1 ममहाबे
ममहाबे चारों खूँट , होही भाई तोरो पूछ ,
जिनगी सवँर जाही, उदबत्ती कस खप ।
पक्का बन जबान के, संग धर ईमान के,
काबर कच्चा कान के, छोंड़ देना लपझप ।
मिहनत कर संगी, नइ राहै कभू तंगी,
उदाबादी झन कर , इही आय बड़े तप ।
भुईंया ल सिंगार के, पसीना ल ओगार के,
भाईचारा बाँट लेना , प्रेम मन्त्र माला जप ।।
2 हवै पहात उमर
नेत नेत नेत बने, चेत चेत चेत बने,
देख देख देख बने, हवै पहात उमर ।
तन ला दिंयाँर कस, चिंता चरत हावय,
धक धक करे जीव, बाढ़े बीपी ग सुगर ।
एको ठन दाँत नहीं, चना चाब खाहूँ कहे ,
लालच म डूब मरे , पचै नहीं खा
कुचर ।
हरे राम हरे कृष्ण , गोविंद गोपाल भज,
चौथा पन आगे हवै, सोंच थोरको सुधर ।।
3 लइका बिगड़ जाथे
उपराहा पैसा पाके, होटल सिनेमा जाके,
गलत संगति धर, जाथे लइका बिगड़ ।
मौका म दुलार बने, मया परवान चढ़े,
डाँट फटकार घलो, कहूँ करै गड़बड़ ।
जादा मीठ कीरा परे, रोबे तहाँ मूँड़ धरे,
बेरा म ईलाज कर, लगा दवई झाफड़ ।
सिक्छा अउ संस्कार दे, पाही रोटी रोजगार ,
बचपन सँवार दे, गुन गाही अड़बड़ ।।
रचनाकार - श्री चोवा राम " बादल"
( छन्द के छ परिवार साधक)
हथबन्द, छत्तीसगढ़
493113
ममहाबे चारों खूँट , होही भाई तोरो पूछ ,
जिनगी सवँर जाही, उदबत्ती कस खप ।
पक्का बन जबान के, संग धर ईमान के,
काबर कच्चा कान के, छोंड़ देना लपझप ।
मिहनत कर संगी, नइ राहै कभू तंगी,
उदाबादी झन कर , इही आय बड़े तप ।
भुईंया ल सिंगार के, पसीना ल ओगार के,
भाईचारा बाँट लेना , प्रेम मन्त्र माला जप ।।
2 हवै पहात उमर
नेत नेत नेत बने, चेत चेत चेत बने,
देख देख देख बने, हवै पहात उमर ।
तन ला दिंयाँर कस, चिंता चरत हावय,
धक धक करे जीव, बाढ़े बीपी ग सुगर ।
एको ठन दाँत नहीं, चना चाब खाहूँ कहे ,
लालच म डूब मरे , पचै नहीं खा
कुचर ।
हरे राम हरे कृष्ण , गोविंद गोपाल भज,
चौथा पन आगे हवै, सोंच थोरको सुधर ।।
3 लइका बिगड़ जाथे
उपराहा पैसा पाके, होटल सिनेमा जाके,
गलत संगति धर, जाथे लइका बिगड़ ।
मौका म दुलार बने, मया परवान चढ़े,
डाँट फटकार घलो, कहूँ करै गड़बड़ ।
जादा मीठ कीरा परे, रोबे तहाँ मूँड़ धरे,
बेरा म ईलाज कर, लगा दवई झाफड़ ।
सिक्छा अउ संस्कार दे, पाही रोटी रोजगार ,
बचपन सँवार दे, गुन गाही अड़बड़ ।।
रचनाकार - श्री चोवा राम " बादल"
( छन्द के छ परिवार साधक)
हथबन्द, छत्तीसगढ़
493113
लाजवाब घनाक्षरी बादल सर के वाहहह वाहहहहह!
ReplyDeleteधन्यवाद अहिलेश्वर जी।
Deleteबहुत सुघ्घर घनाक्षरी भैया जी।।
ReplyDeleteसादर आभार।
Deleteबहुत सुघ्घर घनाक्षरी भैया जी।।
ReplyDeleteबहुत सुग्घर रचना सर। सादर बधाई
ReplyDeleteबहुत सुग्घर रचना सर। सादर बधाई
ReplyDeleteधन्यवाद ज्ञानु भाई।
Deleteअनुपम सृजन
ReplyDeleteबादल भैया
सादर आभार आशा देशमुख बहिनी जी।आपके प्रोत्साहन अब्बड़ सम्बल प्रदान करथे।
Deleteवाह ! भइया जोरदार
ReplyDeleteधन्यवाद मथुरा वर्मा जी।
Deleteअनंत बधाई आदरणीय
ReplyDeleteसादर आभार।
Deleteसुग्घर जलहरण घनाक्षरी रचे हव बादल भइया।बधाई।
ReplyDeleteधन्यवाद आदरणीय।
Deleteवाह भइया शानदार घनाक्षरी
ReplyDeleteसादर आभार।
Deleteवाह गुरुदेव। शानदार जल हरण घनाक्षरी हे।सादर बधाई। प्रणाम।
ReplyDeleteधन्यवाद मोहन भाई।
Deleteधन्यवाद मोहन भाई।
Deleteचेत झन देवै हेर दुःख के सकेल ढेर
ReplyDeleteबात बने आप इहाँ छंद मा सजाये हव।
रेंगैंं झन अंते तंते लपड़ झपड़ धरे
परिणाम एकर ला बने गोठियाये हव।।
चोवा भैया दिनरात बूड़े परहित काज
जीवन सफल बने अपन बनाये हव।
मुक्ति पाये के दुआरी मानुस के तनधारी
बात सार जिनगी के बढ़िया बताये हव।।
भैया के सुंदर रचना बर गाड़ा गाड़ा बधाई
सादर प्रणाम उनला....
सादर आभार सूर्या भैया।
Deleteवाह बहुत सुंदर भईया जी बधाई हो
ReplyDeleteधन्यवाद जोगी जी।
Deleteवाह बहुत सुंदर भईया जी बधाई हो
ReplyDeleteबहुत सुग्घर सिरजन बड़े भइया जी
ReplyDeleteसादर आभार ।
Deleteसुग्घर घनाक्षरी बर बधाई
ReplyDeleteबहुत बढ़िया मनहरण घना
ReplyDeleteसुग्घर रचना भइया जी
ReplyDeleteशानदार रचना भइया जी
ReplyDeleteधन्यवाद भाई ।
Deleteबहुत बढ़िया गुरुदेव जी
ReplyDeleteबहुत बढ़िया गुरुदेव जी
ReplyDeleteधन्यवाद जगदीश भाई।
Deleteउम्दा सर,एक ले बढ़के एक घनाक्षरी
ReplyDeleteबहुत सुन्दर गुरुदेव जी
ReplyDeleteधन्यवाद बोधन भाई।
Deleteबहुत सुघ्घर चोवाराम भाई जी
ReplyDeleteधन्यवाद वसंती जी।
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