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Monday, October 1, 2018

सार छन्द - इंजी.गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

सार छंद आधारित गीत

"ये पित्तर के मनई लगथे,मोला जी बइहासी"

जीयत लोटा  पानी तरसे,मरे म  मथुरा काशी।
देख चरित्तर ये दुनिया के,आवत हे बड़ हाँसी।
ये  पित्तर के  मनई लगथे,मोला  जी बइहासी।1।

जीयत भूखन लाँघन तरसे,मरे म  चीला बबरा।
करिया कउँवा  बाप बने हे,हत रे मानुष लबरा।
ताते तात कुकुर बिलई बर,पुरखा खावय बासी।
ये  पित्तर के  मनई  लगथे,मोला  जी  बइहासी।2।

जीयत  मीठा  बोली  तरसे,दउड़े  लेकेे  डंडा।
तर जही हमर पुरखा कहिके,पिंड पराये पंडा।
राह  धरे हे  मनखे  कइसे,मन हे  मोर उदासी।
ये  पित्तर के  मनई लगथे,मोला  जी बइहासी।3।

जीयत  तन  लंगोटी  तरसे,मरे म  धोती  कुरता।
जीयत सेवा करे नही अउ,मरे म करथस सुरता।
इही बात  ला  बोले  हावय,मोर  संत गुरु घासी।
ये  पित्तर के  मनई  लगथे,मोला  जी  बइहासी।4।

छन्दकार -  इंजी.गजानंद पात्रे "सत्यबोध" 

10 comments:

  1. वाह वाह बड़ सार्थक संदेश।हार्दिक बधाई पात्रे जी।

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  2. बहुत बढ़िया रचना बधाई हो गुरुजी

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  3. गजब सुग्घर रचना सर

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  4. गजब सुग्घर रचना सर

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  5. सुग्घर रचना सर जी ,वाह्ह्ह्ह

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  6. अपन रचना के माध्यम ले सार्थक संदेश दिये हव आदरणीय पात्रे सर।सुग्घर रचना बर हार्दिक बधाई।

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  7. आप सबो आदरणीय जन ला बहुत बहुत बधाई।।

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  8. बेहतरीन रचना सर हार्दिक बधाई ।।

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  9. बहुत बढ़िया पात्रे जी

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