (छत्तीसगढ़)

💐💐💐💐💐💐💐

गुरु वंदना (लावणी छंद)

 गुरु वंदना

               (लावणी छंद)


हे गुरुवर जी  हाथ जोर के,

                तुँहरे गुन ला गावँव मँय।

भवसागर के पार करइया,

             चरनन माथ नवावँव मँय।।


अँगरी धरके तहीं सिखाए,

                 आखर चिनहा पाए हँव।

मँय अड़हा अज्ञानी गुरुवर,

              मन मा आस जगाए हँव।।

तुँहर चरन रज चंदन जइसे,

              मूड़ी  माथ  लगावँव मँय।

हे गुरुवर जी हाथ जोर के.............


ज्ञान बिना अँधियारी ये जग,

                भटकत  दुनिया सारी हे।

तहीं हाथ  धर  ज्ञान बताये,

               तन मन मा उजियारी हे।।

ज्ञान भक्ति पबरित महिमा ला,

             जन-जन मा बगरावँव मँय।

हे गुरुवर जी हाथ जोर के............


हरि  दरशन  रद्दा  देखइया,

               जिनगी सुफल बनाए हँव।

विपदा भारी कतको आए,

               मन  मा  धीर बँधाए हँव।।

तुँहरे चरन छोड़ गुरुवर जी,

             कोन डगर अब जावँव मँय।

हे गुरुवर जी हाथ जोर के...............


रचनाकार:-

बोधन राम निषादराज"विनायक"

सहसपुर लोहारा,जिला-कबीरधाम(छ.ग.)

शहीद वीर नारायण सिंह जी ला शत् शत् नमन!* 🙏

 *शहीद वीर नारायण सिंह जी ला शत् शत् नमन!* 🙏


*सार छंद आधारित गीत*


अंतस मा जन-जन के बस गिन, बने काम ओ कर के।

अमर वीर नारायण होगिन, ये भुँइया बर मर के।।


देश गुलामी के साँकल मा, रहिस हवय बंधाये।

अँगरेजन मन जनमानस ला, बिक्कट रोज सताये।।

बघवा हा तब सब ला बोलिन, नइ जीयन डर-डर के।

अमर वीर नारायण होगिन...


मनखे मन ला एक करिन हें, टूटे माला जोड़िन।

तुतरु बजाइन आजीदी बर, शुभ के नरियर फोड़िन।।

अँगरेजन ले टक्कर लिन हें, फरसा-भाला धर के।

अमर वीर नारायण होगिन...


महा मनुख के फोटू धर के, गली-गली मा घूमव।

जिहाँ शहादत दिन हें अगवा, वो माटी ला चूमव।।

अँधियारा ले बने लड़िन हें, दियना जइसे बर के।

अमर वीर नारायण होगिन, ये भुँइया बर मर के।।


✍️ श्लेष चन्द्राकर,

महासमुंद (छत्तीसगढ़)

छत्तीसगढ़ के गांधी - पंडित सुन्दरलाल शर्मा

 छत्तीसगढ़ के गांधी - पंडित सुन्दरलाल शर्मा


आल्हा छन्द :- 


गुरु गणपति के ध्यान लगाके, मात शारदा चरन मनाँव।

करव कृपा सबझन मिल आके, हाथ जोड़ के परथंव पाँव।।

पावन भुइँया ये भारत के, वीर पुरुष जहँ ठोंके ताल।

पावन छत्तीसगढ़ माटी मा, जन्मे पंडित सुंदरलाल।।

गरियाबंद जिला मा राजिम, तीर बसे हे चमसुर गाँव।

पिता हवय जयलाल तिवारी, माता देवमती हे नाँव।।

पौष कृष्ण अमावस महीना, संवत उन्नीस सौ अड़तीस।

सन अट्ठारह सौ इक्यासी, जनम लिए पाके आशीष।।

पिता बहुत अच्छा  कविवर अउ, दूर-दूर तक जेकर नाम।

वो संगीत के सुघर ज्ञाता, ज्ञानी सज्जन नेकी काम।।


पढ़े मिडिल तक वो चमसुर मा, बालक सुंदर मने लगाय।

आगू के शिक्षा बर ओकर, गुरुजी घर मा आय पढ़ाय।।

अँगरेजी सँग बंगला उड़िया, सिखय मराठी भाषा नीक।

बड़ा सुघर वो चित्र बनावय, मूरति घलो बनावय ठीक।।

कविता अउ नाटक ले ओहा, लोगन मन ला सुघर जगाय।

देश गुलामी दूर करे बर, रण भुइँया मा कूदे आय।।

ब्याह बोधनी संग रचाये, आगू जिनगी संग बिताय।

पुत्र नीलमणि विद्याभूषण, छोटे से परिवार बनाय।

जात पात ला दूर करे बर, आंदोलन वो अबड़ चलाय।

मनखे ला अधिकार दिलाये, छुआछूत ला दूर भगाय।।


छोटेलाल नहर सत्याग्रह, आंदोलन करथे कण्डेल।

साथ दिये ओला पंडित जी, संकट बाधा सब ला झेल।।

गाँधी जी ला छत्तीसगढ़ मा, पंडित सुंदरलाल ह लाय।

माँग होय पूरा तब सबके, सबो किसान बड़ा सुख पाय।।

जनहित खातिर मा पंडित जी, कतको बार जेल भी जाय।

सबझन ला अधिकार दिलाये, सब मनखे ला फेर जगाय।

साहित घलो म नाम हवय बड़, छत्तीसगढ़ के नाम जगाय।

लिखे दानलीला वो सुग्घर, बड़ा नाम जेकर ले पाय।।

दिये उपाधि मान मा ओकर, छत्तीसगढ़ के गाँधी आज।

छत्तीसगढ़ साहित के अगुवा, मन मा करे सबो के राज।।


जगदीश "हीरा" साहू (व्याख्याता)

ग्राम- कड़ार, पोस्ट.- दतरेंगी, व्हाया- भाटापारा,

जिला - बलौदाबाजार-भाटापारा (छ.ग.)

Mob. 9009128538