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Tuesday, October 15, 2024

संशो परे सुजान ला*

 *संशो परे सुजान ला*


बन बूटा हर चगल डरिस जी,हाँ सबो खेत के धान ला।

सुख सुविधा गरियार बना दिस,लइका के संग जवान ला।।

बुचवा सोंच परे मनखे के,कइसे कर डरबे ज्ञान ला।

सुरसा कस बाढ़े महँगाई, लगथे हर लिही परान ला।।


लालच हा लुलवा कर डारिस,राजा परजा दीवान ला।

नेता घलो बिजार ढिलागे,दुच्छा चर दिस ईमान ला।।

भाई-भाई लड़त मरत हें,घर डोर सउँप के आन ला।

जे नइ जानय दुनियादारी, तब संशो परे सुजान ला।।


अपन बिरान सबो ला लूटे,छल डारे हें भगवान ला।

शांति कहाँ मिलही सकेल के,हिंसा के सरी समान ला।

लाख विकास करव का हे जब,नइ जोंड़ सके इंसान ला।

बिख उछरत हर जिनिस जगत के,तुम मीठा रखव जुबान ला।।



     🙏🙏🙏🙏

नारायण प्रसाद वर्मा *चंदन*

ढ़ाबा-भिंभौरी बेमेतरा(छ.ग.)

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कुण्डलिया छंद

 कुण्डलिया छंद 


जरही भारत देश मा, रावन के प्रतिरूप। 

असली रावन घूमथे, बदल-बदल के रूप।। 

बदल-बदल के रूप, हरन करथे नारी के। 

मूड़ मुड़ाही कोन , उही अत्याचारी के।। 

कहत शिशिर सच बात, दाग मा अचरा भरही।

जनम धरत हर साल , फेर का रावन जरही।। 


ज्ञानी हे लंकेश हा , गुण अवगुण भरपूर। 

अभिमानी के छाँव मा, मानवता हे दूर।। 

मानवता हे दूर, काम करथे मनमानी। 

अंतस कपटी चाल,  चलत हे भीतर घानी ।। 

कहत शिशिर सच बात, लोग बइठे अग्यानी। 

कहिथे सब बइमान, भले हो कतको ज्ञानी।। 


सुमित्रा शिशिर

दोहा - "स्कूल चलव सब पढ़व सब बढ़व"

 दोहा - "स्कूल चलव सब पढ़व सब बढ़व"

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सबो पढ़व आगू बढ़व, बनव सुजानिक लोग।

पल्ला   छाँड़े   भागही, अपढ़ अशिक्षा रोग।।


पढ़व लिखव सीखव सबो, आखर दीया बार।

अपढ़ अज्ञानी  झन रहव, मेटावव  अंँधियार।।


खोले स्कूल जगह जगह, संसोहिल  सरकार।

आखर अलख जगाय बर, हो जावव तइयार।।


पढ़ लिख बनव सुजान जी, जागव करव विचार।

झाँसा काकरो आव झन, जानव खुद अधिकार।।


करिया  आखर  ए  गड़ी,  भैंस  बराबर  आय।

पढ़े  लिखे  बर जान लव, गाय  सहीं उजराय।।


पढ़े  लिखे  के  गुण गजब, पढ़े ते  परछो पाय।

पढ़े  लिखे  गुनमान  हा, नइ  तो  कभू  ठगाय।।


पढ़ना लिखना सब करव, लइका रहे सियान।

पढ़े लिखे बर हर उमर, निक हे रखव धियान।।

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द्रोपती साहू "सरसिज"

महासमुंद छत्तीसगढ़ 

पिन  493445

घरेलू नुस्खा-दोहा छंद

 घरेलू नुस्खा-दोहा छंद 


मेथी बीजा ला भिगो, बड़े बिहनिया खाव।

रामबाण हे पेट बर, दुरिहा कब्ज भगाव।।


हरड़ बहेड़ा आँवला, तीनों पीस मिलाव।

सर्दी खाँसी जब लगे, चम्मच भरके खाव।।


सर्दी धर ले हे कहूँ, नाक बंद हो जाय।

अजवाइन ला सेंक के, सूँघव तो खुल आय।।


फोड़ा फुंसी होय तब, संगी झन डर्राव।

अजवाइन ला पीस के, नींबू संग लगाव।।


अलकर लागय पेट तब, जीरा फाँका मार।

गुनगुन पानी पी तभे, भागय गैस विकार।।


अदरक मा मधुरस मिला, खाँसी जब हो जाय।

कफ नाशक हे जान लव, श्वास फाँश दुरिहाय।।


दही दूध अउ घीव हा, तन बर हे वरदान।

भोजन मा शामिल करव, अमरित येला जान।।


दतवन करलव नीम के, कहिथे हमर सियान।

भागय दंत विकार हा, सार बात लव जान।।


दतवन चाब बबूल के, छाला दूर भगाय।

दरद मसूड़ा के घलो, जड़ ले तको मिटाय।।


गाजर रस मा आँवला, ढक्कन एक मिलाव।

खून बने भरपूर अउ, आँखी ला उजराव।।


काफी डोडा चाय हा, तन बर हे नुकसान।

झन पीयव गा जान के, पाचन बर हैवान।।


गुणकारी तुलसी हरे, सेवन जे कर जाय।

वात पित्त कफ दूर कर, सेहत स्वस्थ बनाय।।


जूस करेला के जउँन, पीथे बारह मास।

दूर भगे मधुमेह हा, दवई येहर खास।।


दो फोरी लहसुन भला, जेहर खावय रोज।

बी पी हा तन ले भगे, सादा लेवय भोज।।


खाके भोजन बाद मा, गुड़ के डल्ली खाय।

पाचन बर हे काम के, कभू डकार न आय।।


कैंसर रोधी प्याज हे, पोषक तत्व समाय।

भरे फाइबर खूब हे, लू ले तको बचाय।।


हल्दी गुण के खान हे, हवै फायदेमंद।

बूटी येला जान लव, एंटी कैंसर कंद।।


शक्कर जादा खाय ले,बीमारी घर आय।

जमे लिवर मा फेट हा, लेवल शुगर बढ़ाय।।


शहद मिला के दूध पी, होबे तहूँ निरोग।

बढ़ही ताकत अउ उमर, जीवन मा सुखभोग।।


मैदा सेहत बर इहाँ, सिरतोन खतरनाक।

गैस कब्ज के रोग हा, तन ला धरे लपाक।।


कमी नमक के होय ले, बढ़थे कोलेस्ट्रॉल।

जादा खाबे ते कहूँ, बी पी तन मा पाल।।


हरियर -हरियर दूब ला, महाऔषधी मान।

लिवर कब्ज उपचार मा, करथे संत सुजान।।


पीस दालचीनी बने, आधा चम्मच खाव।

शहद मिला सेवन करव, खाँसी दस्त भगाव।।


सौंफ हींग के फायदा, कतका हावय जान।

येकर सेवन ले घलो, वजन होय कम मान।।


मालिश सरसों तेल ले, जोड़ दरद आराम।

खुजली फुंसी के घलो, करथे काम तमाम।।


रूसी मुड़ मा होय जब, नरियर तेल लगाव।

कील मुहांसा हा भगे, त्वचा घलो उजराव।।


बेसन नींबू अउ शहद, पानी संग मिलाव।

सुग्घर पाहू रूप ला, मुख मा लेप लगाव।।

विजेन्द्र कुमार वर्मा 

नगरगाँव (धरसीवाँ)