Followers

Friday, October 12, 2018

कज्जल छन्द - श्री जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

नवरात्रि(कज्जल छंद)

लागे महिना,हे कुँवार।
बोहावत हे,भक्ति धार।
बना मातु बर,फूल हार।
सुमिरन करके,बार बार।

महकै अँगना,गली खोल।
अन्तस् मा तैं,भक्ति घोल।
जय माता दी,रोज बोल।
मनभर माँदर,बजा ढोल।

सबे खूँट हे,खुशी छाय।
शेर सवारी,चढ़े आय।
आस भवानी,हा पुराय।
जस सेवा बड़,मन लुभाय।

पबरित महिना,हरे सीप।
मोती पा ले,मोह तीप।
घर अँगना तैं,बने लीप।
जगमग जगमग,जला दीप।

माता के तैं,रह उपास।
तोर पुराही,सबे आस।
आही जिनगी,मा उजास।
होही दुख अउ,द्वेष नास।

छन्दकार - श्री जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को(कोरबा)L

10 comments:

  1. सादर नमन गुरुदेव,, माता रानी सबके आस पुराय

    ReplyDelete
  2. बहुत बढ़िया कज्जल छंद म कुवांर महीना के पावन वर्णन

    ReplyDelete
  3. बहुत बढ़िया कज्जल छंद म कुवांर महीना के पावन वर्णन

    ReplyDelete
  4. वाहह वाहह सुन्दर कज्जल छंद सर।

    ReplyDelete
  5. वाह बहुत बढ़िया गुरू जी

    ReplyDelete
  6. बढ़िया छंद हे, जीतेन्द्र, बहुत बहुत बधाई।

    ReplyDelete
  7. बहुत सुंदर रचना
    जय माता दी

    ReplyDelete
  8. बहुत सुघ्घर रचना बहुत बहुत बधाई आदरणीय।

    ReplyDelete