(चित्र - ब्लॉगर श्री ललित शर्मा के कैमरे से साभार)
रोला (शरद पुन्नी )
पुन्नी के हर रात,गजब गा सब ला भाथे।
पर ये पुन्नी रात,साल मा एक्के आथे।
दाई खीर बनाय, रात कुन रखे अटारी।
बरसे अमरित धार,शरद पुन्नी के भारी।1।
खाले बेटा खीर, चाँट के होत बिहानी।
देखे लसलस खीर, आत हे मुँह मा पानी।
महिमा अगम अपार,शरद पुन्नी के होथे।
नइ पावय जे खीर,साल भर ओ हर रोथे।2
चंदा घर मा आय,खीर मा अमरित घोरे।
लक्ष्मी भाग जगाय,शरद पुन्नी के तोरे।
कब अमरित मिल जाय,अमर हो जावय चोला।
खाले बेटा खीर,बतावत हँव मैं तोला।3।
दिलीप कुमार वर्मा
बलौदा बाज़ार
सुखदेव सिंह अहिलेश्वर"अँजोर"के बरवै छंद
शरद पुन्नी
दिखही उज्जर जग जग,ले घर खोर।
बगर जही भुँइया मा,मया अँजोर।
हवय शरद पुन्नी के,महिमा खास।
गोप-गुवालिन राधा-किसना रास।
अनहद सरलग बँसरी,के सुर तान।
गोपिन खुद बर होये,रहिन बिरान।
आज उही बँसरी धुन,नंद किशोर।
बगर जही भुँइया मा ,मया अँजोर।
चंदा अपन किरण सँग,अमरित धार।
नील गगन बरसाही,मया अपार।
जड़ी-बुटी सँग बँटही,खीर प्रसाद।
तपसी मन के तप सत,आशीर्वाद।
कोजागर कर ऊही,चाँद अगोर।
बगर जही भुँइया मा,मया अँजोर।
बिरहिन मन बर दर्पण,चाँद अनूप।
जेमा इक टक देखहिं,पिय के रूप।
श्रद्धा करही पबरित,पूजा पाठ।
पहर बीत जय हर दिन,सुख से आठ।
लमही आज सरग ले,सत के डोर।
बगर जही भुँइया मा,मया अँजोर।
रचनाकार-सुखदेव सिंह अहिलेश्वर
गोरखपुर कवर्धा छत्तीसगढ़
चौपाई छंद-श्रीमति आशा आजाद
शरद पूर्णिमा के चंदा
आज शरद पूर्णिमा हे संगी।
मउसम देखौ रंग बिरंगी।
चंदा देखौ अब्बड़ चमके।
अंतस मन हा सबके दमके।।
नाव कौमुदी व्रत कहलाये।
देख शुक्लपक्ष मा हे आये।
चमकय देखौ चंदा भारी।
किरन होय आजे शुभकारी।।
जन्मे लक्ष्मी आजे सुनलौ।
मनोकामना ला सब गुनलौ।
व्रत होथे लइका के आजे।
शुभ बेरा मा बाजा बाजे।।
नोनी आजे व्रत जे रहिथे।
मिलथे सुग्घर वर सब कहिथे।
रोग दूर हो जाये सुनले।
आज शरद दिन ला तँय गुनले।।
आज जागरन जम्मो करथे।
हिरदे ला सब निर्मल रखथे।
रोग असाध्य सबो मिट जाथे।
आज सुनौ दिन शुभ कहाथे।।
खुशहाली जी आजे आथे।
दिन अइसन सुन आज कहाथे।
निर्मल मन तन सबके होवै।
रोग असाध्य आजे खोवै।।
चंदा के मुख अब्बड़ भाये।
ओला देखे बर सकलाये।
बारत हावै दीया बाती।
शुभ बीते जी दिन अउ राती।।
रचनाकार-श्रीमती आशा आजाद
पता-मानिकपुर कोरबा छत्तीसगढ़
शरद पुन्नी रात
सुन लव संगी द्वापर, जुग के बात ।
अश्विन महिना पावन, पुन्नी रात ।
राधा संग कन्हैया, नाचै रास ।
दसों दिसा मा बगरे,रहय उजास ।
मुरली ला कान्हा जब, झूम बजाय ।
राधा गोपी ग्वाला ,सब मोंकाय ।
झूमै डार कदम के, नाचै मोर ।
जमुना के हिरदे मा, उठै हिलोर ।
कृष्ण चन्द्र के मुख ला, देख चकोर ।
मिलकी नइ मारय हो,भाव बिभोर ।
रुखुवा नाचैं धरके, मानुस रूप ।
अमृत झरै चन्दा ले, आप सरूप ।
उही लगन सुभ पावन, तिथि हे आज ।
रात जाग पूजा के , करबो काज।
छन्दकार - श्री चोवाराम वर्मा "बादल"
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बरवै छंद - आशा देशमुख
शरद पुन्नी के रात
बरसत हे चंदा ले ,अमरित धार ।
आजा रे तैं मितवा ,करँव पुकार ।
चकवा चकवी कहिथे ,करबो बात
मधुर मिलन के बेला ,पुन्नी रात ।
ये चंदा के हावय ,बड़ परताप ।
प्रेमी जन के होवय ,मेल मिलाप ।
यमुना तीरे कान्हा ,रचथे रास ।
हर गोपिन के मन मा ,भरे हुलास।
चारो कोती हावय, अति उल्लास ।
दुधिया रँग कस लागय,इहाँ प्रकास ।
बिरहिन के नैना मा ,जागय आस ।
मितवा दरशन होही ,मिटही प्यास ।
पत्ता पत्ता हुलसे ,नाचय आज ।
बाजव झांझ मँजीरा ,ढोलक बाज ।
अमरित से घरती हा ,आज नहाय ।
चिटिक चँदैनी लुगरा ,भर बगराय।
।
अँगना अउ ब्यारा मा ,बनही खीर ।
ये परसादी सबके ,हरही पीर ।
छन्दकार - श्रीमती आशा देशमुख, NTPC, कोरबा
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बरवै छंद - श्री गजानंद पात्रे "सत्यबोध"
शरद पूर्णिमा
शरद पूर्णिमा भाये,चंदा रात।
देखव लेके आये,नव सौगात।।
रास रचाये मोहन,गोपी संग।
शरद पूर्णिमा रचगे,तब ले रंग।।
भोर सबेरा उठके,कर लौ स्नान।
पूण्य कमा लौ भाई,कर के दान।।
श्रद्धा रख के मन मा,रख उपवास।
इच्छा पूरा होही,कर विश्वास।।
खीर बनाके रख ले,पुन्नी रात।
जेमा जीवन अमृत,बरसत जात।।
सुत उठ के खाये ले,अमिरत खीर।
तन ब्याधा हा मिटथे,भागय पीर।।
येखर बाद भागथे,जी बरसात।
ठंडा मौसम होथे,फिर शुरुआत।।
छन्दकार - श्री गजानंद पात्रे "सत्यबोध" बिलासपुर छत्तीसगढ़
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बरवै छंद - श्रीमती वसंती वर्मा:
🌷🌷पुन्नी के चंदा🌷🌷🌷
पुन्नी के चंदा हर,बरय अंजोर ।
नाचत देखय ओला,आज चकोर ।
करे सिंगार सोला,चंदा आय ।
जेहर देखय ओला,मन ला भाय।।
अमरित लेके चंदा,बरसे आय ।
छानी परवा दाई,खीर मढ़ाय ।।
ओरमे धान बाली,अमरित पाय ।
पुन्नी शरद म सुघ्घर, रात नहाय ।।
भुइयाँ महतारी के ,पाँव पखार ।
आगे बेटी लछमी,घरे हमार ।।
छन्दकार - श्रीमती वसन्ती वर्मा, बिलासपुर छत्तीसगढ़
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वाहःह बादल भैया अउ दीदी मन के सुग्घर रचना ,बधाइयां
ReplyDeleteवाहह!वाहह!बादल भैया,आशा दीदी,गजानंद सर,अउ बसंती दीदी आप सबो ला हार्दिक बधाई।शरद पुन्नी के बहुत बहुत सुन्दर छंद सृजन।
ReplyDeleteवाह बहुत बढ़िया बधाई हो
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार गुरुदेव
ReplyDeleteबड़ सुग्घर सृजन आप सबो के। शरद पूर्णिमा के बधाई हे।
ReplyDeleteगुरुदेव सादर प्रणाम।सुग्घर संकलन।
ReplyDeleteसादर प्रणाम गुरुदेव
ReplyDeleteबहुत बढ़िया सृजन हे भाई सुखदेव
ReplyDeleteसादर आभार दीदी।प्रणाम
Deleteबहुत बढ़िया रचना सबो झन ला शरद पुन्नी के गाड़ा गाड़ा बधाई हो
ReplyDeleteबहुत सुघ्घर शरद पुन्नी के बरवै छंद बहुत सुघ्घर संकलन बर गुरुजी ला सादर बंदगी सबो साधक छंदकार भाई बहिनी मनला बहुत बहुत बधाई
ReplyDeleteसादर धन्यवाद दीदी
Deleteवाह्ह्ह वाह्ह्ह सबके रचना पढ़के आनन्द आगे
ReplyDeleteवाह्ह्ह वाह्ह्ह सबके रचना पढ़के आनन्द आगे
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद मानिकपुरी सर
Deleteबेहतरीन सृजन शब्दों का जबरदस्त 👌👌👌👌
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद गोस्वामी जी
Deleteआप जम्मो सम्मानीय साधक मन ला सादर आभार
ReplyDeleteअउ जम्मो साधक मन ला बधाई जेखर रचना संकलन मा आय हे
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