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Monday, March 31, 2025

दोहा छंद-नवाँ बछर*

 *दोहा छंद-नवाँ बछर*


नवाँ बछर हा आय हे,धरके नवाँ अँजोर।

हे सबला शुभकामना,झोंक बधाई मोर।।


चैत गुड़ी परवा परब,पावन होथे घात।

यज्ञ हवन उपवास ले,कर जीवन शुरुआत।।


आजे के दिन देवता, करिन सृष्टि निर्माण।

राज विक्रमादित्य के,भारत बनिस महान।।


सजे घरोघर दीप मा,तोरन कलश दुवार।

जोत जँवारा पर्व मन,हे सुख के आधार।।


मौसम आय बसंत के,ममहावत बन बाग।

कोयल आरो देत हे,भौंरा गावै फाग।।


परसा लाली फूलगे,मउहा हर बउराय।

गोंदा संग गुलाब हा,कठल कठल इतराय।।


रुखराई फर फूल मा, जागिस नवाँ उमंग।

जग के जम्मो जीव मा,छाय खुशी के रंग।।


धरती दुलहिन कस सजे,आमा हर मउराय।

जाड़ा ना बरसात हे,रुत सबके मन भाय।।


छोंड़व पर के सभ्यता, छोंड़व पर संस्कार।

संस्कृति सुग्घर हे हमर,राखव बने सँवार।।


🙏🙏🙏🙏

नारायण प्रसाद वर्मा *चंदन*

ढ़ाबा-भिंभौरी, बेमेतरा(छ.ग.)

प्रभु श्रीराम राज तिलक

 हिन्दू नव वर्ष अउ चइत नवरात्रि के हार्दिक बधाई।

🌹🌹🙏🏻


प्रभु श्रीराम राज तिलक

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दोहा--

कनक भवन में आज तो,पहुँचे हे श्री राम। 

हो प्रसन्न लहुटिन प्रजा,अवध लगे सुरधाम।।


सखा सबो रघुनाथ के, गुरु ला माथ नवायँ।

आवभगत ला देख के,वोमन खुशी मनायँ।।


गुरु वशिष्ठ बोलिस वचन,सुन हे सचिव सुमंत ।

राजतिलक बर राम के, कर सिरजाम तुरंत।।


चौपाई-

द्विजदल ला गुरुवर समझावै।राजतिलक के नियम बतावै।। 

कहिस नहावैं चारों भाई। आवैं गहना अंग सजाई।।


सीता ला सासुन नहवावैं।चंदन उबटन अंग लगावैं।।

दिव्य वस्त्र सुग्घर पहिरावैं।

गहना सब्बो अंग सजावैं।। 


बहन उर्मिला खोपा पारिस।श्रुतकीरति हा फुँदरा डारिस।।

 हाथ मेंहदी पाँव महावर। बहन माण्डवी धरे रचे बर।।


 लक्ष्मी कस शोभा हे भारी। मुस्कावत हे जनक दुलारी।।

 सजे धजे हें चारों भाई।बरनै कोन उँकर सुँदराई।।


 दोहा-

डेरी कोती राम के,सीता ला बइठार। आज सिंहासन के सुघर,होवत हे सिंगार।।


 ब्रह्मा शिव जी देवगण, सिद्ध सबो मुनिराज।

 चढ़े विमान अगास में, देखत हावयँ आज।।


 वेद मंत्र द्विज हें पढ़त,मंगल शंख बजायँ।

पिंवरी चाउँर छींच के,आसिस ला बरसायँ।।


गुरु वशिष्ठ पहिली तिलक, सारिस रघुवर माथ।

राम सिया ला दे असिस,रखिस मूँड मा हाथ।।


 चौपाई-

 दसो दिशा होगे जयकारा। रघुवंशी हें जग ले न्यारा।।

करिन आरती सब महतारी। बड़भागी पुर के नर नारी।।


 दान सबो ला रघुपति देइस। माथ नवाके आसिस लेइस।।

हें प्रसन्न बड़ सुर समुदाई। जय जय  रघुवर सीता माई।।


 कस के बाजा देव बजावैं।बरसा कस उन फूल गिरावैं।।

भरत शत्रुहन चँवर डुलावैं।छत्र उठा लछिमन मुसकावै।।


सखा विभीषण अउ हनुमाना। जामवंत अंगद बलवाना।।

हे कपिपति सुग्रीव बिराजे। मानुष जइसे चोला साजे।।


 दोहा--

श्रीपति के बैकुंठ कस, हवै राम दरबार। तीन लोक के नाथ हा, ले हावय अवतार।।


करिन वंदना वेद मन, आके धर नर रूप।

जय जय जय बैकुंठपति, जय कौशल के भूप।।


आइस तब कैलाशपति, विनय करिस करजोर।

दर्शन पा रघुनाथ के, होगे भाव विभोर।।


छंद (तोटक)---


रघुवीर कृपालु सुरेश्वर हे।

अखिलेश्वर हे धरनीधर हे।।

अवतार लिए उपकार करे।

अउ मार निसाचर भार हरे।।

सुर कारज मा दुख नाथ सहे।

तपसी बन के बन जाय रहे।।

प्रभु देखत नैन जु़ड़ावत हे।

तिहुँ लोक खुशी बड़ छावत हे।। भवसागर के पतवार प्रभु।

सब दीनन के रखवार प्रभु।।

हिरदे बसथौ सब भक्तन के।

हरि नाथ अनाथन के बनके।।

वर भक्ति ल मैं प्रभु माँगत हँव।

रघुवीर सदा शरणागत हँव।।

जग मा जस श्रीहरि के बगरै।

भज राम रमापति जीव तरै।।


 दोहा--

विनय करिस गदगद वचन, खुश हे भोलेनाथ।

लहुटिस वो कैलाश बर, चरन नँवाके माथ।।


राजतिलक के ये कथा,पढ़ही सुनही जेन।

कृपा जोर रघुनाथ के,भव ले तरही तेन।।

    💐सियावर रामचंद्र की जय💐


(मोर छत्तीसगढ़़ी भाषा मा छंदबद्ध महाकाव्य "श्री सीताराम चरित ' के 9वाँ सर्ग राजतिलक ले उद्धृत)

🙏🏻


चोवा राम वर्मा 'बादल'

हथबंद,छत्तीसगढ़

छत्रपति वीर शिवाजी

 छत्रपति वीर शिवाजी महराज जयंती के हार्दिक बधाई।


छत्रपति वीर शिवाजी

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पइयाँ लागवँ गणपति गुरु के, हाथ जोड़ के माथ नँवाय।

 बिनती सुन लौ शारद माता, भूले बिसरे देहु बताय।।


जस ला वीर शिवा के गाववँ, महिमा जेकर अगम अपार ।

क्षत्रिय कुल में जनम धरे तैं, कुर्मी जाति कहय संसार।।


 किला बखानवँ शिवनेरी के, जनम लिए  सोला सौ तीस।

नाम शिवाजी राखिस दाई,शिव भोला के पाय असीस।।


माता धरमिन जीजाबाई, पिता शाहजी सूबेदार।

 कोणदेव गुरु के किरपा ले, सीखे तैं भाला तलवार।।


 सिधवा बर तो अब्बड़ सिधवा, बैरी बर तो सँउहे काल।

 परम भक्त माता तुलजा के, जय हो भारत माँ के लाल।। 


धरम करम ले पक्का हिंदू, हिंदू के पाये संस्कार।

 गउ माता के रक्षा खातिर, युद्ध करे तैं कतको बार।।


 बालकपन में करे लड़ाई, बैरी मन ला दे ललकार।।

 कब्जा करे किला मा कतको, लड़े लड़ाई छापामार।।


 बीजापुर के राजा बैरी, नाम कहावै आदिलशाह।

 तोर भुजा ला तउलत मरगे, फेर कभू नइ पाइस थाह।।


 समझौता के आड़ बलाके ,लेये खातिर तोरे जान।

 घात लगाये धरे कटारी, कपटी पापी अफजल खान।।


 दाँव ह ओकर उल्टा परगे,समझ गये तैं तुरते चाल।

 बघनक्खा मा ओला भोंगे,यमराजा कस बनके काल।।


 देखे सेना ला मालव के, जीव मुगलिया के घबराय ।

जइसे बघवा के तो छेंके,ठाढ़े हिरना प्रान गँवाय।।


अइसे फुरती जइसे चीता, भुजा म ताकत भीम समान।

रूप दिखय जस पांडव अर्जुन,धरे हाथ मा तीर कमान।।


 औरँगजेब बलाके दिल्ली, पकड़ जेल मा देइस डार।

फल के टुकनी मा छिप निकले, गम नइ पाइन पहरेदार।।


दसों दिशा मा डंका बाजय,धजा मराठा के लहराय।

कतका महिमा तोर बखानवँ,मोरे मति हा पुर नइ पाय।।


 जै जै जै जै वीर शिवाजी, निसदिन तोर करवँ गुणगान।

जै होवय भारत माता के, जेकर बेटा तोर समान।।


चोवा राम वर्मा 'बादल '

हथबंद, छत्तीसगढ़

Thursday, March 27, 2025

शक्ति छन्द- गड़ी चल

 शक्ति छन्द- गड़ी चल


गड़ी चल ढुलाबों दुनो गड़गड़ी।

मया के सबे दिन झरे बस झड़ी।।

झड़क भात बासी अदौरी बड़ी।

किंजरबों गली मा हँसत हर घड़ी।


निकलबों ठिहा ले बहाना बना।

बबा डोकरी दाइ माँ ला मना।

सबें यार जुरबोंन बर रुख कना।

नँगत खेलबों धूल माटी सना।


कका देही गारी दिखाही छड़ी।

तभो नइ टुटे मीत मन के लड़ी।

गड़ी चल ढुलाबों दुनो गड़गड़ी।

मया के सबे दिन झरे बस झड़ी।।


उड़ाबों हवा मा बना फिलफिली।

चना भूंज खाबोंन खाबों तिली।।

नहाबों नदी मा उड़ाबों मजा।

जगाबों सुते ला नँगाड़ा बजा।।


छिंदी चार आमा कमल के जड़ी।

झराबोंन अमली ग जिद मा अड़ी।।

गड़ी चल ढुलाबों दुनो गड़गड़ी।

मया के सबे दिन झरे बस झड़ी।।


जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को,कोरबा(छग)

Sunday, March 9, 2025

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस

 खैरझिटिया: महिला दिवस विशेष(रोला छंद)


महिला मनके मान,सबो बर बरकत लाही।

बनही बिगड़े काम,सरग धरती  मा  आही।

दया मया के खान, हरे   बेटी   महतारी।

घर बन खेती खार,सिधोये सबला नारी।


जनम  जनम  रथ  हाँक,बढ़ाये  आघू जग ला।

महिनत कर दिन रात,होय अबला सब सबला।

जग  के  बोहै  भार,अधर हे हँसी ठिठोली।

काटे दुक्ख हजार,मीठ मधुरस कस बोली।


दुख  पीरा  के नाम,जुड़े  हे  नारी  सँग  मा।

गहना गुठिया राज,करे नित आठो अँग मा।

गहना जेखर लाज,हरे कहि जग भरमाये।

वो नारी अब जाग,भेस ला असल बनाये।


सुघराई  के   देख, लगे  परि-भाषा  नारी।

मिट जाये सब आस,उहाँ बर आशा नारी।

सींच  दूध  के  धार,बढ़ाये बेटा बेटी।

नारी ममता रूप,मया के उघरा पेटी।


कदम मिलाके आज,चले सब सँग मा नारी।

जल थल का आगास,गढ़े घर महल अटारी।

देखव  सब्बे  छोर, शोर हे नारी मनके।

देवय सुख के दान,शारदे लक्ष्मी बनके।


बइरी  मनके  नास,करे  दुर्गा  काली कस।

घर बन के रखवार,बगइचा के माली कस।

होवय जग मा नाम,सदा हे तोरे मइयाँ।

तैं  देवी अवतार,परौं नित मैहर पइयाँ।


जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को(कोरबा)


सादर बधाई🙏🙏🙏

[3/8, 11:27 AM] कवि बादल: अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर मा जम्मों बेटी,बहू ,महतारी मन के सादर वंदन हे-- नमन हे।



महतारी

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हिरदे मा महतारी तोर,कतका मया भरे हे ।

ये धरती के सिरजइया हा तोरेच रुप धरे हे।।


लोग लइका के रक्छा खातिर,

रइथच अबड़ उपास ।

 काँटा गोड़ गड़ै झन कहिके,

 करथच उदीम  पचास ।

पति बर बन जथच सावित्री, काल घलो हा डरे हे।

तोर हिरदे मा महतारी तोर, कतका मया भरे हे  ।


मुँह के कौंरा बाँट के खाथच,

अँगरी धरे  रेंगाथच ।

हिरु बिछु ,आगी पानी अउ,

रोग राई ले  बँचाथच ।

तोर अँचरा के घन छँइहा हा,सब दुःख दरद हरे हे ।

हिरदे मा महतारी तोर, कतका मया भरे हे ।।


बेटा दुलरुवा,बेटी दुलौरिन,

निसदिन काहत रहिथस ।

बाढ़ेन लइका अबड़ बिटोएन,

 कतको नखरा सहिथस ।

तोर भाखा हा हमर भाखा बन,झरना कस झरे हे ।

हिरदे मा महतारी तोर, कतका मया भरे हे ।।


 हे महतारी! दूध के करजा ,

 कोन चूका वो पाही ।

सुख-खजाना वोकर भरही,

जे तोर सेवा बजाही ।

"बादल"बइहा अरजत गरजत,डंडाशरन परे  हे।

हिरदे मा महतारी तोर , कतका मया भरे हे।।


चोवा राम  वर्मा 'बादल '

     हथबंद (छत्तीसगढ़)

[3/8, 2:04 PM] पात्रे जी: कुण्डलिया छंद- *नारी*


नारी मूरत त्याग के, नारी ममता खान।

नारी ले सिरजे जगत, नारी जग बरदान।।

नारी जग बरदान, कहाथे सुख के पेटी।

नारी माता रूप, बहू बहिनी अउ बेटी।।

गजानंद जी कोंन, कथे इन ताड़नहारी।

रचत हवँय इतिहास, आज बन सबला नारी।।


नारी के सिंगार ये, ओखर तन के लाज।

मर्यादा ला राख के, पाथे मान समाज।।

पाथे मान समाज, रहे ले शिक्षित नारी।

करथे घर खुशहाल, निभा के जवाबदारी।।

रखथे सुख सम्भाल, काम कर मंगलहारी।

गजानंद इतिहास, रचे बन सबला नारी।।


चौका चूल्हा तक नहीं, अब नारी के काम।

आसमान मा पग रखत, पावत हावँय नाम।।

पावत हावँय नाम, मान अउ इज्जत भारी।

दो कुल के बन शान, करत हें घर उजियारी।।

गजानंद सुन बात, मिले नारी ला मौका।

गढ़य नवा प्रतिमान, छोड़ अब चूल्हा चौका।।


✍🏻इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 08/03/2025

[3/8, 2:22 PM] पद्मा साहू, खैरागढ़ 14: नारी


चुप -चुप  रहिथे  जी, सबो दुख सहिथे  जी,

येकर ये अर्थ नहीं, नारी कमजोर हे।


दुख मा सबल बनै, ढाल बने खड़े तनै,

स्व के परिभाषा लिखै, नारी साँझ भोर हे।


नारी रचय संसार, इकरे ले परिवार,

अंचरा मा गाँठ बाँधे, सुख के ये कोर हे।


आँखी ले हे आँसू ढहै, छाती ले हे दूध बहै,

ममता के सागर ये, जेकर न छोर हे।।


मान बर लड़ै नारी, शुरू ले जी अभी  तक,

सहिके कटार धार, बोली बउछार  ला।


तभो ले न मिलै मान, वाजिब मा जी आज ले,

छिनत हें कतकों हा, नारी अधिकार ला।


जागत हें धीरे-धीरे, बढ़ेै आगू मान बर ,

पढ़ लिख नारी अब, समझै  संसार ला। 


नारी हे ता दुनिया हे, दाई-माई बहिनी हें।

नारी ला सम्मान मिलै, जग के आधार ला।।


डॉ पद्‌मा साहू पर्वणी खैरागढ़

Thursday, February 20, 2025

शोभन छंद (सिंहिका छंद) ================

 शोभन छंद (सिंहिका छंद)

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1-

चोर मन धरके खजाना,आज घूँमत खोर।

रेवड़ी फोकट बटे हे, होत सुनलव शोर।

आय हे ऊखर सियानी, बेंच खाइन देश।

देख ले तँय ठग फुसारी,नोचलिन नख केश।।


2-

माफ करजा खुश प्रजा हे, वाह जी सरकार।

थोप गोबर तँय बहन जी, रोकड़ा भरमार।

नौकरी मा का रखे हे, बात सुन वो मोर।

टोपली मा तैंहा सुघर, बीन गोबर जोर।।


कमलेश प्रसाद शर्माबाबू

छत्रपति वीर शिवाजी

 छत्रपति वीर शिवाजी महाराज जयंती के आप मन ला हार्दिक बधाई।


छत्रपति वीर शिवाजी

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पइयाँ लागवँ गणपति गुरु के, हाथ जोड़ के माथ नँवाय।

 बिनती सुन लौ शारद माता, भूले बिसरे देहु बताय।।

जस ला वीर शिवा के गाववँ, महिमा जेकर अगम अपार ।

क्षत्रिय कुल में जनम धरे तैं, कुर्मी जाति कहय संसार।।

 किला बखानवँ शिवनेरी के, जनम लिए  सोला सौ तीस।

नाम शिवाजी राखिस दाई,शिव भोला के पाय असीस।।

माता धरमिन जीजाबाई, पिता शाहजी सूबेदार।

 कोणदेव गुरु के किरपा ले, सीखे तैं भाला तलवार।।

 सिधवा बर तो अब्बड़ सिधवा, बैरी बर तो सँउहे काल।

 परम भक्त माता तुलजा के, जय हो भारत माँ के लाल।। 

धरम करम ले पक्का हिंदू, हिंदू के पाये संस्कार।

 गउ माता के रक्षा खातिर, युद्ध करे तैं कतको बार।।

 बालकपन में करे लड़ाई, बैरी मन ला दे ललकार।।

 कब्जा करे किला मा कतको, लड़े लड़ाई छापामार।।

 बीजापुर के राजा बैरी, नाम कहावै आदिलशाह।

 तोर भुजा ला तउलत मरगे, फेर कभू नइ पाइस थाह।।

 समझौता के आड़ बलाके ,लेये खातिर तोरे जान।

 घात लगाये धरे कटारी, कपटी पापी अफजल खान।।

 दाँव ह ओकर उल्टा परगे,समझ गये तैं तुरते चाल।

 बघनक्खा मा ओला भोंगे,यमराजा कस बनके काल।।

 देखे सेना ला मालव के, जीव मुगलिया के घबराय ।

जइसे बघवा के तो छेंके,ठाढ़े हिरना प्रान गँवाय।।

अइसे फुरती जइसे चीता, भुजा म ताकत भीम समान।

रूप दिखय जस पांडव अर्जुन,धरे हाथ मा तीर कमान।।

औरँगजेब बलाके दिल्ली, पकड़ जेल मा देइस डार।

फल के टुकनी मा छिप निकले, गम नइ पाइन पहरेदार।।

दसों दिशा मा डंका बाजय,धजा मराठा के लहराय।

कतका महिमा तोर बखानवँ,मोरे मति हा पुर नइ पाय।।

 जै जै जै जै वीर शिवाजी, निसदिन तोर करवँ गुणगान।

जै होवय भारत माता के, जेकर बेटा तोर समान।।


चोवा राम वर्मा 'बादल '

हथबंद, छत्तीसगढ़

वीर शिवाजी-त्रिभंगी छंद

 वीर शिवाजी-त्रिभंगी छंद


माता बड़ धरमिन,जीजा बाई,पिता शाह जी,नाम हरे।

शिवनेरी मा तँय,जनम धरे अउ,बड़का बड़का,काम करे।

दादा ले सीखे,छद्म लड़ाई,राज पाठ सन,ज्ञान बने।

हितवा बर हितवा,बड़ बलशाली,क्षत्रिय कुल के,शान बने II 


चीता जइसे गा,फुर्ती राहय,भाला बरछी,तेज चलै।

बड़ लड़े लड़ाई,छापा मारी,बइरी देखय,हाथ मलै।

घोड़ा वोकर गा,तेज बरोड़ा,दशो दिशा मा,मात करै।

अउ काट मुगल के,खून बहावय,योद्धा मन ला,घात करै II 


भारत माता के,लाल रिहिन वो,मुरहा मन मा,प्राण फुँके।

बैरी बर करिया,डोमी बनके,जहर उगल के,खूब धुँके।

जय हो जय हो जय,वीर शिवाजी,सुघर उठाये,धरम धजा।

बड़ वीर मराठा,बघवा वोहर,बैरी ला दय,करम सजा II

विजेन्द्र कुमार वर्मा 

नगरगाँव (धरसीवाँ)

छेना खरही- दोहा चौपाई

 छेना खरही- दोहा चौपाई


        पइसा फेकय हाँस के, जाँगर कोन खपाय।

        नवा जमाना आय ले, जुन्ना काम नँदाय।।


नवा जमाना कती हबरही। दिखे नही अब छेना खरही।।

छेना बीने के गय अब दिन। रहै सहारा जेहर सब दिन।।


पाठ पठउँहा बारी बखरी। जिहाँ रहै बड़ छेना लकड़ी।।

गरुवा गाय बँधाये घरघर। गोबर निकले कोल्लर भरभर।।


भाई बहिनी बाबू दाई। बिनै सबे गोबर मुस्काई।।

डार पिरौसी थोपैं छेना। तभो काखरो थकयँ न डेना।


काया के कसरत हो जावै। रोग रई कतको दुरिहावै।

करे काम तन मन ले बढ़िया। नाम कमावै छत्तिसगढ़िया।।


चलत रिहिस होही ये कब के। खरही राहय रचरच सबके।।

छेना खा खा भभके चूल्हा। दार भात तब झड़के दूल्हा।।


बर बिहाव का छट्ठी बरही। सबके थेभा राहय खरही।।

चूल्हा छेना बिन नइ सुलगे। शहरी मन हा चुक्ता भुलगे।


आज गैस कूकर हे घर मा। चूल्हा कमती आय नजर मा।।

मनखे होगे सुविधा भोगी। ततके बनगे हावय रोगी।।


भाय दूध छेना आगी के। भोजन भूख भगावै जी के।

खरही खाल्हे डारे डेरा। मुसवा घलो लगाये फेरा।।


घाम घरी बड़ खरही बाढ़े। आय बतर तब रो धो ठाढ़े।।

छेना बिना गोरसी रोये। पेट सेंक तब लइका सोये।।

        

         ईंधन बन छेना जले, कमती पेड़ कटाय।

         धुँवा घलो कमती उड़े, जड़ चेतन सुख पाय।


अब के लइका का ये जाने। छेना धर सब आगी लाने।।

धुँवा दिखाये नजर जाय लग। छेना सुपचा देय हूम जग।।


छेना रचके बाट चढ़ावै। छेना मा खपरा पक जावै।।

छेना के सब बारे होरी। माँजे गहना गुठिया गोरी।।


एक आँच मा बनथे खाना। खाय माँग बड़ दादा नाना।

छेना राख भभूती लागे। धुँवा देख के मच्छर भागे।।


राख अबड़ उपजाऊ होवय। पौधा जर मा राख कुढ़ोवय।

बढ़े राख मा सरसर बिरवा। खातू ये बिन मिलवट निरवा।।


छेना राख काम बड़ आये। बर्तन चकचक ले उजराये।।

बइगा छेना राखड़ धरके।  मारे मंतर फू फू करके।।


उपयोगी हे राख दाँत बर। उपयोगी हे राख आँत बर।।

घावउ गोंदर खजरी कीड़ा। राख लगाये भागे पीड़ा।।


गोधन रख जे सेवा करथे। तेखर घर नित खरही बढ़थे।।

गुण गोबर के हे आगर जस। गुण कारी छेना हावै तस।।


जनम धरत छेना ला कहिथे। मरत समय तक छेना रहिथे।

मनुष आधुनिक कतको होवय। कभुन कभू छेना बर रोवय।


बिके अमेजन मा छेना हा। देख निकलथे मुख ले हाहा।।

जी सकथे मनखे बिन डेना। फेर जरूरी हावै छेना।।


          छेना हे बड़ काम के, गरुवा गाय बिसाव।

          थोपव गोबर सान के, खरही ऊँच बनाव।।


 जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को,कोरबा(छग)

Sunday, February 9, 2025

रोला छंद- *गणतंत्र दिवस*

 रोला छंद- *गणतंत्र दिवस*

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पर्व हमर गणतंत्र, दिवस हावय जी पावन।

मन मा जगे उमंग, लगे हे खुशी सुहावन।।

संविधान अधिकार, दिये हे हक आजादी।

रखबो येखर मान, रखे सीना फौलादी।।


हमर शान अभिमान, तिरंगा ला फहराबो।

जनगणमन के गीत, चलौ सब मिलके गाबो।।

धरे एकता सूत्र, प्रतिज्ञा हम सब करबो।

भाई-भाई एक, बने आपस मा रहिबो।।


लोग रहँय खुशहाल, सुमत के गूँजय बानी।

जाति धरम ला छोड़, कहावँय हिंदुस्तानी।।

उन्नत देश विकास, सदा हो लोक भलाई।

भूख गरीबी दूर, मिटे जग जन करलाई।।


सैनिक वीर जवान, नमन हे देश सिपाही।

तुँहर दिये बलिदान, युगो युग सुरता आही।।

जोर काँध मा काँध, इमन जी लड़िन लड़ाई।

गजानंद कर जोर, करत हे मान बड़ाई।।


✍🏻इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 26/01/2025

Thursday, January 2, 2025

अउ आगे रे नवा साल*

 : *अउ आगे रे नवा साल*


उहि घिसे पिटे हे जिनगानी,

      उहि डाँवा डोलत हाल।

जइसे तइसे बछर सिराइस,

      अउ आगे रे नवा साल---। 


लूटिन तेमन अगुवागे सब,

   ईमान गरीबी धर बइठिन।

टुटहा  कुँदरा  टूटे  परथे,

    महल मुँहूँ ला अँइठिन।

चेंदरी मा देंह ढँकाए हे,

    कफन कहव या रूमाल----

जइसे तइसे बछर सिराइस - - - - - -।


दिन दिन बाढ़िस भूख गरीबी,

    चोरी हत्या भ्रष्टाचार।

देश धरम के एके झंझट,

     स्वारथ बर बैपार।

मनखेपन के मनखे मन हर

      खीँचत रहिगे रे खाल------

जइसे तइसे बछर सिराइस - - - - - -।


राजकुमार चौधरी "रौना"

टेड़ेसरा राजनांदगांव।

[1/1, 3:33 PM] कमलेश प्रसाद 20 शरमाबाबू: 🌹🌹 जयकारी-छंद 🌹🌹


नवा साल २०२५


दो हजार भागिस चौबीस । आवत नवा साल पच्चीस ।।

बारव दीया ओरी ओर । सुघ्घर गाँव गली अउ खोर।।

जय गंगान।


छोड़व दारू गाँजा भाँग। खुटी उपर तैं सबला टाँग ।।

बिगड़े आदत सबो सुधार। बैर भाव ला भुर्री बार।।

जय गंगान।


गुस्सा आवय राखव धीर । ठंडा-ठंडा पी लव नीर।।

खावव सुघ्घर पूड़ी खीर।अपन हाँथ लिख लव तकदीर।।

जय गंगान।


नवा साल के कर शुरुवात ।मानँव संगी मोरो बात।।

"शर्माबाबू" करले ध्यान। राम नाम के गा गुनगान।।

जय गंगान।


कमलेश प्रसाद शर्माबाबू

 कटंगी गंडई

जिला केसीजी

छत्तीसगढ़

[1/1, 3:45 PM] ज्ञानू कवि: अंग्रेजी नवा बछर के बहुत बहुत बधाई💐


नवा बछर के शुभ बेला मा, बाँटव मया दुलार।

का का होवत हे दुनिया मा, थोरिक करव बिचार।।


करम धरम ला भूले मनखे, अउ भूले सत्कार।

छोटे छोटे बात बात मा, टूटय घर परिवार।


धन दौलत पद पाके मनखे, करे गजब मतवार।

आज नता रिश्ता मनखे बर, होगे हे व्यापार।।


दाई ददा अन्न पानी बर, तरसत रहिथे रोज।

मिलय नही प्रभु मंदिर बेटा, करले कतको खोज।।


रिश्वतखोरी के दीमक हा, चाट खाय संसार।

भेंट चढ़े भ्रष्ट्राचारी के, लाखों बंठाधार।।


चक्कर काँटय आँफिस लोगन, अफसर हे अबसेन्ट।।

अफसरशाही मौज करत हे, खा खाके परसेन्ट।।


लोकतंत्र नइ बोट बैंक हे, थोरिक करव बिचार।

जिम्मेदारी भूले काबर, राजनीति बाजार।।


धरती दाई रोवत हावय, देख जगत के हाल।

बेजाकब्जा हा फइलत हे, जइसे मकड़ी जाल।।


कोर्ट कचहरी अपराधी बर, घरघुँदिया के खेल।

मौज करत हे खुल्लमखुल्ला, नियम कायदा फेल।।


 अउ किसान बपुरा के जिनगी,  बीतत हे तँगहाल।

कमा कमा मजदूर बिचारा, के नइ बाँचत  खाल।।


महँगाई हा सुरसा होगे, बाढ़त कनिहा टोर।

करत हवय सब त्राहि त्राहि गा, चारों मूड़ा शोर।।


नवा बछर के शुभबेला मा, लेवव ये संकल्प।

सरग बनाबो ये भुइँया ला, करबो काया कल्प।।


ज्ञानु

[1/1, 5:18 PM] बोधन जी: गीत - नवा बछर के


नवा बछर के नवा बिहनिया हो.......

नवा सुरुज अब आ गे। 

आवव संगी जुरमिल चलबो,

अँधियारी हा भगा गे।।

नवा बछर के...........


सुरुर - सुरुर पुरवइया चलत हे,

मन मा आस जगावत हे। 

नवा काम बर नवा सोच लव, 

नवा भाग लहरावत हे।।

मन हरियागे तन हरियागे.. हो. 

मन हरियागे तन हरियागे, 

खुशहाली अब छा गे । 

नवा बछर के...............


दिन-दुगुना अब महिनत कर लव, 

पथरा फोर कमा लव। 

नवा जमाना देखत रहि जाय, 

दुःख पीरा बिसरा लव।।

जाँगर पेरव छींचव पसीना....

गंगा एमा समागे । 

नवा बछर के.............


बिसरे गोठ ला झन सोरियावव, 

रद्दा आगू बढ़व गा । 

करम के खेती धरम के बोनी, 

सुग्घर सपना गढ़वा गा ॥ 

धरती अउ आगास मा गूँजही हो.......

धरती अउ आगास मा गूँजही, 

सोर सबो बगरागे। 

नवा बछर के...............


रचनाकार:-

बोधन राम निषादराज"विनायक" 

सहसपुर लोहारा,जिला-कबीरधाम(छ.ग.)

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सार छन्द


आज मनावत हावँय कतको,मन हैप्पी न्यू ईयर।

डीजे-फीजे नाचा-वाचा,पीके दारू बीयर।।


चखना-वखना कुकरी मछरी,खावत मारँय फेशन।

पार्टी-सार्टी धूम मचाके,लेवँय फोटो शेसन।।

रंग जमावँय बइठे-ठइठे,मारत हावँय चीयर।

आज मनावत हावँय कतको,मन हैप्पी न्यू ईयर।।


नान्हे नान्हे लइका मनके,देखव कतका डेयर।

मनमाने दउड़ाथें गाड़ी,नइ हे इन मा गेयर।।

मजा उड़ाथें नवा साल मा,मिलके जम्मो डीयर।

आज मनाथें अइसे कतको,मन हैप्पी न्यू ईयर।।


नशा पान के चक्कर छोड़व,छोड़व अइसन मेटर।

सादा जिनगी जीयव संगी,ए ही सबले बेटर।।

खुशी मनावव सादा सिंपल, इही गोठ हे क्लीयर।

आज मनाथें अइसे कतको,मन हैप्पी न्यू ईयर।।


डी.पी.लहरे"मौज"

कवर्धा छत्तीसगढ़