(1) इंजी.गजानंद पात्रे "सत्यबोध" - चौपाई छंद
वीर शहीद दिये कुरबानी,शत शत नमन इँखर बलिदानी।
देश धरम राखँय पहिचानी,अर्पन कर दिए सरी जिनगानी।1।
वीर भगत सिंह चढ़गे फाँसी,खूब लड़य मर्दानी झाँसी।
लाल बाल पाल चंद्रशेखर,देख फिरंगी काँपय थरथर।2।
गरम नरम दल अहिंसावादी,एक साथ मिल करिन अजादी।
सपना सुघ्घर आँख सँजोवय,सोन चिरइँया भारत होवय।3।
माह अगस्त क्रांतिवादी,पन्द्रह तारीख लिन अजादी।
सन सैंतालीस खुशी छागे,छोड़ देश अंग्रेजी भागे।4।
देश अजादी परब मनाबो,लाल किला मा धज फहराबो।
देश भक्ति के गीत सुनाबो,शान तिरंगा मान बढ़ाबो।5।
केसरिया रंग चुनर घानी,राह बतावय त्याग निशानी।
श्वेत रंग हे शांति निशाना,हरा रंग समृद्धि बताना।6।
चंदन जइसे जेकर माटी,पहरादार हिमालय घाटी।
भारत भुइँया सोन चिरइँया,चरन पखारय गंगा मइँया।7।
पर अब देखव हालत भारी,झूठ पाप मारत किलकारी।
बात भुलागे सबो सियानी,राजनीति के चलत कहानी।8।
सपना भारत आज उजड़गे,मनखे हा मनखे बर अड़गे।
जाति धरम बर लड़त लड़ाई,हिन्दू मुस्लिम सिक्ख इसाई।9।
एक धरम बस देश धरम हो,देश बिकास सबके करम हो।
तब होबो हम भाई भाई,हिन्दू मुस्लिम सिक्ख इसाई।10।
छन्दकार - इंजी.गजानंद पात्रे "सत्यबोध"
(2) हरिगीतिका छंद - श्रीमति आशा आजाद
सुग्घर देश
सुग्घर हवय सुन देश जी,हे मान गा ये शान गा।
जिनगी बसय सुन देश मा,बसथे इहे सम्मान गा।
अरपन करव सब देश बर,सेवा करव मिल देश के।
हिरदय बसे समता सुनव,सम्मान कर सब भेष के।।
बोली अलग मनखे अलग,ऐके रहय मिल साथ दे।
कतको रहय पीरा सुनौ,मनखे सबो सुन हाथ दे।।
सब मान लौ समता रखौ,मिलके करव सब काम ला।
सब राखलौ सब बाँध लौ,नाता निभा कर नाम ला।
श्रीमति आशा आजाद
(3) दोहा छन्द - श्रीमति आशा आजाद
भारत माँ
भारत माँ के चरन मा,माथ नवावँव आज।
भारत माँ के शान मा,जनगण छेड़ौ साज।।
मनखे मनखे जान ले, हे भारत के शान।
भुइँया सबके जान हे,हवँय हमर अभिमान।।
वीर अपन जवान हे,भारत के पहिचान।
रक्षा करके देश के,दीन हवय सम्मान।।
माथ तिरंगा मा झुके,नतमस्तक हो आज।
जय हिंद के ऐ शोर ले,गूजँय एके साज।।
छन्दकार - श्रीमती आशा आजाद
(4) सार छंद - श्री कुलदीप सिन्हा "दीप"
अमर तिरंगा
आज समय हे आजादी के, बात सबो गा मानो।
अमर तिरंगा अमर रही गा, मन मा पक्का ठानो।।
इही हरय गा शान देश के, सबके मान बढ़ाथे।
समरसता अउ मानवता के, सबला पाठ पढ़ाथे।।
येहा होथे सबले ऊपर, जाति धरम भाषा ले।
येला ऊपर सब राखव गा, खुद के अभिलाषा ले।।
पावन दिन आज हमर हे, चलव मनाबो तिहार।
प्रेमभाव ले रहिबो हम सब, सुघ्घर रखव विचार।।
वीर भगत हा फाँसी चढ़गे, पाये बर गा येला।
येखर खातिर लगे रिहीस हे, जेल घलो मा मेला।।
करिस तपस्या बापू जी हा, लाइस हे आजादी।
माल विदेशी जलवा दिस अउ, पहिनिस कपड़ा खादी।।
गाँव गाँव अउ शहर शहर मा, फहराबो ग तिरंगा।
हम सब भारत वासी बर ये, हरय ग पावन गंगा।।
इही हरय गा जान देश के, येखर मान बढ़ाबो।
आवव संगी आज सबो मिल, येला माथ नवाबो।।
छन्दकार - श्री कुलदीप सिन्हा "दीप"
(5) चौपाई छन्द - इंजी.गजानंद पात्रे "सत्यबोध"
देश अजादी परब मनाबो
वीर शहीद दिये कुरबानी,शत शत नमन इँखर बलिदानी।
देश धरम राखँय पहिचानी,अर्पन कर दिए सरी जिनगानी।1।
वीर भगत सिंह चढ़गे फाँसी,खूब लड़य मर्दानी झाँसी।
लाल बाल पाल चंद्रशेखर,देख फिरंगी काँपय थरथर।2।
गरम नरम दल अहिंसावादी,एक साथ मिल करिन अजादी।
सपना सुघ्घर आँख सँजोवय,सोन चिरइँया भारत होवय।3।
माह अगस्त क्रांतिवादी,पन्द्रह तारीख लिन अजादी।
सन सैंतालीस खुशी छागे,छोड़ देश अंग्रेजी भागे।4।
देश अजादी परब मनाबो,लाल किला मा धज फहराबो।
देश भक्ति के गीत सुनाबो,शान तिरंगा मान बढ़ाबो।5।
केसरिया रंग चुनर घानी,राह बतावय त्याग निशानी।
श्वेत रंग हे शांति निशाना,हरा रंग समृद्धि बताना।6।
चंदन जइसे जेकर माटी,पहरादार हिमालय घाटी।
भारत भुइँया सोन चिरइँया,चरन पखारय गंगा मइँया।7।
पर अब देखव हालत भारी,झूठ पाप मारत किलकारी।
बात भुलागे सबो सियानी,राजनीति के चलत कहानी।8।
सपना भारत आज उजड़गे,मनखे हा मनखे बर अड़गे।
जाति धरम बर लड़त लड़ाई,हिन्दू मुस्लिम सिक्ख इसाई।9।
एक धरम बस देश धरम हो,देश बिकास सबके करम हो।
तब होबो हम भाई भाई,हिन्दू मुस्लिम सिक्ख इसाई।10।
छन्दकार - इंजी.गजानंद पात्रे "सत्यबोध"
(6) आल्हा छन्द--श्रीमती नीलम जायसवाल
सैनिक
हमर देश के सैनिक भइया, करथे सेवा देश बचाय।
सीमा के रखवार हवय जी,भारत खातिर जान गँवाय।।
धरती माँ के करथे पूजा, गगन तिरंगा ला फहराय।
आफत-बिपत इही हा टारय,हर मुस्किल मा साथ निभाय।।
दया-भाव जनता बर राखय,दुसमन के छाती चढ़ जाय।
एक खून के खातिर भइया, दस-दस मूड़ काट के लाय।।
इखर नाम ले दुसमन काँपैं,थर-थर थर-थर उन थर्राँय।
भारत के सेना ले दुसमन,बच के जाय नहीं गा पाँय।।
छन्दकार - श्रीमती नीलम जायसवाल
(7) अमृत ध्वनि छन्द - श्रीमती नीलम जायसवाल
वीर सैनिक
हमर देश के वीर मन,रन मा देथें जान।
भारत माँ के लाल हें,हवँय हमर जी शान।।
हवँय हमर जी,शान-मान अउ,गरब सबो गा।
सैनिक मन के,गुण ला निस दिन,चलो कबो गा।।
बन्दुक धर के,पलटन चलथे, सुघर भेस के।
सरी विपत ला,सैनिक हरथें,हमर देश के।।
छन्दकार - श्रीमती नीलम जायसवाल
(8) आल्हा छंद - श्री राजेश कुमार निषाद
भारत माँ के बेटा संगी,अपन कभू नइ मानव हार।
वीर वंश के मैं बलिदानी, देवय चाहे मोला मार।
चढ़के संगी सरहद मैं हर, खड़े रहूँ जी सीना तान।
बइरी मन ला मार गिराहूं,चाहे छूटे मोरो प्राण।
जब जब बइरी आँख दिखाही,खींच उठा हूँ जी तलवार।
शोला बनके कहर बरस हूँ, भागय बइरी सुन ललकार।
सरहद मा जी गोला बरसे,होवय गोली के बौछार।
अपन कदम ला कभू न रोकँव,भरके लड़हूँ मैं हुंकार।
मरदानी झांसी की रानी, भरथे मोरो अंदर जोस।
लड़ जाहूँ मैं बइरी मन से,बनके वीर सिपाही बोस।
गाँधी भगत तोर कुरबानी, राखे हाँवव मैं हर याद।
कइसे आज भुलाहूँ ये दिन,होइस हमर देश आजाद।
छन्दकार - श्री राजेश कुमार निषाद
(9) दोहा गीत - श्री जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
लहर लहर लहरात हे,हमर तिरंगा आज।
इही हमर बर जान ए,इही हमर ए लाज।
हाँसत हे मुस्कात हे,जंगल झाड़ी देख।
नँदिया झरना गात हे,बदलत हावय लेख।
जब्बर छाती तान के, हवे वीर तैनात।
संसो कहाँ सुबे हवे, नइहे संसो रात।
महतारी के लाल सब,मगन करे मिल काज।
लहर------------------------------ आज।
उत्तर दक्षिण देख ले,पूरब पश्चिम झाँक।
भारत भुँइया ए हरे,कम झन तैंहर आँक।
गावय गाथा ला पवन,सूरज सँग मा चाँद।
उगे सुमत के हे फसल,नइहे बइरी काँद।
का का मैं बतियाँव गा,हवै सोनहा राज।
लहर------------------------------लाज।
तीन रंग के हे ध्वजा, हरा गाजरी स्वेत।
जय हो भारत भारती,नाम सबो हे लेत।
कोटि कोटि परनाम हे,सरग बरोबर देस।
रहिथे सब मनखे इँहा, भेदभाव ला लेस।
जनम धरे हौं मैं इहाँ,हावय मोला नाज।
लहर-----------------------------लाज।
छन्दकार - श्री जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
(11) दोहा छन्द - श्री मनीराम साहू "मितान"
सुग्घर नील अगास मा, लहर-लहर लहराय।
दृष्य तिरंगा देख के, अंतस बड़ सुख पाय।।
छन्दकार - श्री मनीराम साहू 'मितान'
(12) आल्हा छंद- श्री बोधन राम निषाद राज
वीर जवान
महूँ देश के बेटा आवौ,भारत माता के अँव लाल।
जावन दे सीमा मा मोला,करहूँ बइरी बारा हाल।।01।।
आँख उठाके देखै मोला,ओखर आँखी देहूँ फोर।
गद्दारी करके वो घुसरै,भितरी-भितरी बनके चोर।।02।।
कायर बनके लड़ना जानै,आगू मा हिम्मत नइ होय।
पाछू पाछू गड्ढा कोड़य,तभो पार नइ पावय कोय।।03।।
का मिलही रे लहू रकत मा,काबर धार लहू बोहाय।
कतका बल ला गरजत हावय,पगला हाथी कस बउराय।।04।।
भारत माता के बेटा अँव,खड़े हवँव मँय छाती तान।
मँय ललकारत हावँव तोला, हिम्मत ला मोरो पहिचान।।05।।
काखर बल मा बल गरजत हस,आगू मा तँय आके देख।
हम सेनानी मर मिट जाबो,सरहद पाँव बढ़ाके देख।।06।।
हमर दुवारी आके गरजे,आँखी लाल दिखाए तँय।
धरके गोला आज उड़ाबो,कहूँ कभू गुर्राए तँय।।07।।
आज हमर ताकत ला देखत,दुनिया हा सब शीश झुकाय।
तँय हर कोन खेत के मूली,जग मा अपने हँसी कराय।।08।।
जतका सेना तोर दुवारी,एक राज मा मोर समाय।
एखर जादा बल झन करबे,गुसियाबो ता हवा उड़ाय।।09।।
आजा बेटा मोर तीर मा,हाथ लड़ा के तँय तो देख।
हाथ काट के मुड़ मा रखहूँ,आँख लड़ा के तँय तो देख।।10।।
पथरा ढेला तहीं चलाथस,थोरिक लाज शरम नइ आय।
देहूँ मुटका अइसन करबे,लहू रकत तोरो बह जाय।।11।।
छन्दकार - श्री बोधन राम निषाद राज
(13) कुण्डलियाँ छन्द - श्री कन्हैया साहू "अमित"
देश के नाम
01-
धजा तिरंगा देश के, फहर-फहर फहराय।
तीन रंग के शान ले, बैरी घलो डराय।
बैरी घलो डराय, रहय कतको अभिमानी।
देबो अपन परान, निछावर हमर जवानी।
कहै अमित कविराय, कभू आवय झन अड़ंगा।
जनगण मन रखवार, अमर हो धजा तिरंगा।
02-
भुँइयाँ भारत हा हवय, सिरतों सरग समान।
सुमता के उगथे सुरुज, होथे नवा बिहान।
होथे नवा बिहान, फुलँय सब भाखा बोली।
किसिम किसिम के जात, दिखँय जी एक्के टोली।
कहे अमित कविराय, कहाँ अइसन जुड़ छँइयाँ।
सबले सुग्घर देश, सरग कस भारत भुँइयाँ।
छन्दकार - श्री कन्हैया साहू "अमित"
(14) आल्हा छंद- श्री असकरन दास जोगी
स्वतंत्रता सेनानी
धरती माता के बेटा जी,स्वतंत्रता सेनानी ताँय |
जान गँवाके करदिन रक्षा,अइसन बड़ बलिदानी आँय |1|
गरज-गरज के सब झन कहिथैं,भागव हमर देश ला चोर |
अतका शोषण कइसे सहिबो,लड़बो हम तो बँइहाँ जोर |2|
बढ़गे मान तिरंगा के जी,छेड़िन भारत भर मा क्रांति |
वो अंग्रेजी शासन डरगे,खो गे मन के जम्मों शांति |3|
किरिया खाके आइन रण मा,कलम धरे कोनो तलवार |
कहिन सबो तुम शासन करथव,रखथव हमला बड़ भुलवार |4|
भगत-चंद्र अउ गाँधी आँधी,बोस हिन्द के सेना लाय |
स्वतंत्रता आंदोलन फइले,तभे देश आजादी पाय |5|
बन आजादी के दीवाना,रंग बसंती गाइन यार |
हंसा अउ चोला तरगे जी,मिलै शहीदी के जब प्यार |6|
छन्दकार - श्री असकरन दास जोगी
(15) आल्हा छंद - श्री मनीराम साहू "मितान"
तिरंगा
तीन रंग के हवय तिरंगा, नील गगन मा वो लहराय।
देखब मा जी बड़ निक लागय, हरषावय अउ मन ला भाय।1।
हमर देश के शान हरय वो, मान घलो वो हमरे आय।
आजादी के हे चिनहारी, देश धरम के पाठ पढ़ाय।2।
केसरिया हे सबले उप्पर, सुमता के वो जोत जलाय।
सबो बीर बलिदानी मन के, रहि रहि के सुरता देवाय।3।
हवय बीच मा सादा सुग्घर, सादा सादा बात बताय।
कहय चलव जी सत्य बाट मा, सदा शांति के गाथा गाय।4।
हरियर हाबय सबले खाल्हे, हरियाली के करय बखान।
सुख समृद्धि हा रहय देश मा, धरती सेवा करव सुजान।5।
हवय बीच मा चक्र बने जी, देवत हे सुग्घर संदेश।
प्रगति बाट मा सबो चलव गा, अउ आगू जावय देश।6।
कहय चाक आरा चौबीसो, सजग रहव गा सबो मितान।
लहुट फेर बेरा नइ आवय , काम बुता बर करव धियान।7।
छन्दकार - श्री
मनीराम साहू "मितान"
(16) शंकर छंद - श्री जगदीश "हीरा" साहू
जय बोलव भारत माता के
जय बोलव भारत माता के, आय सबके शान।
मौका हे करजा छूटे के, लगा देवव जान।।
बैरी ऊपर टूट परव जी, तुमन बनके काल।
सोचव झन आगू का होही, आज ठोंकव ताल।।
कूटी-कूटी दुश्मन ला करके, भेज ओकर देस।
भूला जाही खुसरे बर जी, वो बदल के भेस।।
कसम हवय दाई के तोला,चुका करजा आज।
तोर रहत ले झन बगरै जी, इहाँ गुंडाराज।।
जाति धरम मा बाँट-बाँट के, टोरय हमर देस।
वो मनखे ला गोली मारव, मिट जाही कलेस।।
मार भगावव तुमन सबो ला, जेन देवय संग।
तब मिटही दुनिया ले भाई, आतंक के रंग।।
छन्दकार - श्री जगदीश "हीरा" साहू
(17) चौपाई छंद - श्री सुखदेव सिंह अहिलेश्वर
ध्वजा तिरंगा हाथ धरादे
राष्ट्र परब हे आजादी के।कपड़ा पहिरादे खादी के।
दाई झट मोला सम्हरादे।ध्वजा तिरंगा हाथ धरादे।1।
फेरी मा शामिल हो जाहूँ।भारत माँ के जय बोलाहूँ।
झण्डा ऊँचा रहय हमारा।कहि के खूब लगाहूँ नारा।2।
सात बजे झण्डा वंदन हे।बेरा के बड़ अनुशासन हे।
राष्ट्र गान माँ जन गण मन हे।नृत्य गीत कविता भाषन हे।3।
देश प्रेम अउ अखण्डता के।भाईचारा मानवता के।
हाथ उठा के किरिया खाहूँ।जिनगी भर संकल्प निभाहूँ।4।
माइक मा देहूँ मँय भाषन।सुनहीं लोग लगाके आसन।
जनता के मुद्दा अलखाके।बतलाहूँ जनता कर जा के।5।
वंचित होये के पीरा ला।भ्रष्टाचार सही कीरा ला।
खूदत ऊँच नीच खाई ला।सरलग बाढ़त मँहगाई ला।6।
वीर नरायण के सद् गत के।राजगुरू सुखदेव भगत के।
बिस्मिल संग चन्द्रशेखर के।गाहूँ अमर शहादत हर के।
बाबा भीम राव के मन ला।गाँधी के जीवन दर्शन ला।
नेता जी झाँसी के रानी।सुरता कर गाहूँ निज वानी।8।
तन मन हर्षित हो जथे,होथे अनुपम गर्व।
आथे जब हर साल के,आजादी के पर्व।
छन्दकार - श्री सुखदेव सिंह अहिलेश्वर
(18) दोहा/चौपाई छन्द - श्री ज्ञानु दास मानिकपुरी
सुरता मोला आत हे,होय जेन बलिदान।
हँसत हँसत फाँसी चढ़य,वीर शहीद जवान।
आजादी के अजब कहानी। सुनले संगी मोर जुबानी।
जइसे होय मिलें आजादी।चाहय दुश्मन के बरबादी।
जान देश बर अरपण करके। होय अमर जी दिल मे सबके।
शत शत नमन हवय जी सादर।देवव सब झन हरदम आदर।
खेल छोड़ के गिल्ली डंडा। थामे हाथ तिरंगा झंडा।
आगू सदा बढ़त जी जावय।पकड़ै दुश्मन मार गिरावय।
भरे जोश मा राहय हरदम।करे देख दुश्मन ला तम तम।
महिमा गाववँ मेहा कतका।करहूँ जतके कम हे वतका।
मौत लजाके देख के,मिटगे मन के भेव।
कइसे भूलँव जी भगत,राजगुरू सुखदेव। ।
छन्दकार - श्री ज्ञानु दास मानिकपुरी
(19) आल्हा छंद - - श्रीमती आशा आजाद
सुनले दुश्मन
सुनले दुश्मन मोर देश के,अबड़ मोर हिम्मत हे जान।
दुश्मन ला मँय मार गिराहूँ,अतका मोरे हावँय शान।।
मँय झाँसी के रानी आवँव,दुश्मन ला सब मार गिराँव।
बुरी नजर जे डाले सुनलव,नारी मनला न्याय दिलाँव।।
कहे मदर टेरेसा मोला ,दीन दुखी के लाज बचाँव।
दर-दर भटके जे मनखे मन,ओला अपने घर मा लाँव।।
कहे इंदिरा गाँधी मोला,नारी होके देश चलाँव।
अतियाचारी ला नइ छोड़ँव,नारी मनके लाज बचाँव।।
सैनिक बनके सेवा करथौं,दुश्मन ला जी देथौं मार।
डर के भागे दुश्मन सुनले,अइसन रहिथे मोरे वार।।
महिला मनके शान हवँव मँय,जानौ अपने सब अधिकार।
बाँह अबड़ मँय ताकत रखथौं,धरथौं हाथे मा तलवार।।
नारी ला सम्मान दिलावौं,इही हवे मोरो आधार।
नारी के मँय मान बचाथौं,जिनगी के बस एके सार।।
जुरुम करे जे प्रानी सुनले,ओखर करथौं गा संहार।
धर-धरके मँय मार गिराथौं, करौं देश के मँय उद्धार।।
कोर कपट के भेद जानथौं,दुश्मन बर ठाढ़े हे कान।
चलै नही जे रद्दा सत के,जीवन नइ देवँव मँय दान।।
छन्दकार - श्रीमती आशा आजाद
(20) सार छन्द - श्री महेन्द्र देवांगन माटी
देश हमर हे सबले प्यारा , येकर मान बढ़ाबो ।
नइ झूकन देन हम तिरंगा , झंडा ला फहराबो ।।
भेदभाव ला छोड़ के सँगी , सब झन आघू बढ़बो ।
हिन्दू मुस्लिम सिक्ख इसाई , मिल के हम सब लड़बो ।।
अपन देश के रक्षा खातिर , बाजी सबो लगाबो ।
नइ झूकन देन हम तिरंगा , झंडा ला फहराबो ।।
रानी लक्ष्मी बाई आइस , अपन रूप देखाइस ।
गोरा मन ला मार काट के , सब ला मजा चखाइस ।।
हिलगे सब अंग्रेजी सत्ता , ओकर गुन हम गाबो ।
नइ झूकन देन हम तिरंगा , झंडा ला फहराबो ।।
आन बान अउ शान तिरंगा , लहर लहर लहराबो ।
देश विदेश जम्मो जगा मा , येकर यश फइलाबो ।।
भारत भुँइया के माटी ला , माथे तिलक लगाबो ।
नइ झूकन देन हम तिरंगा , झंडा ला फहराबो ।।
छन्दकार - श्री महेन्द्र देवांगन माटी
(21) अमृत ध्वनि छन्द - श्री मोहन लाल वर्मा
" जय हो भारत माता "
भारत माता तोर बर , देहूँ अपन परान ।
बइरी ला धुर्रा चटा , लड़हूँ सीना तान ।।
लड़हूँ सीना,तान अपन मँय,सीमा जाके।
बइरी पल्ला,भाग जहीं तब,आरो पाके।।
तोर संग मा ,जनम-जनम के,हावय नाता।
करँव वंदना,जय हो जय हो,भारत माता।।
छन्दकार - श्री मोहन लाल वर्मा
(22) दोहा छंद - श्री पोखन लाल जायसवाल
थामे लइका हाथ मा ,धजा तिरंगा भाय ।
देश भक्ति के गीत ले ,आगू कदम बढ़ाय ।।
गावय सुग्घर गीत ये , मैं गाँधी बन जाँव ।
बुता देश बर मैं करत , रघुपति राघव गाँव ।।
धरे तिरंगा हाथ मा , नारा बहुत लगाय ।
फेरी मारत गाँव के , देश भक्ति बरसाय ।।
तीन रंग ले हे सजे , हमर तिरंगा जान ।
केसर हरियर संग मा , सादा हे पहिचान ।।
सपना देखे हे ददा , सैनिक बन जातेंव ।
आगू कदम बढ़ाय के, गीत रोज गातेंव ।।
जात धरम मा बाँट के , देख करत हे राज ।
मनखे मनखे एक हव , समझन एला आज ।।
आवव करन उदीम ये , बाँचे रहय सुराज ।
बाढ़त राहय देश हर , करथन जुरमिल काज ।।
छन्दकार - श्री पोखन लाल जायसवाल