*दोहा छंद-नवाँ बछर*
नवाँ बछर हा आय हे,धरके नवाँ अँजोर।
हे सबला शुभकामना,झोंक बधाई मोर।।
चैत गुड़ी परवा परब,पावन होथे घात।
यज्ञ हवन उपवास ले,कर जीवन शुरुआत।।
आजे के दिन देवता, करिन सृष्टि निर्माण।
राज विक्रमादित्य के,भारत बनिस महान।।
सजे घरोघर दीप मा,तोरन कलश दुवार।
जोत जँवारा पर्व मन,हे सुख के आधार।।
मौसम आय बसंत के,ममहावत बन बाग।
कोयल आरो देत हे,भौंरा गावै फाग।।
परसा लाली फूलगे,मउहा हर बउराय।
गोंदा संग गुलाब हा,कठल कठल इतराय।।
रुखराई फर फूल मा, जागिस नवाँ उमंग।
जग के जम्मो जीव मा,छाय खुशी के रंग।।
धरती दुलहिन कस सजे,आमा हर मउराय।
जाड़ा ना बरसात हे,रुत सबके मन भाय।।
छोंड़व पर के सभ्यता, छोंड़व पर संस्कार।
संस्कृति सुग्घर हे हमर,राखव बने सँवार।।
🙏🙏🙏🙏
नारायण प्रसाद वर्मा *चंदन*
ढ़ाबा-भिंभौरी, बेमेतरा(छ.ग.)