"छन्द के छ" परिवार के शकुन्तला शर्मा ला छत्तीसगढ़ राज्य अलंकरण - 2017 मा "संस्कृत भाषा सम्मान" मिलिस। छन्द के छ परिवार के साधक मन ये बेरा ला "आनंदोत्सव" के रूप मा मनाइन अउ अपन छन्दमय बधाई दिन।
1.
अरुण कुमार निगम -
शकुन्तला शर्मा हवैं, छत्तीसगढ़ के शान
संस्कृत भाषा के मिलिस, हे बड़का सम्मान ।।
बात गरब के हमर बर, सोला आना आय
मिलै बधाई छन्दमय, अइसन करव उपाय।।
धन के हमन गरीब हन, मन के राजा आन
हमर असन शुभकामना, का देही धनवान।।
अपने घर परिवार के, मनखे पाथे मान
सच मानौ परिवार के, हो जाथे सम्मान।।
2. गजानंद पात्रे -
दीदी हमर शकुंतला,हम सबके हे शान।
संस्कृत भाषा मा मिले,आज हवे सम्मान।।
हमर छंद परिवार के,साधक हवे सुजान।
लिखथे बढ़िया छंद अउ,रखथे बहुते ज्ञान।।
शक्ति अबड़ नारी जगत,साबित कर दिस आज।
शासन ये छत्तीसगढ़,पहनाइस हे ताज।।
3. सुखदेव सिंह -
अबड़ विदुषी हे मृदुभाषी,नइ कर सकौं बखान।
देत बधाई उँहला हम सब,पावत हावन मान।
शकुन्तला शर्मा हे जेखर,बहुते सुग्घर नाम।
संस्कृत भाषा बर दीदी मन,करे रहिन शुभ काम।
जाँच परख छत्तीसगढ़ शासन,देखिस काम महान।
संस्कृत भाषा बर दीदी ला,देइन हे सम्मान।
शुभ संदेशा सुनत हमागे,अंतस खुशी अपार।
दीदी के सँग गौरव पागे,छँद के छ परिवार।
4. वसंती वर्मा -
दीदी हावय हमर जी,शकुन्तला हे नाम ।
संस्कृत विदुषी ला करँव,कोरी पाँच प्रणाम ।।
बहुत गरब के बात जी,पावय बेटी मान ।
दीदी हमर शकुन्तला,बेटी मन के शान।।
5. ज्ञानु दास मानिकपुरी -
शकुन्तला दीदी हमर,रचे हवे इतिहास।
जिनगी ओखर साधना,सत साहित बर ख़ास।।
लगन मेहनत ले अपन,हे जगमा पहिचान।
संस्कृत विदुषी के मिले,आज हवे सम्मान।।
7. अजय अमृतांशु -
शकुंतला दीदी हमर,पाइन हे सम्मान।
अबड़ मया करथन हमन,कतका करन बखान।।
8. सूर्यकान्त गुप्ता -
दीदी ज्ञानी हें हमर, दुरिहाथे अभिमान।
देथें संबल हर समय, ए भाई ला जान।।
ए भाई ला जान, कतेक सुग्घर समझाथें।
रद्दा साहित रेंग कहत उन आस जगाथें।।
सन्मान हकदार, सही उन अतका जानी।
देथौं बारंबार, बधाई दीदी ज्ञानी।।
9. राजेश निषाद -
संस्कृत भाषा मा मिले, तोला ओ सम्मान।
दीदी हमर शकुंतला,सबके तैं हर शान।।
10.
चोवा राम " बादल" -
शकुंतला दीदी हमर,जम्मो गुण के खान ।
शारद कस बानी हवय, कतका करौं बखान ।।
संस्कृत के संस्कार हे, सादा उच्च बिचार ।
जेखर अंतस मा बसे, सब बर मया दुलार ।।
दिब्य हवय जी चेहरा , झलकय देवी रूप ।
भाखा गुरु गम्भीर हे, साहित के अनुरूप ।।
सँउहे वो ईनाम ए, प्रभु के दे वरदान ।
छंद के छ परिवार के, जेन बढ़ाथे सान ।।
धन्यवाद सरकार ला, जेन करिस पहिचान ।
तिकड़म बाजी छोंड़ के, विदुषी ला दिस मान ।।
दीदी से विनती हवय , झोंकय मोर प्रणाम ।
छंद फूल धर हँव खड़े, साधक चोवा राम।
11. हेमलाल साहू -
साहित्यकार जान ले, सुघ्घर तँय पहचान ले।
सुघ्घर जेकर काम हे, शकुन्तला दी नाम हे।
संस्कृत के विदुषी इहे, बड़े बड़े ज्ञानी कहे।
छंद भरे रचना करे, उपनिषद अनुवादक हरे।।
अपंगता के जीत ला, सुघ्घर लिखथे गीत ला
देश प्रेम के मीत ला, राखे माटी प्रीत ला।
बेटी मन के शान जी, बनिस हवै पहचान जी।
हावय बड़ गुनवान जी, कइसे करवँ बखान जी।
संस्कृत भाषा ज्ञान ला, पाइस जी सम्मान ला।
झोंक बधाई आज तँय, करथस सुघ्घर काज तँय।
रहन सदा तोरे छाँव मा, आशीष पान पाँव मा।
एक रहन परिवार हम, राखत मया दुलार हम।।
दूवा करथे हेम हाँ, खुश रइही हर टेम हाँ।।
देत मया ला हेम दी, अपनो रखबे प्रेम दी।।
12. ललित साहू जख्मी -
पाये हे सम्मान ला, दीदी बर हे नाज।
जिनगी भर वोहा करे, जन हित के सब काज।
जन हित के सब काज, संग मा साहित सेवा।
देश भक्ति सम भाव, राम ला माने देवा।
महाकाव्य अउ गीत, सबे ल सहज वो गाये।
करे हवय बड त्याग, तभे सम्मान ल पाये।
13. आशा देशमुख -
साहित के हे साधिका ,शकुन्तला हे नाम ।
जनम धरे हावय जिंहा ,कहे कोसला धाम।
शकुन्तला दीदी हमर ,सँउहत शारद आय ।
जेकर गुण ला देख के ,जग हा माथ नवाय ।
संस्कृत विदुषी के मिले ,दीदी ला सम्मान ।
दीदी तोरे संग मा ,बाढ़य हमरो शान ।
14. दुर्गाशंकर इजारदार -
दीदी शकुन्तला सुनव ,हावय गुन के खान ,
मैं मूरख मति मंद जी ,कतका करौं बखान ।
भगवन भाखा मा मिले ,दीदी ला सम्मान ,
दाई भाखा के घला , जेन हर रखथे आन ।
शकुन्तला शर्मा -
छंद - राग के बाँधे गठरी, मोला मिल गिस गहना
राग पाग के स्वाद मिठाइस, रसदा के का कहना।
रसदा - धर के चल रे भाई, मिलही देख ठिकाना
आस - धरे विश्वास धरे - हन, छंद - राग हे गाना।
अरुण निगम के छंद देख के, मोरो मन ललचागे
सीखे - बर विद्यार्थी बनके, शकुन्तला हर आ गे।
शकुन रश्मि वासंती आशा, बहिनी मन जुरियागें
बड़ मुश्किल मा भले पाय हन, राग पाग ला पागें।
बहुत - मयारुक हें भाई मन, अरुण प्रधान पढाथे
बिकट चाव से बने सिखो के, धुन मा बने गवाथे।
सब झन के आपस मा बढ़िया, हावय भाई चारा
देश धर्म बर हमूँ लगाबो, जय जय जय के नारा।
हमर छंद भारत के महिमा, सुग्हर धुन मा गाही
भूले भटके मनखे मन ला, छंद डहर मा लाही।
15. मोहन लाल -
शकुन्तला जी नाँव हे, दीदी आय हमार।
देवत हन शुभकामना,सबो छंद परिवार।।
साहित सेवा साधना ,हे उँकरे पहिचान।
सुखी रहय दीदी सदा,बिनती हे भगवान।।
संस्कृत भाषा के मिले,हवे बड़े सम्मान।
साहित कुल के आज गा ,बाढ़िस हाबय शान।।
बड़ विदुषी दीदी हमर,रचना करय महान।
सब भाखा के ज्ञान हे,बोलय मीठ जुबान।
साहित सेवा अउ करव,होवय जग मा नाम।
झोंक बधाई संग लव, मोहन के परनाम।।
16. मनीराम साहू -
बधई हे सम्मान बर, दीदी ला जी मोर।
गाँव शहर मा जी जिँकर, उड़त हवय बड़ शोर।
17. पोखन जायसवाल -
जुड़गे तमगा एक ठन , बाढ़िस दीदी शान ।
गुंजे शोर चारो मुड़ा , दिखत हवय परमान ।।
18. ललित साहू जख्मी -
दीदी हमर महान हे, कतको हे परमान।
ओखर जस दुनिया कहे, महूँ करँव गुनगान।।🙏🏻🙏🏻
19. सूर्यकान्त गुप्ता -
दीदी तो अवतार एँ, मातु शारदा ताँय।
संस्कृत के विदुषी हवैं, साहित बाग सजाँय।।
शकुन्तला शर्मा -
मैं हर "छंद के छ" संग अपन उपलब्धि ल बाँट के बहुत गौरव के अनुभव करत हँव।👏