बाबा भीमराव अंबेडकर जी ल समर्पित छंदबद्ध रचना-छंद के छ परिवार डहर ले
रूप घनाक्षरी-जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
1
मीत मया ममता के,सत सुख समता के।
दीन हीन रमता के,संविधान हे आधार।।
जिनगी ला गढ़े बर,आघू कोती बढ़े बर।
घूमे फिरे पढ़े बर, देय हवे अधिकार।।
उड़े बर पाँख हरे,अँधरा के आँख हरे।
ओखरोच आस हरे,थक गेहे जौन हार।।
सिढ़ही चढाये ऊँच,दुख डर जाये घुँच।
हाँसे जिया मुचमुच,होय सुख के संचार।।1
2
गिरे थके अपटे ला,डर डर सपटे ला।
तोर मोर के बँटे ला,थामे हवै संविधान।।
सुख समता के कोठी,पबरित एहा पोथी।
इती उती चारो कोती,जामे हवै संविधान।।
मुखिया के मुख कस,ममता के सुख कस।
छायादार रुख कस,लामे हवै संविधान।।
खुशनुमा हाल रखे,ऊँच नाम भाल रखे।
सबके खियाल रखे,नामे हवै संविधान।।
जीतेन्द्र कुमार वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को,कोरबा(छग)
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दोहा छंद गीत-डी पी लहरे
भीम राव अम्बेडकर,हमर देश के शान।
संविधान ला ये रचे,जग मा हवय महान।।
इँखर हवय इंदौर मा,महू छावनी गाँव।
भीम राव अम्बेडकर,पावन जेखर नाँव।।
भीमा बाई मातु जी,पिता रहिस सकपाल।
चउदा इही अप्रेल मा,जनम लिये घर लाल।।
जग मा सबले ये बहुत,पढे़ लिखे गुणवान।
भीम राव अम्बेडकर,हमर देश के शान।।(१)
पिता रहिस एखर बने,सेना सूबेदार।
भेद-भाव मनखे करँय,कहिके जात महार।।
छुवा-छूत के रोग हा,घेर डरिस परिवार।
भीम राव ला तब लगे,ये जग हा अँधियार।।
बनिस मसीहा राज मा,पढ़ के बड़े सुजान।
भीम राव अम्बेडकर, हमर देश के शान।।(२)
बाबा बनिस वकील ता,जरिस मरिस सब खोट।
शुरू वकालत ला करिस,बाम्बे हाई कोट।।
न्याय मिलय सब ला बने,भीम राव के संग।
लड़िस लड़ाई भीम हा,सबके बदलिस रंग।।
मनखे ला मनखे सहीं,भीम दिये पहिचान।
भीम राव अम्बेडकर,हमर देश के शान।।(3)
सब मनखे मन पाय हें,शिक्षा के अधिकार।
भीम राव अम्बेडकर,रहिस बने सरदार।।
ऊँच-नीच के भेद ला,भीम करे हे दूर।
मनखे के अधिकार बर,लड़े हवय भरपूर।।
अइसन वीर सपूत के,कतका करँव बखान।
भीम राव अम्बेडकर,हमर देश के शान।।(4)
छंदकार
डी.पी.लहरे
बायपास रोड़ कवर्धा
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रुबाई छंद - श्रीमती आशा आजाद
आज जयंती बाबा के जी,जुरमिल सब सुग्घर मानौ,
समता जग मा बगराइन ओ,गुन ला ओखर पहिचानौ।
चलँव मनाबो जन्मदिवस ला,शुभ दिन आये हे देखौ,
डूबिन सबझन भीम रंग मा,अबड़ खुशी के पल जानौ।।
भेदभाव ला सबो मिटाके,संविधान लिख दिन हावै,
सरी जगत मा मान देखलौ,जन-जन हा गुन ला गावै।
छूआछूत ल दूर भगाके,दूर करिन सब अँधियारा।
नित रद्दा ला देखाइन हे,सत मारग ला बतलावै ।।
दीन हीन शोषित मनखे ला,सब अधिकार दिलाये हे,
दलित जाति के हीरा बेटा,शिक्षा अलख जगाये हे।
अब्बड़ ज्ञानी राहिन बाबा,बोलिन पढ़ लिख सब जावौ,
स्वाभिमान के खातिन लड़ना,सब अधिकार लिखाये हे।
बाबा के कुर्बानी अइसे, सुग्घर आज बनाये हे।
शिक्षित होके दय प्रकाश ला,कतका नाम कमाये हे।
बाबा के बानी हे सुग्घर,समता हमला सिखलावै।
प्रेम भाव समरसता बरसे,शिक्षित बनौ सिखाये हे।
जात पात ले ऊपर लाके,नेक करम ला जानौ जी ।
मुक्त कराइन भेदभाव ले,ओखर गुन ला मानौ जी।।
खुदे अकेला कठिन राह मा,रद्दा नवा दिखाये हे।।
महिला ला सम्मान दिलाके,नेक करम पहिचानौ जी।
नारा हे संघर्ष करौ के,बोलिन बड़खा हे शिक्षा,
बौद्ध धरम के सत मारग ले,लिहिन सुघर बाबा दिक्षा,
ए भुइयाँ मा धन्य हे बेटी,ओखर तँय मस्जिद काबा,
संविधान लिख छोड़िन सब बर,करिन हमर बाबा रक्षा।।
विपदा जम्मो पार लगाही,मिटही जम्मो अँधियारा,
शिक्षा के अनमोल रतन ले,कर लौ सब झन उजियारा।
शान बान सब तोरे दम ले,बाबा सब तँय दिलवाये,
झूम उठिन हे जन्मदिवस मा,बाबा सबले हे न्यारा।
रचनाकार - श्रीमती आशा आजाद
पता - मानिकपुर कोरबा छत्तीसगढ़
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अमृतध्वनि छंद - श्रीमती आशा आजाद
भीमराव बाबा हवे,भारत के सम्मान।
संविधान के रचइयाँ,हावै देश के सान।।
हावै देश के,सान दलित ला,मान दिलाइन।
जात पात ला,तोड़ सबो ला,उपर उठाइन।।
रहौ संगठित,तोड़ौ जम्मो,अब बिखराव।
पढ़ लिख लौ सब,बानी बोलिन,हे भीमराव।।
शिक्षित होवौ नित बढ़ौ,करौ देश मा नाम।
पिछड़े हावै दलित मन,करौ उँखर बर काम।।
करौ उँखर बर,काम आय सब,लिखना पढ़ना।
बाबा बोलिन,अपन हाथ मा,जिनगी गढ़ना।
समय ल समझौ,ऐला झन जी,कोनो खोवौ।
मान दिलाही,पहिली सबझन,शिक्षित होवौ।।
जात पात ला तोड़ के,गढ़िन जी संविधान।
शिक्षा मा समभाव ले,पाही सबझन ज्ञान।।
पाही सबझन,ज्ञान बराबर,सबला मिलही।
भेदभाव हा,देश राज ले,जम्मो मिटही।।
महापुरुष हे,भीमराव हा,दिहिन सौगात।
कष्ट उठाइन,तब तोड़िन जी,ओ जात पात।।
छंदकार - श्रीमती आशा आजाद
पता - मानिकपुर कोरबा छत्तीसगढ़
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दोहा छंद - बोधन राम निषादराज
जय बोलव जय भीम के,भारत माँ के लाल।
सुग्घर रचे विधान ला, पुरखा करे कमाल।।
छुआ छूत के भेद ला,तँय हा दिए मिटाय।
जय बाबा अंबेडकर,जग मा नाम कमाय।।
संविधान के कल्पना, करे तहीं साकार।
ऊँच नीच के भेद अउ,दलित करे उद्धार।।
बाबा तोरे ज्ञान मा, कोनों नहीं समान।
भटके भूले ला तहीं, बना दिए इंसान।।
बाबा जय हो भीम के, पइँया लागँव तोर।
सुमता के दीया जला,जग मा करे अँजोर।
छंदकार - बोधन राम निषादराज
सहसपुर लोहारा, जिला - कबीरधाम
राज्य _ छत्तीसगढ़
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दोहा छंद-बृजलाल दावना
तिथि चौदस बैसाख के , भीम जनम धर आय ।
भीमा बाई माँ बने , बाबू राम कहाय ।।
महाराष्ट्र रत्नागिरी , भीमराव के गाँव।
बेटा तैंह महार हे , दलित धराये नाॅव ।।
मातु पिता के भीम जी ,चउदहवां संतान ।
उमर रहे जब तीन के , छुटगे पिता परान।।
बछर लगे जब पांचवां, छोड़ चले तन मात।
माने छूवा छूत सब , कहे नीच के जात।।
दुखत बात इक बेर के , भीम पढे ला जाय।
नीच जात कहि भीम ला, बाहिर मा बइठाय।।
होनहार लइका रहे , गजबे चेत लगाय।
लिखे पढ़े मा भीम जी,अव्वल नंबर आय।।
देख भीम के ज्ञान ला ,सायाजी महराज।
अनुभव मन के जानगे,गढ़ही नवा समाज।।
किरपा पा महराज के , जाये भीम विदेश।
अव्वल आके भीम हर , दिये नवा संदेश।।
छुवा छूत दानव रहे , जेला भीम भगाय ।
मनखे एक समान के , जोत ल हवे जलाय।।
नीच जाति कहि भीम के,करै सबो हिनमान।
उही भीम के लेख ले , बने हमर संविधान।।
भीम असन कोनो नही, मोला दिखे महान।
हे बाबा अंबेडकर , अमर तोर हे नाम ।।
करम भीम के देख के , बोलत हँव बृजलाल।
भारत के कानून के , आय भीम हर ढ़ाल।।
साधक
परमानंद बृजलाल दावना
भैंसबोड
6260473556
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जयकारी छंद-नेमेंद्र
चौदस तिथि बैसाखे मास।पूरा होइस माँ के आस।।
दाई भीमा बेटा पाय।ददा राम जी गाना गाय।।
छुवा छूत हे मन के दाग।नीच कूल के जगगे भाग।।
चमके बालक के बड़ माथ।परिवर्तन राखे मन साथ।।
भीम दलित के बेटा आय।निर्धन घर मा जनम ल पाय।।
भूखन लांघन बालक एक।जेकर शिक्षा हावय नेक।।
नीच जाति कह ताना मार।भीम ल लोगन दे दुत्कार।।
शिक्षा दीक्षा बर तरसाय।बाहिर कक्षा के बैठाय।।
भीम पढ़े मा अव्वल आय । गुरू,ग्राम के मान बढ़ाय।।
बिलग भीम के देखत काज । सोंचे सायाजी महराज ।।
अलग सबो ले करही काम।येकर होही जग मा नाम।।
गढ़े भीम के सुग्घर वेश।।भेजे साया भीम विदेश।।
भीम पढ़े मा भारी पोठ।वेद शास्त्र सब बोले ओठ।।
पढ़ लिख के वो बने वकील।छुवा छूट मुड़ मारे कील।।
देश चलाये बर तो एक।नियम बनाये भीम ह नेक।।
सबो जीव हे एक समान।बोले भारत के संविधान।।
सबो देश ले हवे महान।हमर देश के निक पहिचान।।
रामायण गीता कस जान। गढ़े भीम हर जे संविधान।।
छंदकार-नेमेन्द्र कुमार गजेन्द्र
हल्दी-गुंडरदेही-बालोद(छ.ग.)
मोबा-8225912350
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कुंडलियाँ छंद- इंजी.गजानंद पात्रे "सत्यबोध"
भीम बदौलत-
पड़ही तुँहला जागना, अपन लिये अधिकार ।
नइतो अतका जान लौ, हो जाही अँधियार ।।
हो जाही अँधियार, डगर मा बिछगे काँटा ।
निकलव घर से आज, अपन लेये बर बाँटा ।।
तुँहर पाँव के फूल, शूल बन के जब गड़ही ।
तब करहू का याद, हमू ला जागे पड़ही ।।
वोकर पहिली जाग जौ, सोये हव भरपूर ।
भीम बदौलत नौकरी, पाये हवव हुजूर ।।
पाये हवव हुजूर, तभे खाथव सुख रोटी ।
जानव खुद औकात, फिरे पहिने निंगोटी ।।
नहीं जागहू आज, रही जाहू बन जोकर ।
संविधान अधिकार, करव रक्षा अब वोकर ।।
नारी के सम्मान रख, करिस भीम उद्धार ।
शिक्षा दौलत नौकरी, दे समता अधिकार ।।
दे समता अधिकार, कहाँ समझिस पर तोला ।
तथाकथित भगवान, इँखर रंगे हे चोला ।
रूढ़िवाद के आग, बचाइस भीम हुँकारी ।
संविधान अउ भीम, मान दे अब तो नारी ।।
छंदकार - इंजी.गजानंद पात्रे "सत्यबोध"
बिलासपुर (छत्तीसगढ़)
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आल्हा छंद- इंजी.गजानंद पात्रे "सत्यबोध"
एक मसीहा भीम राव जी-
एक मसीहा भीम राव जी, जेकर ऊपर हमला नाज ।
बहुजन पिछड़े समाज तबके, सबके बनिस मुखर आवाज ।।
बालकाल से झेलिस जे हा, छुआछूत के भारी दंश ।
सौदागर बन छुपे रहिंन हें, जब समाज मा रावण कंस ।।
शूल बिछे जब पग पग मा अउ, जातपात के बड़ अंगार ।
झुलसत राहय तन मन सारा, फेर कभू नइ मानिस हार ।।
छाती ठोक कहिस भीमा हा, सबके हावय एक समाज ।
एक मसीहा भीम राव जी, जेकर ऊपर हमला नाज ।।1
माथ पछीना टप टप टपकय, मुस्कावय पर दुख ला देख ।
ज्ञान कर्म खुद कड़ी लगन से, बुरा समय के बदलिस लेख ।।
करिस भीम हा हासिल डिग्री, खो के खुद सुख घर परिवार ।
भला चुका कइसे पाबो हम, बाबा तोरे ये उपकार ।।
कर्मवीर बड़ धीर साहसी, तर्कशील योद्धा जाबांज ।
एक मसीहा भीम राव जी, जेकर ऊपर हमला नाज ।।2
देखिस पीरा जन जन के जब, भूख गरीबी अत्याचार ।
थाम कलम तब भीम राव जी, कदम बढ़ाइस कर ललकार ।।
दूर हटा नारी उत्पीड़न, करिस भीम जी बड़ उद्धार ।
शिक्षा दौलत रोजगार मा, देइस समता के अधिकार ।।
पीछे मुड़ना नहीं कभू हे, दीस सफलता के ये राज ।
एक मसीहा भीम राव जी, जेकर ऊपर हमला नाज ।।3
रहव एकजुट शिक्षित बनके, संघर्ष करो नारा थाम ।
नेतृत्व ज्ञान के दीप जला के, करना हे अब मिलके काम ।।
जे मुकाम मा आज खड़े हौ, भीम राव के हे वरदान ।
गजानंद जी सत्य कहत हे, इही मसीहा अउ भगवान ।।
समता हक अधिकार लिये बर, करना हे हम ला आगाज ।
एक मसीहा भीम राव जी, जेकर ऊपर हमला नाज ।।4
घर से अब मैदान निकल जौ, करत हवय जी भीम पुकार ।
बदलत हावय संविधान ला, राजनीति मा कुछ गद्दार ।।
हौ सपूत गर भीम राव के, भर लौ रग रग जोश जुनून ।
संविधान के रक्षा खातिर, अर्पित कतरा कतरा खून ।।
रग रग मा हम भीम बसा लिंन, हर दिल मा हो जिंदा आज ।
एक मसीहा भीम राव जी, जेकर ऊपर हमला नाज ।।5
छंदकार- इंजी.गजानंद पात्रे "सत्यबोध"
बिलासपुर ( छत्तीसगढ़ )
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दोहा-चौपाई, शोभामोहन श्रीवास्तव
भीमराव अम्बेडकर, लिखे हिन्द संविधान ।
शिल्पकार भारत सुदिन, कानूनी विद्वान ।।
तोर बताये बाट भुलागे ।अब तो निच्चट
कलउ उखरागे ।।
सबके मन मा भेद भरे हे । अंते-तंते मंत्र धरे हे ।।
बिगन बूझे जाने चिचियाथे । आने ताने गाना गाथे ।।
फँसत हवै बैरी के फाँसा । समझ न पावत ओकर झाँसा ।।
मनखे गढ़के नावा नारा । भुला गये हे तोर तियारा ।।
भेद भाव के खोदत खाई। सपना करके राई-छाई।।
तोर नाम ला करके आगे । कोनो स्वारथ साधन लागे ।।
एक बेर अउ बाबा आजा । संविधान के बाट बता जा ।।
शोभामोहन श्रीवास्तव
अमलेश्वर रायपुर छ.ग.
मों.9171096309
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*चौपई छंद (जयकारी छंद)* आशा देशमुख
भीमराव रचदिन संविधान,दुनिया मा पाये सम्मान।
नाम सुरुज कस हे उजियार,जग बर करिन हवय उपकार।
जिनगी में बड़ दुख हे पाय,पग पग मा काँटा छेदाय।
छुआ छूत के रोग मिटाय, मानवता के पाठ पढ़ाय।
ऊँच नीच में बँधे समाज,वोमा कपटी मन के राज।
करे रहिन जीना दुश्वार ,पापी मन के पशु व्यवहार।
कठिन डहर में रेंगे पाँव, कोनो कर तो मिलही छाँव।
भीमराव जइसे हे कोन,आगी मा जस चमके सोन।
जे मन रहिन दुखी लाचार, उँखऱ करिन भीमा उद्धार।
जाति पाति के खाई पाट, ऊँच नीच के बेड़ी काट।
चमकत हावय देश समाज,भीमराव के सुघ्घर काज।
हे भारत के पूत महान,दुनिया करत हवय सम्मान।
भीमराव जग बर वरदान,मनखे रूप धरे भगवान।
पाये सब शिक्षा भरपूर,हो साहब या हो मजदूर।
भीमराव जी पाठ पढ़ाय,होय न अब कोई अन्याय।
सब मनखे हे एक समान,दुनिया के करदिन उत्थान।
आशा देशमुख
एनटीपीसी जमनीपाली कोरबा
छत्तीसगढ़
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दोहा-सुकमोती चौहान
भीमा बाई कोख मा,जनम धरिन श्रीमान ।
पिता राम जी के इहाँ,होइस जी संतान।।
भीमराव अंबेडकर,जनमे जाति महार।
बचपन ले ऐमन सहिन,छुआछूत के मार।।
जात पात के भेद ला,मिटा करिन उपकार।
महिमा करे बखान गा ,आज सरी संसार।।
भीमराव अम्बेडकर,रहिन अबड़ विद्वान।
संविधान निर्माण कर,सबला करिन समान।
भारत ला उपहार दिन,संविधान के रूप।
होनहार अंबेडकर,पाइन ठौर अनूप।।
सुकमोती चौहान रुचि
बिछिया,महासमुन्द,छ.ग.
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राधिका छंद~ छंद खजाना खातिर।
भीमराव अंबेडकर, नेक मति भारी।
जय बाबा साहेब जी, आप अवतारी।।
सोच समझ मा आपले, एक नइ सानी।
सिरतों भारत रत्न जी, कीर्ति बड़ ग्यानी।।-1
छूआछूत के रोग ला, फोकटे मानै।
सुमता के छँइहाँ सुघर, देश भर तानै।
भेदभाव के घाव हा, समाजिक पीरा।
बरोबरी के बात कर, बनै बलबीरा।।-2
मनखे जम्मों एक हें, सार सब बाँटै।
जात वर्ण जंजाल हे, जात झन छाँटै।।
मानवता के दूत बन, करैं जनसेवा।
धरम करम बढ़के इही, इही प्रभुदेवा।।-3
सोज-सोज इन बात कर, बनै बरदानी।
पढ़े-लिखे बहुते बबा, नहीं अभिमानी।।
विधि विधान के ग्यान बड़, न्याँव के ग्याता।
संविधान मुखिया तहीं, न्याँव निर्माता।-4
नाँव अमर जय भीम के, काज कल्याणी।
गूँजय तन-मन मा तुहँर, बुद्ध के वाणी।।
भारत माता के पूत हौ, साज सत बाना।
अराजकता देश मा, जन्म धर आना।।-5
कन्हैया साहू 'अमित'
भाटापारा छत्तीसगढ़
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उल्लाला छंद-दीपक निषाद
बिधि बिधान गहना असन,भारत माँ के भेष बर।
संविधान रचना करे, समतामूलक देश बर।।
बाबा के पावन करम, मानवता बर नेक हे।
अवसर काम नियाव बर,सबो नागरिक एक हे।।
मनखे सबो समान ए, ऊँच नीच अउ जात का।
पाँच तत्व के ठाठ सब,भेदभाव के बात का।।
मनखे देश समाज बर, ओकर बड़ उपकार हे।
बाबा साहब के चरन, बंदन बारंबार हे ।।
दीपक निषाद
बनसांकरा
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- सार छंद - विरेन्द्र कुमार साहू
संविधान ला लिखके बाबा, बढ़िया नियम बनाये।
करे हवस बेवस्था अइसे, न्याय सबो झन पाये।1।
रोग छुआछुत ला समाज ले, दुरिहा भीम भगाये।
मानवता ला सबले बड़का, जग के धरम बताये।2।
ऊँच नीच नइ हावय कोनों, रंग लहू के एके।
बगराये सद्ग्यान अँजोरी, सुग्घर शिक्षा देके।3।
बनगे निर्धन बर धन-झाँपी, बसुंधरा बर छानी।
गोड़ हाथ लुलवा बर बाबा, अउ कोन्दा बर बानी।4।
बने निराशा मा तँय आशा, परे डरे के हितवा।
देश धरम के बैरी मन ला, हबके बनके चितवा।5।
सुमत बाँध के हमन देश मा, तोर बाट मा चलबो।
खाय हवन करजा बाबा जी, सुरता करके छुटबो।6।
छंदकार - विरेन्द्र कुमार साहू , बोड़राबाँधा(राजिम), जिला - गरियाबंद, छत्तीसगढ़, मो.- 7000950840
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कुण्डलिया छंद - श्लेष चन्द्राकर
(१)
भारत माता के रिहिस, भीमराव कस लाल।
संविधान लिख के करिन, जन-जन ला खुशहाल।।
जन-जन ला खुशहाल, रखे बर काम करइया।
तोला नमन हजार, सत्य के राह चलइया।।
तोर नाँव ले देश, लिखिस हे नवा इबारत।
सुरता करके आज, गरब करथे बड़ भारत।।
(२)
पढ़के अइस बिदेस ले, बाँटिस सबला ज्ञान।
भीमराव अंबेडकर, मनखे बनिस महान।।
मनखे बनिस महान, काम जनता बर करके।
लानिस हे बदलाव, भाव समता के भरके।।
आंदोलन मा भाग, लीस हावय बढ़-चढ़ के।
संविधान निर्माण, करिस हे अब्बड़ पढ़के।।
(३)
समता लाये बर लड़िस, भीमराव हा जंग।
भेदभाव ला छोड़के, कहिस रहे बर संग।।
कहिस रहे बर संग, देश के मनखे मन ला।
मिलय बने सनमान, दलित अउ सब निर्धन ला।।
जुरमिल रहय समाज, दिखय झन कहूँ विषमता।
बोलय बाबा भीम, देश मा राहय समता।।
छंदकार - श्लेष चन्द्राकर,
पता - खैराबाड़ा, गुड़रुपारा, वार्ड नं. 27,
महासमुंद (छत्तीसगढ़)
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अश्वनी कोसरे- आल्हा छंद
सामाजिक भेदभाव विरुद्ध, बने चलाये तँय अभियान|
भारत माँ के असली बेटा,नमन करव अमिट संविधान||
जात पात के भरम मिटाये,नइ माने जीवन भर हार|
नियम लिखे पुख्ता संविधान,दीन हीन के हक अधिकार||
चुन चुन के अधिनियम बनाये,शोषित मनखे बर अधिकार|
समता सुमता सब बर लाये,युगपुरुष तोर जय जोहार||
शिक्षा दीप जलाये सब बर,नौकरी बर खोले द्वार|
पढ़े लिखे के अवसर बनगे, महिला ला मिलिस रोजगार|
मनखे बर एक मताधिकार,राजा ले मजदूर किसान|
महिला के सम भागीदारी,कर दिखलायेव एक समान||
अनुच्छेद तीन सौ चालीस ,पिछड़े भाई मनके शान|
आयोग बना शोषित मन बर ,दिलाये सबो समाज लामान||
बिजली बैंक सिंचाई जइसन,कलखाना के बनगे स्थान |
लोक निर्माण जस विभाग ले ,भारत भुइयाँ बनिस महान||
छंदकार
अश्वनी कोसरे "रहँगिया"
पता -कवर्धा जिला कबीरधाम
मो.8827795103
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दिलीप वर्मा सर: दिलीप कुमार वर्मा- भुजंग प्रयात छंद
करे भीम उद्धार कानून लाके।
रहे जेन पाछू उहू ला उठाके।
सँवारे सबो के बने जिन्दगानी।
छुवाछूत मा तोर हावै कहानी।
पढ़े जेन शाला अकेला बिठावै।
बड़ा दूर राखे ग पानी पिलावै।
सहे जिंदगी मा तहूँ दुःख भारी।
रखे फेर तै हा पढ़ाई ल जारी।
छुवाछूत ला दूर टारे ग ठाने।
पढ़े तैं ह कानून अच्छा ग जाने।
बड़े हो पढ़ाई करे दूर जाके।
उही काम लाये ग तै देश आके।
छुवाछूत के ये ब्यवस्था ल टारे।
लगे कंट भारी तभो तै न हारे।
बड़े हौसला ले सबो ला बचाये।
छुवाछूत ला दूर तैं हा भगाये।
करे तैं ब्यवस्था सबो जात के जी।
रखे ऊंच नीचे तको बात के जी।
उही तोर कानून के हे दुहाई।
सबो आदमी के ग होगे भलाई।
छंदकार- दिलीप कुमार वर्मा
बलौदाबाजार छत्तीसगढ़
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दोहा-धनेश्वरी साहू
संविधान गढ़के कहे,बनगे सब कानून।
मिलिस रत्न भारत करा ,मचगे ओखर धून।।
बाबा साहब मानथे, करथे सब सम्मान।
हरथे सबके दुःख ला,रहिस नहीं अनजान।।
दाई भीमा बाइ जी,ददा राम हे नाम।।
जन्मे जात महार करा, करे अबड़ तय काम।।
ऊँच नीच मानय नहीं सबला एकय जान।।
होशियार अब्बड़ रहिन ,पायिस अइसन मान।।
धनेश्वरी साहू
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चोवा राम 'बादल'--कुकुभ छंद
महू गाँव के पावन भुइँया, जनम धरे तैंहर आये।
पिता रामजी माता भीमा, के गोदी मा दुलराये।।
जा विदेश मा करे पढ़ाई, भारत के मान बढ़ाये ।
करे नौकरी देश म आके, धोखा बस धोखा खाये।।
राजनीति मा उतरे तैंहा, हिम्मत करके खम ठोंके।
समता सैनिक आगू बढ़गें,उन रुकिच न ककरो रोंके।।
सत्य अहिंसा के अनुयायी, गाँधी जी के सँगवारी।
अपन काम मा मस्त रहे तैं, सहे विरोध तको भारी।।
भारत के संविधान बनाये, नमन हवय अबड़े तोला ।
दीन दलित के रक्षा खातिर ,तोर हृदय बम के गोला।।
प्रस्तावना लिखे तैं विधि के, भारत के भाग्य विधाता।
समता लाये खातिर तैंहा, आरक्षण के हच दाता।।
न्याय बंधुता समानता के, घर घर मा अलख जगाये।
देश धर्म निरपेक्ष बनाके,दूर दृष्टि तैं देखाये।।
भेदभाव अउ छुआछूत ले, कसके तैं लड़े लड़ाई ।
बाबा कहिके पूज्य भाव ले, करथे जग तोर बड़ाई।।
हे महमानव ज्ञान पिटारा, बोधि तत्व के बड़ ज्ञाता।
ब्राह्मणवाद कभू नइ भाये, बौद्ध धर्म जोड़े नाता।।
भारत रत्न वीर सेनानी, पिछड़े के बने मसीहा।
तोर कृपा ले बाँचे हाबय, हमरो तो थोकुन ठीहा।।
आये हे वो जाबे करथे, निर्वाण तहूँ हा पाये।
श्रद्धा सुमन ल अर्पित करके, 'बादल' हा मूँड़ नँवाये।।
छंदकार--चोवा राम 'बादल'
हथबन्द, बलौदाबाजार (छग)
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मनहरण घनाक्षरी- इंजी.गजानंद पात्रे "सत्यबोध"
भीम संविधान-
न गीता न बाइबिल, न ही ग्रन्थ कुरान से ।
देश मोर चलथे जी, भीम संविधान से ।
अनेकता में एकता, दिखय भाव समता ।
देश आगू बढ़थे जी, सहीं दिशा ज्ञान से ।
पढ़ लिख आगू बढ़ौ, नवा इतिहास गढ़ौ ।
संविधान सब पढ़ौ, जी लौ फिर शान से ।
हाथ मा कलम हवै, सुख के आलम हवै।
सच कहौं मिले हवै, भीम बलिदान से ।।
चलै बने लोकतंत्र, दिये भीम महामंत्र ।
रख मान प्रजातंत्र, लिखे संविधान ला ।
हर हाथ काम पाये, सुख रोटी सबो खाये ।
झन कोई लुलवाये, कपड़ा मकान ला ।
दुख खुद ही सहिके, चुपचाप जी रहिके ।
सबो मोर ये कहिके, सहे अपमान ला ।
सत मैं बचन धरौं, नमन नमन करौं ।
चरन बंदन करौं, विभूति महान ला ।।
छंदकार - इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"
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कुण्डलियाँ छंद
(1)
हीरा बेटा राम के,भारत माँ के लाल।
कपटी मन के राज मा,दलित सबो बेहाल।।
दलित सबो बेहाल,अराजक छाये अड़बड़।
भेदभाव अपमान, देश मा शासन गड़बड़।।
लड़े लड़ाई पोठ,हरे जन जन के पीरा।
सच्चा बीर सपूत, भीम भारत के हीरा।।
(2)
बिख पीये अपमान के,कभू नहीं घबराय।
पढ़ लिख के आघू बढ़े,करजा दूध चुकाय।।
करजा दूध चुकाय,बने तैं बेटा काबिल।
देश गुलामी देख,जंग मा होवे शामिल।।
नित परमारथ काज,नेक तै जीवन जीये।
सदा देश कल्याण, सोंच के खुद बिख पीये।।
(3)
समता लाये देश मा,भीमा के संतान।
राजकाज बर तैं लिखे, भारत के सँविधान।।
भारत के सँविधान,बनाये सब के हक बर।
मानव एक समान, जलाये जोत घरोघर।।
छाये गजब उजास,मगन हे जम्मो जनता।
भारत रत्न महान,देश मा लाये समता।।
छंदकार:-कौशल कुमार साहू
सुहेला (फरहदा)
जिला -बलौदाबाजार-भाटापारा
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सरसी छंद - रामकली कारे
घर घर चलव जलाबो दीया, करबो सब उजियार।
भारत मा बेटा जनमे हे, हाबय आज तिहार।।
भारत रत्न उपाधि ल पाये, भीमा के सन्तान।
पिता राम जी सूबेदार पा, मुॅह माॅगे वरदान।।
भारत के संविधान लिख ये, शिल्पकार विद्वान।
ज्ञान सुरुज बन चमके बाबा, दुनिया भर के शान।।
नारी ला सम्मान दिलाइस, कानून ल जी लान।
कलम किताब धरा के सबला, दे गे शिक्षा ज्ञान ।।
बार करम के दीया सुग्घर, देहे तयॅ अधिकार।
अक्षर अक्षर बाॅटे शिक्षा, खोले सबौ द्वार।।
आज देश के रूप बदल गे, देहे जोड़ विज्ञान।
बिखरे सबौ समाज ल जोरे, लाये मुख मुस्कान।।
बुद्ध धम्म के दिक्षा लेहे, छोड़ देय गा प्रान।
पाॅव परत हव बाबा साहब, तयॅ हमरे अभिमान।।
छंदकार - रामकली कारे
बालको नगर कोरबा
छत्तीसगढ़
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सार छंद:- महेंद्र कुमार बघेल
दूर देश मा शोध करे तब, डाॅक्टर बनके आये।
शोषित पीड़ित वंचित मन ला, रद्दा नवा बताये ।
सुमत एकता सोच रखइया, संविधान निर्माता।
दीन हीन के आप मसीहा, नीति नियम के ज्ञाता।
छुवाछूत के भेद मिटाके, स्वाभिमान ला बाॅंटे।
जमींदार के जोर जुलुम ला,
जड़ उसाल के काॅंटे।
शोषण ताड़न के विरोध मा, भीमराव के कहना।
दीन हीन अब जागव जल्दी ,अति ला नइहे सहना।
सब मानव हे एक बरोबर, दलित दमित अउ नारी ।
इही तुॅंहर बुध सेती भारत ,सदा रही आभारी।
जनता ला अधिकार बताके,छल प्रपंच ला तोड़े।
आडंबर के भरे घड़ा ला, न्याय नीति ले फोड़े।
न्याय सुरक्षा व्यूह चक्र ला ,हम सब अपनावत हन।
मिले हवय अधिकार तभे तो,खुलके मुस्कावत हन।
येकर सेती आप हमर ये, भारत के नायक हव।
सबो नागरिक बर प्रेरक अउ, सहराये लायक हव।
छंदकार-महेंद्र कुमार बघेल
डोंगरगांव जिला राजनांदगांव
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: हेम -कज्जल छंद
जय हो अम्बेडकर तोर।
गावँव महिमा हाथ जोर।
लाये बिद्या के अँजोर।
बाँटे तँय हर गली खोर।1।
सत्य अहिंसा रहय शान।
गाँधी जी के तँय मितान।
सुघ्घर बोली मीठ जुबान।
जन मन बसगे तोर प्रान।2।
पढ़के आये तँय बिदेश।
कभू रखे ना कपट वेश।
हरे देश के सबो क्लेश।
राखे बाबा जन उद्देश।3।
संविधान हाँ बनिस वेद।
रहे कोउनो ला न खेद।
मन होइस सबके सफेद।
जात पात के मिटे भेद।4।
जन ला देवाय अधिकार।
ऊँच नीच के करे उपचार।
मन विद्या के ज्योति बार।
जन ला बनाय होशियार।5।
-हेमलाल साहू
ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा
तहसील नवागढ़, जिला बेमेतरा
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राजकुमार बघेल: आल्हा छंद-
पावन भुइयाॅऺं ये भारत मा,जनम लिये तॅऺंय वीर सपूत ।
भिवा राम जी नाम धराये,मानवता के तॅऺंय हा दूत ।।1।।
चउदा तारिक सुभ बेला मा, लिए भीम जी तॅऺंय अवतार ।
शोषित पीड़ित जनता खातिर,छूटे बर भुइयाॅऺं के भार ।।2।।
मध्य प्रांत के महू ठउर मा,पावन बाबा जी के पाॅऺंव ।
पिता राम जी भीमा मइया, पाये अॅऺंचरा के तॅऺंय छाॅऺंव ।।3।।
महाराष्ट्र मा राहय सिरतो,आंबडवे पुरखा के गाॅऺंव ।
तेखर सेती परगे संगी,आंबडवेकर ऊॅऺंखर नाॅऺंव ।।4।।
पढ़े लिखे बर बाम्बे आइन,ले शिक्षा जीवन आधार ।
छोट उमर ले नामी हावय,कक्षा मा जी बड़ हुसियार ।।5।।
पढ़ना लिखना जेन समय मा,होवत रहिसे टेढ़ी खीर ।
मनुवादी ये बरण वाद मा,नइ जानिन जी ओखर पीर ।।6।।
होनहार गा राम पूत ओ,पढ़ लिख डारिस बाधा टार ।
स्नातक पढ़ अउ करे शोध जी,राहय डिग्री के भरमार ।।7।।
करे पढ़ाई बैरिस्टर के,जग मा बहुते नाम कमाय ।
चरचा होवय सबो डहर मा,मिहनत के जी हे फल पाय ।।8।।
रहय किशोरा बाल उमर जी, बाबा जी के रचे बिहाव ।
जीवन के हमराह रमा जी,तभो पढ़े जी बढ़िहा चाव ।।9।।
भेदभाव के रहय विरोधी,झेलत जिनगी अपन पहाय ।
लड़े लड़ाई समता खातिर,काम हितैषी जगत सुहाय ।।10।।
छुआ छूत मनखे बर बद्तर,टोर गुलामी के जंजीर ।
सहना नइ हे अब शोषण ला,तभे कहाबे तॅऺंय हा बीर ।।11।।
शिक्षा के वो दीप जलाये,ठउर ठउर मा वो बगराय ।
विश्व विधाता ज्ञान प्रदाता,जनता हित बर बाली आय ।।12।।
नारी शिक्षा बर अगुवाई,छेड़े कतको जन अभियान ।
पर्दा प्रथा मा रोक लगाइस,नारी के करके सम्मान ।।13।।
शिक्षा के सब पद के सोभा,गुरु जी कुलपति घलो कहाय ।
शोषित पीड़ित लोग जगाके,पूरा जिनगी अपन पहाय ।।14।।
पत्रकार संपादक बनके,साहित ला जन बर बगराय ।
लिखे बहिष्कृत भारत समता,पिछड़े मन के दिन बहुराय ।।15।।
लड़े लड़ाई आजादी बर,लेके अपने संत समाज ।
टोर गुलामी अंग्रेजों के,लाये बर गा देश सुराज ।।16।।
शिक्षा के बड़ प्रेमी बाबा,राजगृह मा घर बनवाय ।
रखे हजारों पुस्तक जेमा,ज्ञान अलख ला जग बगराय ।।17।।
प्रतिनिधित्व के बात उठाते,राजनीति मा बारम्बार ।
रहे विचारक गांधी विपरित,दिन दुखी बर बड़ उपकार ।।18।।
पूना पेक्ट समझौता करके,आरक्षण की रख दी बात ।
सामाजिक उद्धार करे बर,बाबा मिहनत कर दिन रात ।।19।।
देश देश जब खोजत रहिगें,पंडित कतको संत सुजान ।
कोन रचय गा रचना जग बर,बाबा जस ना जग विद्वान ।।20।।
गढ़ संविधान के ताना बाना,राष्ट्र पिता भारत कहलाय ।
ज्ञान गुनी हे बाबा आगर,विधि ज्ञानी के जनक कहाय ।।21।।
स्वतंत्र भारत के सासन मा,विधि मंत्री ये बाबा भाय ।
समता मूलक देश गढ़े बर,जन जन बर अधिकार बनाय ।।22।।
बौध धरम के दीक्षा लेके,जाति प्रथा के करे बिनास ।
मानव के बस एक धरम ही,मानवता हो दिल में आस ।।23।।
भारत रत्न कहाये बाबा,बंदय तोला दुनिया आज ।
भारतवासी के हिरदे मा,करते रहिबे तॅऺंय हा राज ।।24।।
गाथा तोरे लिखे जाय ना,सार बात ला लिखथे राज ।
तोर चरन मा माथ नवावन,तोर उपर मा जग ला नाज ।।25।।
छंदकार- राज कुमार बघेल
सेन्दरी, बिलासपुर (छ.ग.)
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