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Thursday, January 2, 2025

अउ आगे रे नवा साल*

 : *अउ आगे रे नवा साल*


उहि घिसे पिटे हे जिनगानी,

      उहि डाँवा डोलत हाल।

जइसे तइसे बछर सिराइस,

      अउ आगे रे नवा साल---। 


लूटिन तेमन अगुवागे सब,

   ईमान गरीबी धर बइठिन।

टुटहा  कुँदरा  टूटे  परथे,

    महल मुँहूँ ला अँइठिन।

चेंदरी मा देंह ढँकाए हे,

    कफन कहव या रूमाल----

जइसे तइसे बछर सिराइस - - - - - -।


दिन दिन बाढ़िस भूख गरीबी,

    चोरी हत्या भ्रष्टाचार।

देश धरम के एके झंझट,

     स्वारथ बर बैपार।

मनखेपन के मनखे मन हर

      खीँचत रहिगे रे खाल------

जइसे तइसे बछर सिराइस - - - - - -।


राजकुमार चौधरी "रौना"

टेड़ेसरा राजनांदगांव।

[1/1, 3:33 PM] कमलेश प्रसाद 20 शरमाबाबू: 🌹🌹 जयकारी-छंद 🌹🌹


नवा साल २०२५


दो हजार भागिस चौबीस । आवत नवा साल पच्चीस ।।

बारव दीया ओरी ओर । सुघ्घर गाँव गली अउ खोर।।

जय गंगान।


छोड़व दारू गाँजा भाँग। खुटी उपर तैं सबला टाँग ।।

बिगड़े आदत सबो सुधार। बैर भाव ला भुर्री बार।।

जय गंगान।


गुस्सा आवय राखव धीर । ठंडा-ठंडा पी लव नीर।।

खावव सुघ्घर पूड़ी खीर।अपन हाँथ लिख लव तकदीर।।

जय गंगान।


नवा साल के कर शुरुवात ।मानँव संगी मोरो बात।।

"शर्माबाबू" करले ध्यान। राम नाम के गा गुनगान।।

जय गंगान।


कमलेश प्रसाद शर्माबाबू

 कटंगी गंडई

जिला केसीजी

छत्तीसगढ़

[1/1, 3:45 PM] ज्ञानू कवि: अंग्रेजी नवा बछर के बहुत बहुत बधाई💐


नवा बछर के शुभ बेला मा, बाँटव मया दुलार।

का का होवत हे दुनिया मा, थोरिक करव बिचार।।


करम धरम ला भूले मनखे, अउ भूले सत्कार।

छोटे छोटे बात बात मा, टूटय घर परिवार।


धन दौलत पद पाके मनखे, करे गजब मतवार।

आज नता रिश्ता मनखे बर, होगे हे व्यापार।।


दाई ददा अन्न पानी बर, तरसत रहिथे रोज।

मिलय नही प्रभु मंदिर बेटा, करले कतको खोज।।


रिश्वतखोरी के दीमक हा, चाट खाय संसार।

भेंट चढ़े भ्रष्ट्राचारी के, लाखों बंठाधार।।


चक्कर काँटय आँफिस लोगन, अफसर हे अबसेन्ट।।

अफसरशाही मौज करत हे, खा खाके परसेन्ट।।


लोकतंत्र नइ बोट बैंक हे, थोरिक करव बिचार।

जिम्मेदारी भूले काबर, राजनीति बाजार।।


धरती दाई रोवत हावय, देख जगत के हाल।

बेजाकब्जा हा फइलत हे, जइसे मकड़ी जाल।।


कोर्ट कचहरी अपराधी बर, घरघुँदिया के खेल।

मौज करत हे खुल्लमखुल्ला, नियम कायदा फेल।।


 अउ किसान बपुरा के जिनगी,  बीतत हे तँगहाल।

कमा कमा मजदूर बिचारा, के नइ बाँचत  खाल।।


महँगाई हा सुरसा होगे, बाढ़त कनिहा टोर।

करत हवय सब त्राहि त्राहि गा, चारों मूड़ा शोर।।


नवा बछर के शुभबेला मा, लेवव ये संकल्प।

सरग बनाबो ये भुइँया ला, करबो काया कल्प।।


ज्ञानु

[1/1, 5:18 PM] बोधन जी: गीत - नवा बछर के


नवा बछर के नवा बिहनिया हो.......

नवा सुरुज अब आ गे। 

आवव संगी जुरमिल चलबो,

अँधियारी हा भगा गे।।

नवा बछर के...........


सुरुर - सुरुर पुरवइया चलत हे,

मन मा आस जगावत हे। 

नवा काम बर नवा सोच लव, 

नवा भाग लहरावत हे।।

मन हरियागे तन हरियागे.. हो. 

मन हरियागे तन हरियागे, 

खुशहाली अब छा गे । 

नवा बछर के...............


दिन-दुगुना अब महिनत कर लव, 

पथरा फोर कमा लव। 

नवा जमाना देखत रहि जाय, 

दुःख पीरा बिसरा लव।।

जाँगर पेरव छींचव पसीना....

गंगा एमा समागे । 

नवा बछर के.............


बिसरे गोठ ला झन सोरियावव, 

रद्दा आगू बढ़व गा । 

करम के खेती धरम के बोनी, 

सुग्घर सपना गढ़वा गा ॥ 

धरती अउ आगास मा गूँजही हो.......

धरती अउ आगास मा गूँजही, 

सोर सबो बगरागे। 

नवा बछर के...............


रचनाकार:-

बोधन राम निषादराज"विनायक" 

सहसपुर लोहारा,जिला-कबीरधाम(छ.ग.)

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सार छन्द


आज मनावत हावँय कतको,मन हैप्पी न्यू ईयर।

डीजे-फीजे नाचा-वाचा,पीके दारू बीयर।।


चखना-वखना कुकरी मछरी,खावत मारँय फेशन।

पार्टी-सार्टी धूम मचाके,लेवँय फोटो शेसन।।

रंग जमावँय बइठे-ठइठे,मारत हावँय चीयर।

आज मनावत हावँय कतको,मन हैप्पी न्यू ईयर।।


नान्हे नान्हे लइका मनके,देखव कतका डेयर।

मनमाने दउड़ाथें गाड़ी,नइ हे इन मा गेयर।।

मजा उड़ाथें नवा साल मा,मिलके जम्मो डीयर।

आज मनाथें अइसे कतको,मन हैप्पी न्यू ईयर।।


नशा पान के चक्कर छोड़व,छोड़व अइसन मेटर।

सादा जिनगी जीयव संगी,ए ही सबले बेटर।।

खुशी मनावव सादा सिंपल, इही गोठ हे क्लीयर।

आज मनाथें अइसे कतको,मन हैप्पी न्यू ईयर।।


डी.पी.लहरे"मौज"

कवर्धा छत्तीसगढ़